Shri Shiv Chalisa: शिव चालीसा का पाठ कब और कैसे करें? जानें सम्पूर्ण नियम और लाभ

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Shri Shiv Chalisa: शिव चालीसा का पाठ कब और कैसे करें? जानें सम्पूर्ण नियम और लाभ

हिंदू धर्म में भगवान शिव को भोलेनाथ, त्रिपुरारी, नीलकंठ और महादेव जैसे कई नामों से जाना जाता है। कहा जाता है कि शिव जी अपने भक्तों की पुकार तुरंत सुनते हैं और बहुत ही सरलता से प्रसन्न हो जाते हैं। शिव की स्तुति के लिए अनेक मंत्र, स्तोत्र और चालीसा उपलब्ध हैं, लेकिन शिव चालीसा एक ऐसा माध्यम है जो श्रद्धा और भाव के साथ शिव जी को समर्पित किया गया है।

अगर आप भी जीवन के संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं, भाग्य को जगाना चाहते हैं या शिव जी की कृपा अपने जीवन में पाना चाहते हैं, तो शिव चालीसा का नियमित पाठ आपके लिए एक अचूक उपाय हो सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि शिव चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए, क्या हैं इसके नियम, और इसके लाभ क्या-क्या हैं।

शिव चालीसा का महत्त्व

शिव चालीसा एक चालीस चौपाइयों वाला स्तुति पाठ है जो भगवान शिव की महिमा का बखान करता है। इसे पढ़ते समय भगवान शिव की शक्ति, उनके रूप, उनके अवतारों और उनके भक्तों के प्रति करुणा का वर्णन मिलता है। शास्त्रों में वर्णित है कि जो भी श्रद्धा से शिव चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन से संकट दूर होते हैं, मानसिक शांति प्राप्त होती है और अध्यात्म की ओर रुझान बढ़ता है।

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कब करें शिव चालीसा का पाठ?

1. प्रतिदिन करें पाठ (अगर संभव हो)

अगर आपकी दिनचर्या अनुमति देती है तो शिव चालीसा का पाठ हर दिन करें। प्रातःकाल या संध्या के समय यह पाठ करना उत्तम होता है। इससे न केवल आपका दिन अच्छा जाएगा बल्कि मानसिक रूप से भी आप सशक्त महसूस करेंगे।

2. हर सोमवार करें पाठ

यदि प्रतिदिन पाठ करना संभव न हो तो सप्ताह में कम से कम सोमवार के दिन शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें। सोमवार को शिव जी का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन शिव चालीसा का पाठ करने से विशेष पुण्य और लाभ मिलता है।

3. विशेष अवसरों पर करें

शिवरात्रि, मासिक शिवरात्रि, सावन मास, प्रदोष व्रत और त्रयोदशी जैसे अवसरों पर शिव चालीसा का पाठ करने से अत्यधिक लाभ होता है। इस दिन पाठ करने से कार्य में आ रही अड़चनें दूर होती हैं और मनोकामना पूर्ण होती है।

||दोहा||

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

||चौपाई||

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

 

किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

||दोहा||

नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥

अर्थ सहित शिव चालीसा पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

कैसे करें शिव चालीसा का पाठ?

1. शुभ समय का चयन करें

  • सुबह स्नान कर शुद्ध होकर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।

  • अगर संध्या के समय कर रहे हैं तो स्नान करके शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।

2. शिवलिंग या चित्र के सामने करें पाठ

भगवान शिव के चित्र या शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाकर चंदन, अक्षत और बेलपत्र अर्पित करें। उसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें।

3. भाव और श्रद्धा होनी चाहिए

पाठ करते समय मन एकाग्र होना चाहिए। दिल में शिव जी के प्रति श्रद्धा और विश्वास हो, तभी उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।

4. पाठ की संख्या

  • सामान्यत: एक बार शिव चालीसा का पाठ करना पर्याप्त होता है।

  • विशेष मनोकामना या व्रत के दौरान आप इसे 11, 21 या 108 बार भी कर सकते हैं।

शिव चालीसा पाठ के नियम

  1. शुद्धता का पालन करें: पाठ से पहले शरीर और मन की शुद्धता जरूरी है। साफ कपड़े पहनें और किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

  2. नियमितता रखें: अगर आप किसी विशेष उद्देश्य के लिए शिव चालीसा का पाठ शुरू कर रहे हैं तो उसे एक निश्चित समय तक रोजाना करें।

  3. शिव मंत्र के साथ आरंभ करें: पाठ शुरू करने से पहले 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें, फिर चालीसा शुरू करें।

  4. बेलपत्र अर्पित करें: शिव पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है। पाठ के बाद भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें।

  5. संकल्प लें: यदि आप किसी मनोकामना पूर्ति हेतु पाठ कर रहे हैं तो पाठ के पहले संकल्प लें और पाठ पूरा होने के बाद उस उद्देश्य के लिए प्रार्थना करें।

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शिव चालीसा पाठ के लाभ

1. संकटों से मुक्ति

शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन के बड़े से बड़े संकट धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। विशेषकर यदि आप किसी पारिवारिक, स्वास्थ्य या आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, तो यह पाठ चमत्कारिक सिद्ध हो सकता है।

2. मन को शांति मिलती है

जो लोग मानसिक तनाव, चिंता या अवसाद से ग्रसित हैं, उनके लिए शिव चालीसा एक मानसिक चिकित्सा की तरह काम करता है। रोजाना पाठ करने से मन शांत होता है और आत्मबल बढ़ता है।

3. शत्रुओं से रक्षा

यदि कोई व्यक्ति शत्रु बाधा से परेशान है या किसी प्रकार के कोर्ट-कचहरी के मामलों में उलझा है तो शिव चालीसा का पाठ उसे विजय दिलाने में सहायक होता है।

4. धन-समृद्धि में वृद्धि

शिव जी को प्रसन्न कर आर्थिक संकटों को दूर करने के लिए भी शिव चालीसा का पाठ बहुत उपयोगी है। विशेष रूप से सोमवार के दिन किए गए पाठ से धन लाभ के योग बनते हैं।

5. कुंडली दोषों से मुक्ति

शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से कुंडली में मौजूद पितृ दोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु या शनि की अशुभ दृष्टि का प्रभाव कम होता है।

शिव चालीसा किसे पढ़नी चाहिए?

  • जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा, शनि, राहु-केतु की पीड़ा हो

  • जो मानसिक तनाव, अवसाद या भय से ग्रसित हों

  • जिनके जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हों

  • जो अपने करियर, विवाह या संतान सुख की प्राप्ति के लिए प्रयासरत हों

  • जिन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होना हो

विशेष सुझाव

  • शिव चालीसा पाठ के समय मोबाईल या टीवी जैसी चीजों से दूरी बनाए रखें।

  • कोशिश करें कि पाठ करते समय केवल भगवान शिव पर ध्यान केंद्रित हो।

  • पाठ समाप्त होने के बाद 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।

  • सोमवार को व्रत के साथ पाठ करें तो और भी लाभ मिलेगा।

  • बच्चों और बुजुर्गों को भी शिव चालीसा पढ़ने या सुनने के लिए प्रेरित करें।

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शिव चालीसा का पाठ कहां करें?

आप शिव चालीसा का पाठ घर, मंदिर, पूजा कक्ष या किसी शांत स्थान पर कर सकते हैं। यदि आप यात्रा में हों या किसी कारणवश घर से बाहर हों, तो मोबाइल या किताब की सहायता से कहीं भी पाठ किया जा सकता है, बस मन की एकाग्रता और श्रद्धा बनी रहनी चाहिए।

शिव चालीसा और त्रयोदशी व्रत

शिव चालीसा का पाठ त्रयोदशी व्रत के दिन विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय शिवलिंग पर जल अर्पित कर शिव चालीसा का पाठ करें। इससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और शिवलोक की प्राप्ति होती है।

शिव चालीसा केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि यह भगवान शिव से आत्मिक जुड़ाव का एक सशक्त माध्यम है। जब जीवन में कहीं रास्ता न दिखे, समस्याओं ने घेर लिया हो या आत्मबल कमजोर हो रहा हो, तब शिव चालीसा वह प्रकाश बन सकती है जो आपको मार्ग दिखा दे।

श्रद्धा, भक्ति और नियम के साथ शिव चालीसा का पाठ करें, भगवान शिव अवश्य आपकी सुनेंगे।

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