आषाढ़ का महीना हिन्दू वर्ष में चौथा महीना होता है और इस महीने में आने वाले सभी व्रत एवं त्योहारों का अपना विशेष महत्व होता है। अगर आप भी ढूंढ रहे है आषाढ़ मास 2022 के व्रत और त्योहारों की सूची, तो अभी पढ़ें।
हिंदू पंचांग में आने वाले प्रत्येक माह का अपना महत्व होता है लेकिन इनमें आषाढ़ माह को विशेष माना गया है जो हिंदू वर्ष का चतुर्थ माह या चौथा महीना होता है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ का महीना चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ माह के बाद आता है। हिन्दुओं के लिए आषाढ़ का महीना बेहद ख़ास होता है क्योंकि मान्यता है कि यह महीना भगवान विष्णु को अतिप्रिय हैं इसलिए इस माह में इनका पूजन करना कल्याणकारी होता है। आषाढ़ माह में और क्या है ख़ास और कौन से व्रत एवं त्योहार है इस महीने? जानने के लिए पढ़ें।
हिंदू कैलेंडर में आषाढ़ मास को वर्ष का चौथा महीना माना गया है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सामान्य रूप से जून और जुलाई के बीच में आता है। आषाढ़ माह की गिनती साल के सबसे पवित्र महीनो में होती है और इस महीने को वर्षा ऋतु का माह भी कहा जाता है। आषाढ़ मास का आरम्भ 15 जून 2022 को बुधवार के दिन से होने जा रहा है।
जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु को बहुत प्रिय है आषाढ़ मास और इस महीने में अनेक पर्वों एवं त्योहारों को मनाया जाता है। आषाढ़ के महीने में दान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि यह महीना जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है और इस माह के दौरान दान-पुण्य करना बेहद ही फलदायक माना गया है। इस महीने में तांबा, कांसा, आंवला, खड़ाऊ, छाता, नमक, गुड़, चावल, तिल, मिट्टी का पात्र, गेहूं आदि का दान करना शुभ माना जाता है।
आषाढ़ के महीने में ही चातुर्मास का आरंभ होता है और इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य सम्पन्न नहीं किए जाते हैं। श्रावण का प्रथम महीना चातुर्मास को माना गया है जिसे सावन का महीना भी कहते है। भगवान शिव को सावन का महीना समर्पित होता है, वहीँ आषाढ़ मास को ध्यान, योग और अध्ययन के लिए सर्वोत्तम माना गया है। आषाढ़ मास के महत्व को जानने के बाद अब हम जानेंगे आषाढ़ माह के व्रत एवं त्योहारों के बारे में।
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आषाढ़ के महीने में अनेक पवित्र एवं शुभ व्रत और त्योहार आते है जिनका अपना महत्व होता है। इस माह के दौरान आने वाले व्रत एवं पर्वों की तिथि इस प्रकार है:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते है जिसे संक्रांति कहा जाता है। एक साल में 12 संक्रांतियां आती है। इन्हीं में से एक है मिथुन संक्रांति और इस दिन सूर्य वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करते है। मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है।
मिथुन संक्रांति 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
संकष्टी गणेश चतुर्थी विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होती हैं और इस दिन गणेश जी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक माह की चतुर्थी को गणेश जी का पूजन किया जाता है। सभी चतुर्थी तिथियों को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी तिथि और पूजा मुहूर्त
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी: 17 जून, शुक्रवार
कृष्णपिङ्गल संकष्टी का मुहूर्त
पितृ दिवस यानी फादर्स डे दुनियाभर में अपने पिता के प्रति आदर एवं सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मातृ दिवस या मदर्स डे के समान ही मनाया जाता है। इस दिन संतान अपने पिता के सामने किसी उपहार या गिफ्ट कार्ड के रूप में अपना प्रेम, स्नेह और आदर प्रकट करते हैं।
फादर्स डे की तिथि: 19 जून,रविवार
सनातन धर्म में हर माह आने वाली मासिक कालाष्टमी व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी को मनाया जाता है जो भगवान शिव के उग्र रूप भगवान भैरवनाथ को समर्पित होती है। इस तिथि पर भगवान भैरवनाथ की विधि-विधान से पूजा- अर्चना की जाती है।
कालाष्टमी तिथि और पूजा मुहूर्त
सनातन धर्म में योगिनी एकादशी को अत्यधिक कल्याणकारी माना गया है जो सभी एकादशियों में से अत्यंत फलदायी मानी जाती है। यह जातक को अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने में सहायता करती है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते है।
योगिनी एकादशी 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
प्रदोष व्रत या प्रदोषम व्रत हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध व्रत है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। प्रत्येक माह में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत आता है। इस व्रत को दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। आषाढ़ माह में प्रदोष व्रत की तिथियां इस प्रकार है:
प्रदोष व्रत 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
जैन धर्म के लोगों का अत्यंत विशेष व्रत है रोहिणी व्रत जो जैन धर्म के लोगों द्वारा किया जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से रोहिणी नक्षत्र के दिन करने की परंपरा हैं इसलिए इस व्रत को रोहिणी व्रत के नाम से जाना जाता है। रोहिणी नक्षत्र की समाप्ति पर रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है।
रोहिणी व्रत की तिथि: 27 जून, सोमवार
भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। इस दिन महादेव की पूजा-अर्चना विधि पूर्वक करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं। पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है।
मासिक शिवरात्रि 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या वह तिथि होती है जिसमें चंद्रमा पूरी तरह से छिप जाता है। हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक माह को दो भागों में बांटा गया है जिसमें 15 दिनों तक चंद्रमा का आकार बढ़ता है, उसे शुक्ल पक्ष कहते है। वहीँ, पूर्णिमा के बाद चांद का आकार धीरे-धीरे कम होते हुए अमावस्या तिथि पर चन्द्रमा पूरा लुप्त हो जाता है, इसे कृष्ण पक्ष कहते हैं। इसी प्रकार आषाढ़ मास की अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या कहते है।
आषाढ़ अमावस्या 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, देवी दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का त्यौहार वर्ष में कुल चार बार आता हैं। इनमें से चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि आम भक्तजनों द्वारा मनाए जाते है जबकि माघ एवं आषाढ़ नवरात्रि गुप्त होते जो तांत्रिकों द्वारा मनाए जाते हैं। इन दौरान साधक देवी की शक्ति साधना करते है माँ को प्रसन्न करने के लिए।
आषाढ़ नवरात्रि 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
रथ यात्रा हिन्दुओं का एक बेहद पवित्र त्यौहार है जो हर साल ओडिशा के पुरी में स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में आयोजित की जाती है। रथ यात्रा का दिन आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के दौरान द्वितीया तिथि पर निर्धारित किया जाता है। वर्तमान में यह दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में जून या जुलाई के महीने में आता है।
रथ यात्रा 2022 की तिथि और मुहूर्त:
हिंदू पंचांग में हर चंद्र महीने में दो चतुर्थी तिथियां आती हैं और इस दिन भगवान गणेश की आराधना की जाती है। पूर्णिमा तिथि के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते है और अमावस्या के पश्चात शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
विनायक चतुर्थी 2022 तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है जो देवी दुर्गा को समर्पित होता है। दुर्गाष्टमी पर माता दुर्गा की उपासना की जाती हैं और इस दिन मां के लिए व्रत भी रखा जाता है।
मासिक दुर्गाष्टमी 2022 तिथि और मुहूर्त
गौरी व्रत हिन्दुओं का पवित्र व्रत है और ये व्रत देवी पार्वती को समर्पित होता है। इस व्रत को मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है जो अविवाहित कन्याओं द्वारा अच्छे पति की प्राप्ति के लिए किया जाता हैं। आषाढ़ के महीने में गौरी व्रत को 5 दिनों तक मनाया जाता है। यह व्रत शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर पांच दिनों के बाद पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।
गौरी व्रत 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी से भगवान श्रीहरि विष्णु के शयनकाल की शुरुआत हो जाती है, यही वजह है कि इसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत जून या जुलाई में किया जाता है।
देवशयनी एकादशी 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
भारत में दक्षिण के राज्यों में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को भक्त भगवान शिव का सानिध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते है। पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत को चन्द्र माह की कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। आषाढ़ माह का प्रदोष व्रत सोमवार के दिन होने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
सोम प्रदोष व्रत 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन आषाढ़ पूर्णिमा व्रत किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले पूजन का विशेष महत्व होता है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जाता हैं।
आषाढ़ पूर्णिमा 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पारंपरिक रूप से गुरुओं की पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा पर सभी शिष्य अपने गुरुओं के प्रति आदर-सम्मान प्रकट करते हुए उनका पूजन करते हैं। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, साथ ही इस दिन को महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
आषाढ़ मास के व्रत एवं त्यौहारों के बारे में अधिक जानने के लिए, अभी बात करें एस्ट्रोयोगी के वैदिक ज्योतिषियों से।
✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी