Shani Trayodashi 2024: साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए शनिदेव को चढ़ाएं ये चीजें

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Shani Trayodashi 2024: साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए शनिदेव को चढ़ाएं ये चीजें

Shani Trayodashi 2024: क्या आप साढ़ेसाती और शनि दोष से परेशान हैं? शनि त्रयोदशी 2024 आपके लिए शनिदेव की कृपा पाने का सुनहरा मौका लेकर आ रही है। हिंदू धर्म में शनि त्रयोदशी का दिन विशेष महत्व रखता है, जब शनिदेव की पूजा-अर्चना कर उनके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस दिन भगवान शिव और शनिदेव की आराधना से पितृदोष, साढ़ेसाती, और ढैय्या से राहत मिलती है। मान्यता है कि सही विधि से पूजा करने पर मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन की रुकावटें दूर होती हैं।

शनि त्रयोदशी का महत्व

हिंदू धर्म में शनि त्रयोदशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन विशेष रूप से शनिदेव और भगवान शिव की पूजा का विधान है। मान्यता है कि शनि त्रयोदशी के दिन विधिवत पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और पितृदोष से राहत मिलती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस वर्ष शनि त्रयोदशी व्रत 28 दिसंबर 2024 को पड़ेगा।

शनि त्रयोदशी 2024 पर पूजा का शुभ मुहूर्त

शनि त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 28 दिसंबर 2024 को दोपहर 2:26 बजे और समापन 29 दिसंबर 2024 को दोपहर 3:32 बजे होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि के बारे में बहुत कुछ बताया गया है, ऐसे में शनि प्रदोष व्रत 28 दिसंबर को रखा जाता है। शनि त्रयोदशी के दिन पूजा का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त और गोधूलि बेला मानी जाती है। ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस समय शनिदेव को प्रसन्न करना अधिक सरल होता है।

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साढ़ेसाती और शनि दोष से बचाव के उपाय

शनि त्रयोदशी के दिन शनिदेव की कृपा पाने और उनके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कुछ विशेष चीजें अर्पित की जाती हैं। आइए जानते हैं कि क्या-क्या चढ़ाने से लाभ होता है।

1. काले तिल चढ़ाएं

शनिदेव को काले तिल अत्यंत प्रिय हैं।

  • मान्यता है कि काले तिल चढ़ाने से पितृदोष का निवारण होता है।

  • शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं।

  • एक प्राचीन कथा के अनुसार, जब हनुमान जी पर शनि की दशा चल रही थी, तब उन्होंने शनिदेव को तिल का तेल दिया था। इससे शनिदेव की पीड़ा शांत हुई थी और तब से तिल का तेल और काले तिल चढ़ाने की परंपरा आरंभ हुई।

2. सरसों का तेल अर्पित करें

सरसों का तेल शनिदेव को चढ़ाना बहुत शुभ माना गया है।

  • यह शनि दोष को शांत करता है।

  • आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।

  • सरसों का तेल चढ़ाने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और जीवन की रुकावटें दूर होती हैं।

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3. काले चने का दान करें

काले चने अर्पित करना भी एक पुरानी परंपरा है।

  • इससे कार्यक्षेत्र की समस्याएं समाप्त होती हैं।

  • काले चने चढ़ाने से शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है, जिससे सुख-समृद्धि आती है।

4. लोहा और नीले रंग की चीजें चढ़ाएं

शनिदेव को लोहे की वस्तुएं और नीले रंग की चीजें जैसे वस्त्र अर्पित करना लाभकारी होता है।

  • यह उपाय जीवन के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।

  • शनि दोष और साढ़ेसाती से छुटकारा मिलता है।

5. दीप जलाना और मंत्र जाप

शनि त्रयोदशी के दिन सरसों के तेल का दीप जलाना शुभ माना गया है।

  • दीप जलाते समय शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करना चाहिए।

  • यह उपाय मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता लाता है।

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शनि त्रयोदशी पर विशेष पूजन विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।

  2. पूजन स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।

  3. शनिदेव और शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।

  4. शनिदेव को काले तिल, सरसों का तेल, काले चने, और नीले फूल अर्पित करें।

  5. सरसों के तेल का दीप जलाकर शनि मंत्र का जाप करें।

  6. गरीबों और जरुरतमंदों को काले वस्त्र, अनाज और दान दें।

शनि त्रयोदशी से जुड़ी प्राचीन मान्यताएं

  1. हनुमान जी और शनि की कथा
    एक कथा के अनुसार, जब शनिदेव हनुमान जी को शनि दशा से पीड़ित कर रहे थे, तब हनुमान जी ने तिल के तेल से उनका दर्द शांत किया। शनिदेव ने प्रसन्न होकर वचन दिया कि जो व्यक्ति उन्हें तिल और तेल अर्पित करेगा, वह उनके प्रकोप से बचा रहेगा।

  2. काले तिल और पितृदोष
    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनि त्रयोदशी पर काले तिल अर्पित करने से पितृदोष का निवारण होता है।

  3. दान का महत्व
    इस दिन दान-पुण्य करना विशेष फलदायी माना गया है। गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

शनि त्रयोदशी पर क्या न करें

  1. किसी का अपमान न करें।

  2. झूठ बोलने और कपट करने से बचें।

  3. अंधविश्वास के चक्कर में न पड़ें।

  4. दूसरों के प्रति कटुता और शत्रुता से बचें।

शनि त्रयोदशी का समापन

शनि त्रयोदशी एक ऐसा अवसर है, जब शनिदेव की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करना चाहिए। शनि दोष और साढ़ेसाती जैसी समस्याओं से बचने के लिए ऊपर बताए गए उपाय अपनाएं और जीवन को खुशहाल बनाएं।

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