हरिद्वार – हरि तक पंहुचने का द्वार

Tue, Nov 29, 2016
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Tue, Nov 29, 2016
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
हरिद्वार – हरि तक पंहुचने का द्वार

भारत में धार्मिक स्थलों का जब भी जिक्र आता है तो एक स्थल, एक नाम बरबस ही अपनी और आकर्षित करता है। एक ऐसी नगरी जिसे धर्मनगरी माना जाता है। एक ऐसा स्थल जहां मां गंगा पथरीले रास्तों से मुक्त होती हैं। एक ऐसा स्थान जिसके घर-घर में उत्तर भारत के लोगों की वंश बेल का इतिहास दर्ज है। एक ऐसा नाम जिसका अर्थ ही श्री हरि तक पंहुचने का द्वार है। जहां हर और हर-हर की जयकार है। जी हां यह हरिद्वार है।


हरि और हर का द्वार


उत्तराखंड में स्थित धर्म की नगरी हरिद्वार को भारत के प्रमुख पवित्र तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है। मोक्ष की तलाश में लोग काशी और प्रयाग की तरह ही हरिद्वार को भी पवित्र भूमि मानते हैं। लेकिन हरिद्वार के हरिद्वार कहलाने के पिछे सिर्फ यही कारण नहीं है बल्कि 7वीं शती तक तो हरिद्वार का नाम मायापुरी के रुप में ही प्रचलित था। लेकिन मध्यकाल में मायापुरी, कनखल, ज्वालापुर तथा भीमगोड़ा आदि क्षेत्रों को मिलाकर हरिद्वार या हरद्वार कहा जाने लगा। हरिद्वार का नाम हरिद्वार होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है गंगा के उत्तरी भाग में बसे भगवान विष्णु और भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों का रास्ता यहां से जाना। बदरीनाथ एवं केदारनाथ जाने के लिये हरिद्वार होकर ही जाना पड़ता है। भगवान विष्णु को चूंकि श्री हरि भी कहा जाता है और बाबा भोलेनाथ को हर इसलिये हरिद्वार को हरिद्वार और हरद्वार दोनों ही नामों से जाना जाता है।


मोक्षदायिनी सप्त मायापुरियों में से एक


हरिद्वार के लिये हरिद्वार या हरद्वार नाम का जिक्र वैसे तो हरिवंशपुराण में भी आता है और महाभारत काल में भी गंगाद्वार नाम से इसके प्रमुख तीर्थ स्थल होने के उल्लेख मिलते हैं। लेकिन पौराणिक रुप से हरिद्वार के लिये माया और मायापुरी नाम अधिक प्रचलित थे। मायापुरी को मोक्षदायिनी सप्तपुरियों में से एक माना जाता है। आज भी मायापुरी नाम का हरिद्वार का हिस्सा काफी प्रसिद्ध है। पूरे हरिद्वार में सिद्धपीठ, शक्तिपीठ के साथ अनेक नये पुराने मंदिर बने हुए हैं।


पौराणिक महत्व


पौराणिक ग्रंथों एवं उपनिषदों के अनुसार कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ तो उस मंथन से प्राप्त अमृत की कुछ बूंदे यहां पर गिरी थी। यह भी माना जाता है कि यही वो पावन धरा है जहां पर विदुर जैसे ज्ञानी पुरूष ने मैत्री मुनि के यहां अध्ययन किया। कपिल मुनि की तपोभूमि भी इस स्थल को माना जाता है। इसलिये इसे कपिलास्थान भी कहा जाता है।


हरिद्वार के दर्शनीय स्थल


वैसे तो शिवालिक पहाड़ियों की श्रंखला में बसे हरिद्वार को प्रकृति ने अपनी नेमतों से नवाज़ा है जिससे यह पूरा क्षेत्र दर्शनीय है फिर भी प्राकृतिक नजारों के अलावा हरि और हर के इस द्वार पर अनेक दर्शनीय स्थल हैं जो प्रत्येक हिंदू के लिये असीम आस्था के केंद्र हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-


मोक्षदायिनी गंगा

मोक्षदायिनी मां गंगा का विहंगम दृश्य यहां पर देखा जा सकता है। मां गंगा पहाड़ियों से निकलकर मैदानी इलाकों में प्रवेश यहीं से करती हैं। यहीं हर साल शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के अवसर पर सुदूर क्षेत्रों से शिवभक्त भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिये गंगाजल लेकर अपनी पदयात्रा का आरंभ करते हैं और अपने-अपने क्षेत्र में जाकर शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

 

हर की पौड़ी


मां गंगा के तट पर बना यह घाट भारत के सबसे पवित्र घाटों में से एक माना जाता है कहा जाता है कि यहीं पर राजा श्वेत ब्रह्मा की पूजा कर उनसे वरदान मांगा था जिसके बाद हर की पौड़ी के जल को ब्रह्मकुंड कहा गया। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि विक्रमादित्य ने अपने भाई भृतहरि की याद में इस घाट को बनावाया था। यहां की मान्यता है कि इसमें स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। यहां पर शाम को होने वाली मां गंगा की महाआरती भी आकर्षण का केंद्र होती है।


हरिद्वार के मंदिर


हरिद्वार में छोटे-बड़े, नवीन-प्राचीन अनेक मंदिर हैं। इनमें से बलवा पर्वत की चोटी पर स्थित मनसा देवी मंदिर, गंगा नदी के दूसरी और नील पर्वत पर स्थित चंडी देवी मंदिर, देवी सती के हृद्य और नाभि गिरने से स्थापित हुई भारत की प्रमुख शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माया देवी मंदिर यहीं पर स्थित है। माया देवी को तो हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है। सप्त सागर के नाम से प्रसिद्ध सप्तऋषि आश्रम भी यहां स्थित है। इस आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है। इसके पिछे की मान्यता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहां सात ऋषि तपस्या में लीन थे ऐसे में देवी गंगा ने उनकी तपस्या को भंग न करते हुए अपना ही मार्ग बदल कर सात धाराओं में विभाजित कर लिया इसी कारण इसे सप्त सागर भी कहा जाता है। देवी सती के पिता राजा दक्ष की याद में बना एक प्राचीन मंदिर भी नगर के दक्षिण में स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया था जिसमें अपने पति भगवान शिव के अपमान को देख सती यज्ञ कुंड में कुद गई थीं।


कैसे पहुँचें हरिद्वार


हरिद्वार तक पंहुचने के लिये आपको ज्यादा प्रयास करने की जरुरत नहीं है आप जिस भी माध्यम से यहां आने का मन बनायेंगें वह आपको सुलभ हो जायेगा। सड़क और रेलमार्ग से तो देश के लगभग हर कौने से हरिद्वार जुड़ा है लेकिन वायुमार्ग से यदि आप आने चाहते हैं तो आपको लगभग जॉली ग्रांट हवाईअड्डे से 20 किलोमीटर का सफर और तय करना पड़ेगा। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से यहां के लिये नियमित उड़ाने होती रहती हैं।  

हरि के द्वार का मार्ग इतना भी आसान नहीं हैं जब बिना श्री हरि की मर्जी के एक पत्ता नहीं हिल सकता तो आपको वे अपने दरबार में कैसे बुला सकते हैं या फिर हो सकता है आपके पापकर्मों का फल ही प्रभु आप को अपने से दूर रख दे रहे हों। लेकिन आपसे प्रभु क्यों नाराज हैं और कैसे वे आप पर मेहरबान हो सकते हैं इसके लिये आप परामर्श कर सकते हैं देश भर के जाने-माने ज्योतिषाचार्यों से और भारत की पहली एस्ट्रोलॉजर ऐप के जरिये यह और भी आसान हो गया है। तो देर किस बात की बस एक क्लिक करें और डाउनलोड करें एस्ट्रोलॉजर ऐप।


अन्य धार्मिक स्थलों के बारे में पढ़ें

गंगा मैया देती हैं जीवात्मा को मोक्ष   |   अमरनाथ - बाबा बर्फानी की कहानी   |   पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर   |   

यहाँ भगवान शिव को झाड़ू भेंट करने से, खत्म होते हैं त्वचा रोग   |   विज्ञान भी है यहाँ फेल, दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है यह शिवलिंग   |

चमत्कारी शिवलिंग, हर साल 6 से 8 इंच बढ़ रही है इसकी लम्बाई    |   कामाख्या मंदिर वाममार्गी साधना का सर्वोच्च शक्ति पीठ   |   

कंकालीन मंदिर में गिरा था देवी सती का कंगन   |   वैष्णो देवी मंदिर   |   ज्वाला देवी मंदिर   |   शक्तिपीठ की कहानी   |   

शीतला माता का प्रसिद्ध मंदिर   |   तनोट माता मंदिर   |   करणी माता मंदिर

article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
Spiritual Retreats and Travel
article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
Spiritual Retreats and Travel
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!