Tulsi Vivah Samagri: क्या आपने कभी सोचा है कि तुलसी विवाह क्यों मनाया जाता है और इसका हमारे जीवन से क्या संबंध है? हिंदू धर्म में कार्तिक मास की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह का आयोजन सदियों से होता आ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी और माता तुलसी का पवित्र विवाह संपन्न होता है।
क्या आप जानते हैं कि तुलसी विवाह करवाने से जीवन में शुभता और समृद्धि आती है? ऐसा माना जाता है कि इस अनुष्ठान से दांपत्य जीवन में प्रेम, स्थिरता और सौभाग्य का संचार होता है। यही कारण है कि हर साल भक्त पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ तुलसी विवाह का आयोजन करते हैं।
क्या आप भी इस साल तुलसी विवाह विधिवत रूप से करना चाहते हैं? इसके लिए कुछ विशेष पूजन सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम तुलसी विवाह सामग्री सूची को विस्तार से जानेंगे ताकि आप इस पवित्र अवसर को सही तरीके से मना सकें और भगवान विष्णु व माता तुलसी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
सामग्री जुटाने के बाद तुलसी विवाह की विधि इस प्रकार होती है –
स्नान और शुद्धि: पूजा से पहले सभी को स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए।
मंडप सजाना: तुलसी जी के चारों ओर सुंदर मंडप बनाकर फूलों और दीपों से सजाया जाता है।
कलश स्थापना: कलश में जल, आम के पत्ते और नारियल रखकर स्थापना की जाती है।
आवाहन: भगवान गणेश और भगवान विष्णु का आह्वान कर पूजा प्रारंभ की जाती है।
तुलसी और शालिग्राम की सजावट: तुलसी माता को दुल्हन की तरह और शालिग्राम जी को दूल्हे की तरह सजाया जाता है।
विवाह मंत्रोच्चारण: पंडित या घर का सबसे बड़ा सदस्य विवाह मंत्रों के साथ तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराता है।
माला बदलना: तुलसी और शालिग्राम को फूलों की माला पहनाई जाती है।
फेरे और मंगलसूत्र बांधना: प्रतीकात्मक रूप से विवाह की रस्म पूरी की जाती है।
आरती और प्रसाद वितरण: विवाह के बाद आरती की जाती है और प्रसाद बांटा जाता है।
तुलसी विवाह के लाभ (Tulsi Vivah Ke Labh)
वैवाहिक जीवन में सुख: जो व्यक्ति तुलसी विवाह का आयोजन करता है, उसके दांपत्य जीवन में प्रेम और स्थिरता आती है।
धन और समृद्धि की प्राप्ति: भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलने से घर में आर्थिक स्थिरता आती है।
पुण्य और मोक्ष प्राप्ति: तुलसी विवाह करवाने से व्यक्ति को वही फल मिलता है जो कन्यादान से मिलता है।
कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष फलदायक: जो कन्या इस दिन तुलसी विवाह का व्रत रखती है, उसे उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह के दिन क्या न करें (Tulsi Vivah Ke Din kya n Karen)
इस दिन किसी का अपमान या झूठ बोलना अशुभ माना जाता है।
तुलसी के पौधे को छूने से पहले स्नान जरूर करें।
इस दिन मांसाहार, शराब या तामसिक भोजन से परहेज करें।
तुलसी के पत्ते शाम के समय नहीं तोड़ने चाहिए।
तुलसी विवाह हिंदू परंपरा का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है। इस दिन तुलसी माता और भगवान विष्णु के मिलन का उत्सव पूरे श्रद्धा और आनंद से मनाया जाता है। अगर आप तुलसी विवाह का आयोजन कर रहे हैं, तो ऊपर दी गई तुलसी विवाह की सामग्री आपके लिए एक पूर्ण मार्गदर्शक है। इन वस्तुओं को पहले से तैयार रखकर आप विधिवत पूजा कर सकते हैं और अपने घर में भगवान विष्णु और तुलसी माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।