
हनुमान तांडव स्तोत्र: हर मंगलवार बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन अगर आप सच्चे मन से हनुमान जी का स्मरण करें, व्रत रखें और तांडव स्तोत्र का पाठ करें, तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। ज्योतिष और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी की आराधना करने से बिगड़े काम बनते हैं, शनि और राहु-केतु से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और आत्मिक शांति का अनुभव होता है।
आज हम बात करेंगे एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र की—हनुमान तांडव स्तोत्र। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन की हर दिशा में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलता है। तो आइए जानते हैं इस स्तोत्र का महत्त्व, पाठ विधि और इससे मिलने वाले चमत्कारी लाभ।
हनुमान तांडव स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है, जिसमें हनुमान जी के बल, बुद्धि, पराक्रम और भक्ति को दर्शाया गया है। यह स्तोत्र उन भक्तों के लिए रामबाण उपाय है, जो जीवन में बार-बार आ रही परेशानियों से थक चुके हैं। इसे पढ़ते समय हनुमान जी के तांडव रूप की कल्पना की जाती है, जो सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाला होता है।
वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥
सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं। वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न॥
भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्॥१॥
सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न।
इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥
सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ।
कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम्॥३॥
सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम्।
प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः॥४॥
प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत्।
विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम्॥५॥
नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम्।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम्॥६॥
रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम्।
विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम्॥७॥
नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः।
सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम्॥८॥
इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः।
प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह॥९॥
नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे। लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥
ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्॥
हनुमान तांडव स्तोत्र का पाठ करने के लिए आपको किसी विशेष पूजन विधि या बड़े आयोजन की जरूरत नहीं है, परंतु शुद्धता और श्रद्धा सबसे जरूरी होती है।
पाठ की विधि इस प्रकार है:
ब्रह्म मुहूर्त में उठें – सुबह 4 से 6 बजे के बीच उठें।
स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें – सफेद या भगवा रंग का वस्त्र उत्तम रहता है।
हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएं।
लाल फूल, चोला, सिंदूर और गुड़-चना अर्पित करें।
अब शांत चित्त होकर स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ के बाद हनुमान जी की आरती करें।
प्रसाद वितरण करें और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान दें।
शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति
मेष, कुंभ, मीन, सिंह, धनु जैसे राशियों के जातक जिनकी शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, उन्हें विशेष लाभ होता है।
राहु-केतु की बाधा दूर होती है
जिनकी कुंडली में राहु-केतु की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो, उन्हें मानसिक तनाव, अचानक दुर्घटना, कोर्ट-कचहरी जैसी समस्याएं घेर लेती हैं। यह स्तोत्र इनसे मुक्ति देता है।
संकटों का नाश और कार्यों में सफलता
यह स्तोत्र “संकट मोचन” का सार है। यह हर उस व्यक्ति के लिए लाभकारी है, जिसे अपने कार्यों में बार-बार विघ्न का सामना करना पड़ रहा हो।
शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि
यह स्तोत्र आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाता है। मन की अशांति, डर, भ्रम और चिंता खत्म होती है।
भूत-प्रेत बाधा से रक्षा
यह स्तोत्र एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। बच्चों, महिलाओं और वृद्धों को विशेष रूप से लाभ होता है।
व्यापार, नौकरी और कोर्ट मामलों में सफलता
यदि बार-बार प्रयास करने पर भी तरक्की नहीं मिल रही है, तो इस स्तोत्र का पाठ मंगलवार और शनिवार के दिन करें।
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हर मंगलवार और शनिवार को
हनुमान जयंती या पूर्णिमा के दिन
ग्रहों के कष्ट या राहु-केतु-दोष निवारण के लिए विशेष रूप से
हनुमान जी की आरती करें – “आरती कीजै हनुमान लला की…”
लाल वस्त्र या चोला दान करें।
गाय को गुड़ और चना खिलाएं।
जरूरतमंदों को लाल कपड़े या भोजन दान करें।
महिलाएं भी इस स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह पाठ सुरक्षात्मक कवच का कार्य करता है।
विद्यार्थी और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोग भी मानसिक एकाग्रता के लिए इसका पाठ कर सकते हैं।
हनुमान तांडव स्तोत्र केवल एक स्तुति नहीं बल्कि आत्मशक्ति, विश्वास और निर्भयता का मंत्र है। जब आप इस स्तोत्र का पाठ करते हैं तो न केवल भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि आपके भीतर की शक्ति भी जागृत होती है। यह आपको नकारात्मक ऊर्जा से लड़ने, आत्मविश्वास बढ़ाने और जीवन में बाधाओं को पार करने की क्षमता प्रदान करता है।
मंगलवार को यह पाठ करें और खुद अनुभव करें बजरंगबली की कृपा।
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