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Bhai Dooj 2022: भाई दूज को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना गया है जो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। कब है भाई दूज, कैसे और किस मुहूर्त में करें भाई दूज की पूजा? जानें।
भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते एवं प्रेम का प्रतीक माना गया है जो सनातन धर्म का प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से जाना जाता है। भाई दूज (Bhai Dooj) को प्रति वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार दीपावली के दूसरे दिन आता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन बहन द्वारा भाई का तिलक करने पर भाई को यम का भय नहीं रहता है। भाई दूज पर पूजा से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करें।
भाई दूज के दिन सभी बहनें अपने भाइयों का तिलक करके उनकी दीर्घायु और सुख समृद्धि की प्रार्थना करती है और भाई अपनी बहन को शगुन स्वरूप कोई उपहार भेंट करता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भाई दूज के दिन यम देव अपनी बहन यमुना के निमंत्रण पर उनके घर भोजन के लिए गए थे।
हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है भाई दूज जिससे पूरे विधि-विधान एवं रीति रिवाजों के साथ मनाया जाता है। भाई दूज पर इस प्रकार करें अपने भाई के तिलक:
भाई दूज (Bhai Dooj 2022) का त्यौहार 26 अक्टूबर 2022, बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज तिलक मुहूर्त: दोपहर 01:12 बजे से 03:27 बजे तक (समयावधि - 2 घण्टे 14 मिनट्स )
द्वितीया तिथि आरम्भ: 26 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02:42 बजे से
द्वितीया तिथि समाप्त: 27अक्टूबर 2022 को दोपहर 12:45 बजे तक
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्य देव के पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। एक दिन यमराज बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने पर यमुना के घर पहुंचे। इससे प्रसन्न होकर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और उनका तिलक किया, साथ ही उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। जब यमराज ने बहन यमुना से मनचाहा वर मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे घर आएँगे और इस तिथि पर जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज को अति प्रसन्नता हुई और उन्हें आशीष दिया। इसी दिन से भाई दूज या यम द्वितीया के पर्व की शुरुआत हुई। भैया दूज पर यमुना नदी में स्नान का अत्यंत महत्व है, ऐसा कहा जाता है कि भाई दूज पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य प्राप्त होता है।
श्रीकृष्ण और सुभद्रा की कथा
शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, भाई दूज के दिन ही श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और द्वारिका वापिस लौटे थे। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा ने अनेक दीप जलाकर, मिठाई और फल,फूल द्वारा उनका स्वागत किया था। साथ ही, भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर सुभद्रा ने तिलक लगाकर उनके लंबे जीवन की कामना की थी। तब से ही भाई दूज पर सभी बहनें अपने भाइयों के मस्तक पर तिलक करती हैं और भाई उन्हें कोई भेंट देते हैं।
आगामी पर्व त्यौहार : 👉 धनतेरस ➔दिवाली ➔गोवर्धन पूजन ➔ छठ पूजा ➔तुसली विवाह ➔ गुरु नानक जयंती
✍️ BY- टीम एस्ट्रोयोगी