दिवाली के त्यौहार की तैयारियां कई दिन पहले शुरु हो जाती हैं लेकिन दिवाली उत्सव का आरम्भ धनतेरस से होता है। धनतेरस समुद्र मंथन अमृत कलश लेकर प्रकट होने वाले देव धन्वंतरि की आराधना का त्यौहार है, साथ ही यह त्यौहार धन की वर्षा करने वाला भी है। यदि धनतेरस के दिन विधिवत पूजा की जाये तो निश्चित तौर पर समृद्धि आपके द्वार पर स्वंय चलकर आयेगी। आपकी आर्थिक तंगी एवं धन सम्बंधित समस्याओं का निवारण होता है। इस वर्ष धनतेरस 2021 का पर्व 02 नवंबर,मंगलवार को मनाया जाएगा। हम आपको ऐसे ही कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिससे यह धनतेरस आपके लिए धन-धान्य से परिपूर्ण करने वाली सिद्ध हो सकती हैं।
धनतेरस देवताओं को अमृतपान कराकर अमर करने वाले धन्वंतरि का प्रकट दिवस के रूप में माना जाता है। यह दिन भगवान धन्वंतरि को समर्पित होती है। धन्वंतरि का पूजन करने के लिए एक नया झाड़ू एवं सूपड़ा खरीदकर उनकी पूजा करें।
पंडितजी का कहना है कि इसी दिन दीप जलाने की पंरपरा भी है इसलिये सांयकाल में दीपक प्रज्जवलित करें घर, दफ्तर, दुकान आदि की सफाई करें। मंदिर, गौशाला, नदी, तालाब, कुंए आदि सार्वजनिक स्थलों पर भी दीप जरूर जलायें।
अपने सामर्थ्य के अनुसार चांदी, पीतल, तांबे या फिर कांसे के नये बर्तन या आभूषणों की खरीदारी करें।
धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक भी माना जाता है इसलिये अच्छी सेहत के लिये हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें और तत्पश्चात कार्तिक स्नान करें।
दिवाली के मौके पर कार्तिक स्नान का काफी महत्व होता है। प्रदोष काल में स्नान करके घाट, गौशाला, बावड़ी, कुएं, मंदिर आदि स्थानों पर लगातार तीन दिन तक दीपक जलाने चाहियें।
धन तेरस पर पूजा अर्चना अच्छी सेहत व धनलाभ पाने के लिये होती है और धन का देवता कुबेर को माना जाता है। इसलिये कुबेर की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिये। उसके बाद शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गद्दी बिछानी चाहिये। नई गद्दी न भी हो तो कोई बात नहीं पुरानी गद्दी को अच्छे से साफ कर उसे पुन: स्थापित किया जा सकता है उसके बाद उस पर कोई नया वस्त्र बिछाना चाहिये। कुबेर का पूजन सांयकाल के पश्चात तेरह दीपक जलाकर, तिजोरी में करना चाहिये। पूजा के लिये निम्न ध्यानमंत्र का उच्चारण करके फिर कुबेर देवता को पुष्प अर्पित करने चाहिये।
निधीश्वर कुबेर की पूजा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से इस मंत्र के साथ करनी चाहिये
“यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।”
इसके बाद कपूर से आरती उतारकर पुष्प अर्पित करें।
धनतेरस को ही यम यानि मृत्यु के देवता की पूजा का भी दिन माना जाता है। यम के निमित्त दीपदान भी इस दिन करना चाहिये। मान्यता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। धनतेरस के दिन सांयकाल तिल के तेल से दीपक जलाना चाहिये और यम देवता का पूजन करना चाहिये। चूंकि दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है इसलिये दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके दीप प्रज्जवलित कर गंध, पुष्प, अक्षत आदि से यम देवता की पूजा करनी चाहिये।
धन तेरस पर उपरोक्त उपाय करने से निश्चित ही धन्वंतरि, कुबेर एवं यम देवता प्रसन्न होंगे व आपके घर को खुशियों से भर देंगें।
धनतेरस का यह त्यौहार आपके लिये धन-धान्य से परिपूर्ण और स्वास्थ्यवर्धक करने वाला हो, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ एस्ट्रोयोगी की ओर से आप सबको धनतेरस की हार्दिक बधाई।