दीपावली प्रकाश का त्यौहार हैं जो यह सीख देता हैं कि व्यक्ति के जीवन में सुख दुःख सदैव आता-जाता रहता है। इसलिए मनुष्य को वक्त की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए। न दुःख से टूटना चाहिए और ना ही सुख का घमंड करना चाहिए। दिवाली का महत्व ही यही हैं जो उसकी पौराणिक कथाओं में छिपा हुआ हैं कैसे भगवान का स्वरूप होते हुए भी राम, लक्ष्मण एवम सीता को जीवन में कष्ट सहना पड़ा। इस त्यौहार के पीछे जिस राम के चरित्र का वर्णन हैं वो मनुष्य जीवन का आधार हैं और रावण का चरित्र भी मनुष्य को यही सीख देता हैं कि कोई कितना भी ज्ञानवान क्यों न हो अगर घमंड के बिछौने पर सोयेगा तो उसका अंत निश्चित हैं। इस प्रकार यह प्रकाश पर्व मनुष्य को अन्धकार से प्रकाश की तरफ जाने का संकेत है।
14 नवंबर 2020 को कार्तिक मास की अमावस्या तिथि है। भले ही इस दिन अमावस्या है किन्तु हिन्दू धर्म के रोशनी के पर्व यानी ‘दिवाली’ से पूरा भारत जगमगाता रहता है। पुराणों के अनुसार उस दिन से यह त्यौहार मनाया जा रहा है जब श्रीराम लंकापति रावण को पराजित कर और अपना वनवास समाप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे। उस दिन अयोध्यावासियों ने कार्तिक अमावस्या की रात अपने-अपने घरों में घी के दीप प्रज्वलित कर खुशियाँ मनाई थी।
ज्योतिष के अनुसार इस दिन दिवाली पूजन करने की विशेष महत्त्व है। दिवाली पर विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन करने की परंपरा है। माँ लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश पूजन, कुबेर पूजन एवं बही-खाता पूजन भी किया जाता है। दिवाली पर उपासक को अपने सामर्थ्य के अनुसार व्रत करना चाहिए। उपासक या तो निर्जल रहकर या फलाहार व्रत कर सकता है।
माँ को वस्त्र में लाल या पीले रंग का रेशमी वस्त्र प्रिय है। देवी लक्ष्मी की पूजा में दीपक, कलश, कमल पुष्प, जावित्री, मोदक, श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार के फल, गुलाब, चन्दन इत्र, चावल, केसर की मिठाई, शिरा आदि का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। दीप प्रज्वलित करने हेतु गाय घी, मूंगफली या तिल के तेल के प्रयोग से लक्ष्मी माँ को प्रसन्न किया जाता है।
लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में ही करना चाहिए और यह समय संध्याकाळ के पश्चात आरंभ होगा। हालाँकि इसमें भी स्थिर लग्न में माँ लक्ष्मी की पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है। स्थिर लग्न में पूजन कार्य करने से माँ लक्ष्मी घर में वास करती है। वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है।
शुभ दीपावली तिथि - 14 नवंंबर 2020, शनिवार
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 17 बजकर 28 मिनट से 19 बजकर 24 मिनट तक
प्रदोष काल- 17:28 से 20:07 तक
वृषभ काल- 17:28 से 19:24 तक
अमावस्या तिथि आरंभ- दोपहर 14 बजकर 17 मिनट (14 नवंबर 2020) से
अमावस्या तिथि समाप्त- सुबह 10 बजकर 36 मिनट (15 नवंबर 2020) तक
प्रेम, सद्भावना और प्रकाश के पर्व दीवाली के शुभावसर पर एस्ट्रोयोगी की टीम की तरफ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और हम कामना करते हैं कि आपका जीवन में खुशनुमा और प्रकाशमय रहें।
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