शनिदेव को ज्योतिष शास्त्र और सनातन धर्म में अत्यंत विशेष स्थान प्राप्त है जो व्यक्ति को कर्म के अनुसार फल देते है। शनि के वक्री होने पर कैसा होगा आपकी राशि पर असर?जानने के लिए पढ़ें।
ज्योतिष एवं धार्मिक दृष्टि से शनि देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, इन्हें हिन्दू धर्म में न्याय के देवता कहा गया है, तो वहीँ ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को नवग्रहों में से प्रमुख ग्रह और मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी माना गया है। भगवान शनि की टेढ़ी नज़र, कुंडली में शनि साढ़े सत्ती या ढैय्या लोगों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। जब भी शनि ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करते है, तो इसका सीधा असर आम लोगों के जीवन पर पड़ता है। शनि अब बहुत जल्द ही वक्री होने जा रहे हैं, कैसा होगा आपके जीवन पर शनि के वक्री होने का प्रभाव और कैसे बचें इसके प्रभावों से? आइये जानते है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी ग्रह का राशि परिवर्तन होता है, तो उसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। न्याय के देवता व कर्मफलदाता शनिदेव 29 अप्रैल को मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं। शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही कुछ राशियों पर शनि की साढ़े सत्ती व ढैय्या की शुरुआत होती है और कुछ राशियों को इससे मुक्ति मिलती है। लेकिन जब शनि की चाल में परिवर्तन होता है, तो शनि महादशा की चपेट में वापस से कुछ राशियां आ जाएंगी।
नवग्रहों में शनि को सबसे धीमा चलने वाला ग्रह माना गया है। शनि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में कम से कम ढाई साल का समय लेते हैं। शनिदेव ने 29 अप्रैल को कुंभ राशि में प्रवेश किया है, और इस राशि में शनि ग्रह के प्रवेश के साथ ही मिथुन व तुला राशि वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल गई थी। वहीं कर्क व वृश्चिक राशि वाले की शनि ढैय्या शुरू हो गई हैं।
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शनि के वक्री होने का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा, लेकिन जिन दो राशियों पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा वह है मिथुन और तुला राशि। मिथुन राशि और तुला राशि के जातक यदि शनि के प्रकोप से बचना और उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इन उपायों को करना आपके लिए फलदायी होगा।
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✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी