मनुष्य के दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग है शयन। शयन अर्थात सोना या नींद लेना। आज के भाग- दौड़ भरे जीवन में व्यक्ति इतना व्यस्त है कि न तो उस आराम की चिंता हैं और न ही खाने-पीने की। लेकिन कहा गया है कि तंदुरूस्त और स्वस्थ रहने के लिए इन सारी चीजों का ध्यान रखना आवश्यक है। दिनचर्या के अनुसार पूरी नींद भी लेना जरूरी है। शास्त्रों में दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने के तरीके को ही सही तरीका माना गया है।
मनुष्य, पशु- पक्षी, पेड़- पौधे सभी सोते हैं। शयन किस तरह हमारे स्वास्थ्य और चेतना के लिए लाभदायी हो सकता है, इसके लिए शास्त्रों में बकायदा निर्देश दिए गए हैं। सोते समय व्यक्ति के पैर दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए, यानी कि उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए। इसके बजाय पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए। सही दिशा में सिर रखकर सोने से लंबी आयु प्राप्त होती है और स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है। इसके विपरीत उत्तर या पश्चिम दिशा में सिर रखकर सोने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। शास्त्रों के अनुसार यह अपशकुन भी है।
नींद का मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके लिए भी कुछ नियम तय किए हैं। ताकि शयन क्रिया का अधिक से अधिक लाभ हमें प्राप्त हो सके। संध्या समय में न सोना, सोते समय दक्षिण दिशा की ओर पैर न रखना, जैसे अनेक निर्देश शास्त्रों में दिए गए हैं।
पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना विज्ञान सम्मत प्रक्रिया माना जाता है जो अनेक रोगों को दूर रखती है। पृथ्वी ध्रुव पर आधारित है। ध्रुव के आकर्षण से दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रगतिशील विद्युत तरंग प्रवाह हमारे सिर में प्रवेश करता है और पैरों के रास्ते निकलता है। ऐसा होने से पाचन क्रिया अच्छी होती है। जिससे भोजन आसानी से पच जाता है। जब हम सुबह उठते हैं तो मस्तिष्क विशुद्ध वैद्युत परमाणुओं से परिपूर्ण एवं स्वस्थ होता है। इसीलिए सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर रखना महत्वपूर्ण माना गया है। अनिद्रा से हो परेशान? मन रहता है उदास? तो हो सकता है आपके घर में वास्तु दोष, देश के प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लेने के लिए क्लिक करें।
दक्षिण दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर रखना एक ऐसी स्थिति है जिसमें शवों को रखा जाता है। इस दिशा में सोना वर्जित है। जब व्यक्ति उत्तर दिशा में सिर रखकर सोता हैं उसे भयानक व बुरे स्वप्न आते हैं। इससे व्यक्ति की नींद बार- बार टूटती है। पृथ्वी का उत्तरी छोर और मनुष्य का सिर उत्तर दिशा में एक साथ आए तो प्रतिकर्षण बल कार्य करता है। उत्तर दिशा में जैसे ही व्यक्ति सिर रखता है, प्रतिकर्षण बल काम करने लगता है। इससे व्यक्ति के शरीर में संकुचन आता है। संकुचन से शरीर में रक्त का प्रवाह पूरी तरह से नियंत्रण के बाहर चला जाता है। ब्लड प्रैशर बढ़ने से नींद नहीं आती है। मन में हमेशा अशांत व चंचल रहता है।
पूर्व दिशा पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्व न्यूट्रल दिशा है! मतलब न तो वहाँ आकर्षण बल है, न प्रतिकर्षण बल। यदि है भी तो दोनों एक दूसरे को संतुलित किए हुए हैं। इस लिए पूर्व दिशा में सिर रखकर सोने पर व्यक्ति भी नूट्रल रहेंगा, जिससे आसानी से नींद आएगी।
नींद से उठने के बाद
सुबह उठने से पहले व्यक्ति को अपनी हथेलियां रगड़नी और हथेलियों को अपनी आंखों पर रखना चाहिए। जिससे हाथों में उपस्थित नाड़ियां जागृत होती हैं और शरीर तत्काल सजग हो जाता है। सुबह जगने पर व्यक्ति सुस्त व थका हुआ महसूस करता है, तो वह ऐसा करके देखे। पूरा शरीर तत्काल सजग हो जाएगा। जिससे व्यक्ति तरोताजा होकर उठेंगा और अपनी दिनचर्या की शुरूआत बेहतर ढंग से कर सकेगा।
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