Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बन रहे हैं ये दो शुभ योग

Wed, Aug 17, 2022
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Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बन रहे हैं ये दो शुभ योग

Krishna Janmashtami 2022: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी) का बहुत महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन के बाद भाद्रपक्ष माह आता है। वैसे तो भाद्रपक्ष माह में कई त्योहार मनाये जाते हैं, लेकिन इन सभी में सबसे खास कृष्ण जन्माष्टमी होती है।  जन्माष्टमी की पूजा खासकर मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में विधि-विधान और धूमधाम से की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है।  

ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। निसंतान स्त्रियां संतान की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करती हैं। हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में और सूर्य सिंह राशि में था। एस्ट्रोयोगी पर देश के प्रसिद्ध ज्योतिषियों से जानें अपना राशिफल 

जन्माष्टमी 2022 कब है 

हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2022 में 18 अगस्त दिन गुरुवार को जन्माष्टमी मनाई जायेगी। वहीं, 19 अगस्त दिन शुक्रवार को इस्कॉन जन्माष्टमी मनाई जायेगी।  

जन्माष्टमी की तिथि: 18 अगस्त 2022,  गुरुवार
अष्टमी तिथि का आरंभ: 18 अगस्त, गुरुवार रात्रि  09:21 से 
अष्टमी तिथि का समाप्त: 19 अगस्त, शुक्रवार रात्रि 10:59 तक 
चंद्रोदय : रात्रि 11:04 (18 अगस्त)

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे हैं ये खास योग

साल 2022 की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दो खास योग बन रहे हैं। जन्माष्टमी पर अभिजीत मुहूर्त 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। वहीं, वृद्धि योग 17 अगस्त को दोपहर 08 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। धुव्र योग 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 08 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। व्रत पारण का समय 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद होगा।

जन्माष्टमी पर ऐसे करें पूजा 

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • घर के मंदिर में साफ-सफाई कर दीप प्रज्वलित करें।
  • इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप मतलब लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है।
  • लड्डू गोपाल का जलाभिषेक कर, उनको झूले में बैठाएं।
  • लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।
  • भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगायें।
  • लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।
  • इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।
  • रात्रि में 12 बजे भगवान का जन्मदिन मनायें, भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें।
  • भगवान को दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराये।
  • इसके बाद वस्त्र पहनाकर इत्र लगायें।
  • मान्यता है कि इस दौरान नाल वाले खीरे की नाल भी काटी जाती है।
  • लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा, फल, मक्खन, पंजीरी का भोग भी लगाएं।
  • लड्डू गोपाल की आरती करें।
  • इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।

क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। देवकी, मथुरा के राजा कंस की बहन थीं। कंस एक अत्याचारी, क्रूर और निर्दयी राजा था। उसके राज्य में सभी लोग उसके अत्याचार से परेशान हो चुके थे। देवकी का विवाह राजा वासुदेव के साथ हुआ। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक कंस अपनी बहन और बहनोई को रथ पर विदा कराकर ले जा रहा था, इस दौरान एक आकाशवाणी हुई कि कंस, देवकी का आठवां पुत्र तुम्हारा वध करेगा। 

यह सुनकर कंस ने देवकी और वासुदेव को बंदी गृह में डाल दिया। कंस ने देवकी के सात बच्चों को मार डाला। कहा जाता है कि जब माता देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में माता यशोदा व नंद बाबा के पास पहुंचा दें। जिससे भगवान श्रीकृष्ण को कंस कुछ नुकसान न पहुंच पायेे।

उस दिन बंदी गृह के द्वार खुल गये और पहरेदार सो गये। वासुदेव श्रीकृष्ण को नंद बाबा के घर छोड़ आये। भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया। श्रीकृष्ण के जन्म से संसार में पाप का विनाश हुआ। इसलिए उनके जन्म को लोग उल्लास के साथ मनाते हैं।   

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✍️By- टीम एस्ट्रोयोगी

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