ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत को सभी पूर्णिमा एवं व्रतों में से सबसे फलदायी माना गया है विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए। कब किया जाएगा वर्ष 2022 में ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत? क्यों है ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत बेहद ख़ास? जानने के लिए पढ़ें।
हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ माह का अत्यंत महत्व होता है और इस महीने में आने वाली पूर्णिमा को भी बहुत फलदायी माना जाता है। प्रत्येक माह में आने वाली पूर्णिमा का अपना एक विशेष स्थान है लेकिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का बहुत ही महत्व हैं। धार्मिक दृष्टि से पूर्णिमा पर स्नान, दान-धर्म एवं अन्य पुण्य कर्म करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, साथ ही व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत को बेहद पावन माना गया है और इस दिन हिंदू विवाहित स्त्रियों द्वारा व्रत किया जाता है जो देवी सावित्री को अपना आदर्श मानती हैं। इस व्रत को मुख्य रूप से पूर्णिमा के दिन करते है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ के महीने में आता है। वहीं, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत सामान्य रूप से मई या जून के महीने में आता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2022 की तिथि
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु के लिए वट पूर्णिमा व्रत भी किया जाता है। इस व्रत को प्रेम और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है जो सभी विवाहित स्त्रियां अपने पति की समृद्धि एवं कुशलता के लिए करती हैं। देवी सावित्री के अतिरिक्त, इस दिन महिलाएं ब्रह्मा जी, नारद जी और यम देव की भी पूजा-अर्चना करती हैं। सावित्री के पति सत्यवान को यम देव ने सावित्री जी की प्रार्थना के बाद पुर्नजीवित किया था, जिसके लिए देवी ने कठोर तप किया था। इस व्रत से जुड़ीं ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्रियों को एक सुखी-वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कबीरदास जयंती को भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, संत कबीर का जन्म ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि पर हुआ था, इसलिए प्रति वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि पर कबीरदास जयंती मनाई जाती है। भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे कबीरदास जो कबीर पंथ के संस्थापक भी थे। इसके अलावा, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत भी किया जाता है।
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धार्मिक दृष्टिकोण से ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, पुण्य कर्म और ध्यान कर्म करना विशेष रूप से फलदायी होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन उन लोगों के लिए बेहद ख़ास होता है, जिन युवक और युवतियों के विवाह में समस्या आ रही होती है या फिर उनका विवाह रुक गया हो। ऐसे जातक, यदि इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर शिवलिंग का अभिषेक और भगवान शिव का पूजन करते है, तो उनके विवाह के मार्ग में आने वाली हर समस्या एवं बाधा दूर हो जाती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर विशेष उपायों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है, आइये जानते है इन उपायों के बारे में।
हिंदू धर्म के लोग ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करके इसके प्रति आदर, सम्मान और श्रद्धा प्रकट करते हैं।
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✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी