नवरात्र में कैसे करें नवग्रहों की शांति?

Sun, Apr 11, 2021
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Sun, Apr 11, 2021
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
नवरात्र में कैसे करें नवग्रहों की शांति?

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से मां दुर्गा की आराधना का पर्व आरंभ हो जाता है। इस दिन कलश स्थापना कर नवरात्रि पूजा शुरु होती है। वैसे तो नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है। जिसमें प्रतिपदा को मां शैलपुत्री तो अंतिम नवरात्रि में मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। लेकिन नवरात्र का महत्व केवल दुर्गा पूजा तक सीमित नहीं है। बल्कि नवरात्र को ज्योतिषीय दृष्टि से भी खास माना जाता है। जी हां विद्वान ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा करने से नवग्रह शांति की जा सकती है। आइये जानते हैं नवरात्रि पूजा में कैसे होगी नवग्रहों की शांति?

 

नवरात्र नवदुर्गा और नवग्रह

 

नौ दिनों के नवरात्र में नवदुर्गा यानि कि मां दुर्गा जिन्हें शक्ति का रूप माना जाता है के नौ रूपों की साधना की जाती है। इनमें पहले नवरात्र पर मां शैलपुत्री तो दूसरे नवरात्र में मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे में माता चंद्रघंटा तो चौथे नवरात्र पर मां कुष्मांडा, पांचवें नवरात्र में स्कंदमाता तो छठे नवरात्र पर कात्यायनी माता की पूजा की जाती है। सातवें, आठवें और नवें नवरात्र में क्रमश: मां कालरात्रि, मां महागौरी एवं माता सिद्धिदात्रि का पूजन किया जाता है। लेकिन जब नवग्रह शांति के लिये पूजन किया जाता है तो इस क्रम में बदलाव हो जाता है। प्रत्येक ग्रह की माता अलग होती है।

 

किस नवरात्र को होती है किस ग्रह की पूजा

 

पंडितजी की माने तो नव दुर्गा शक्ति के नौ रूपों का ही नाम है। इनकी साधना से ग्रह पीड़ा से भी निजात मिलती है लेकिन इसके लिये यह अवश्य ज्ञात होना चाहिये कि किस दिन कौनसे ग्रह की शांति के लिये पूजा होनी चाहिये। सर्वप्रथम तो नवरात्र में प्रतिपदा को कलश स्थापना की जाती है इसके पश्चात मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिये। अब जानते हैं किस दिन किस ग्रह की शांति के लिये पूजा करनी चाहिये :-

 

पहला नवरात्र मंगल की शांति पूजा – नवरात्र के पहले दिन यानि प्रतिपदा को मंगल ग्रह की शांति के लिये पूजा की जाती है। मंगल की शांति के लिये प्रतिपदा को स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा करनी चाहिये।

 

दूसरा नवरात्र राहू की शांति पूजा – द्वितीया तिथि को दूसरा नवरात्र होता है इस दिन राहू शांति के लिये पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से राहू ग्रह की शांति होती है।

 

तीसरा नवरात्र बृहस्पति की शांति पूजा – तृतीया को तीसरे नवरात्र में मां महागौरी के स्वरूप की पूजा  बृहस्पति की शांति के लिये होती है। 

 

चौथा नवरात्र शनि की शांति पूजा – चतुर्थी तिथि को शनि की शांति के लिये मां कालरात्रि के स्वरूप की पूजा करनी चाहिये।

 

पंचम नवरात्र बुध की शांति पूजा – पांचवें नवरात्र में पंचमी तिथि को बुध की शांति के लिये पूजा की जाती है इस दिन मां कात्यायनी के स्वरूप की पूजा करनी चाहिये।

 

छठा नवरात्र केतु की शांति पूजा – षष्ठी तिथि को छठा नवरात्र होता है जिसमें केतु की शांति के लिये पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा की पूजा इस दिन कर केतु की शांति की जा सकती है।

 

सातवां नवरात्र शुक्र की शांति पूजा – शुक्र की शांति के लिये सप्तमी तिथि को सातवें नवरात्र में माता सिद्धिदात्रि के स्वरूप का पूजन करना चाहिये।

 

आठवां नवरात्र सूर्य की शांति पूजा – अष्टमी तिथि को आठवें नवरात्र पर माता शैलपुत्री के स्वरूप की पूजा करने से सूर्य की शांति होती है।

 

नवां नवरात्र चंद्रमा की शांति पूजा – नवमी के दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करने से चंद्रमा की शांति होती है।

 

नवरात्र में नवग्रह शांति के लिये पूजा विधि

 

नवरात्र में नवग्रह की शांति के लिये जैसा कि ऊपर बताया भी गया है कि सर्वप्रथम कलश स्थापना करनी चाहिये उसके पश्चाता मां दुर्गा की पूजा। पूजा के पश्चात लाल रंग के वस्त्र पर यंत्र का निर्माण करना चाहिये। इसके लिये वर्गाकार रूप में 3-3-3 कुल 9 खानें बनाने चाहिये। ऊपर के तीन खानों में बुध, शुक्र व चंद्रमा की स्थापना करें। मध्य के तीन खानों में गुरु, सूर्य व मंगल को स्थापित करें। नीचे के तीन खानों में केतु, शनि व राहू को स्थापित करें। इस प्रकार यंत्र का निर्माण कर नवग्रह बीज मंत्र का जाप कर इस यंत्र की पूजा करके नवग्रहों की शांति का संकल्प करें।

 

टैरो रीडर । अंक ज्योतिषी । वास्तु सलाहकार । फेंगशुई एक्सपर्ट । करियर एस्ट्रोलॉजर । लव एस्ट्रोलॉजर । फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजर । 

मैरिज एस्ट्रोलॉजर । मनी एस्ट्रोलॉजर । स्पेशलिस्ट एस्ट्रोलॉजर 

 

पहले मंगल की शांति के लिये पूजा के पश्चात पंचमुखी रूद्राक्ष या फिर मूंगा या लाल अकीक की माला से मंगल के बीज मंत्र का 108 बार जप करना चाहिये। जप के पश्चात मंगल कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करना चाहिये। इसी प्रकार आगामी नवरात्र में भी जिस ग्रह की शांति के लिये पूजा की जा रही है। उसके बीज मंत्रों का जाप कर संबंधित ग्रह के कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ भी करें। नवरात्र के पश्चात दशमी के दिन यंत्र की पूजा कर इसे पूजा स्थल में स्थापित करना चाहिये व नियमित रूप से इसकी पूजा करनी चाहिये।

 

हमारी सलाह है कि आपको पूजा किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से ही करवानी चाहिये ताकि किसी भी तरह की कमी पूजा में न रहे।

एस्ट्रोयोगी पर आप इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से गाइडेंस ले सकते हैं।

 

माता के नौ रुप -

माँ शैलपुत्री - नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि   |   माँ ब्रह्मचारिणी- नवरात्रे के दूसरे दिन की पूजा विधि   |   माता चंद्रघंटा - तृतीय माता की पूजन विधि

कूष्माण्डा माता- नवरात्रे के चौथे दिन करनी होती है इनकी पूजा   |   स्कंदमाता- नवरात्रि में पांचवें दिन होती है इनकी पूजा   |  

माता कात्यायनी- नवरात्रि के छठे दिन की पूजा   |   माता कालरात्रि - नवरात्रे के सातवें दिन होती है इनकी पूजा   |   माता महागौरी - अष्टमी नवरात्रे की पूजा विधि 

माता सिद्धिदात्री - नवरात्रे के अंतिम दिन की पूजा   ।   मां दुर्गा के 108 नाम   |   मां दुर्गा करती हैं संसार में शक्ति का संचार   |   आरती श्री दुर्गाजी   |   श्री दुर्गा चालीसा

article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
Pooja Performance
article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
Pooja Performance
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!