Dhanteras Par Kya Kharide: क्या आपने कभी सोचा है कि दीपावली की शुरुआत का पहला दिन धनतेरस इतना खास क्यों माना जाता है? इस साल 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस का यह शुभ पर्व मनाया जाएगा। कहा जाता है, इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर देव की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है।
क्या सच में धनतेरस पर सिर्फ सोना या चांदी खरीदना ही शुभ होता है? बहुत से लोग यही सोचते हैं, लेकिन शास्त्र बताते हैं कि शुभता का संबंध वस्तु की कीमत से नहीं, बल्कि आपकी श्रद्धा से होता है। चाहे ₹5 की वस्तु लें या ₹5000 की, भावनाएं ही परिणाम तय करती हैं।
तो आखिर इस धनतेरस पर क्या खरीदना आपके लिए सबसे शुभ रहेगा? कौन-सी चीजें समृद्धि लाती हैं और किन वस्तुओं से दूर रहना चाहिए? इन सवालों के जवाब आपको न केवल धनतेरस की परंपरा समझने में मदद करेंगे, बल्कि आपकी पूजा को और भी मंगलमय बना देंगे।
धनतेरस का शाब्दिक अर्थ ही है — “धन” यानी समृद्धि और “तेरस” यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि। इस दिन भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन स्वास्थ्य और आयु की कामना से उनकी पूजा की जाती है।
माता लक्ष्मी की भी विशेष आराधना की जाती है ताकि घर में धन, वैभव और समृद्धि बनी रहे। यही कारण है कि लोग इस दिन नई चीजें खरीदते हैं ताकि आने वाला साल मंगलमय हो।
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मिट्टी का दीपक इस दिन की सबसे पवित्र वस्तु मानी जाती है। यह सिर्फ अंधकार मिटाने का साधन नहीं बल्कि नकारात्मकता को खत्म कर सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का प्रतीक है।
कैसे करें प्रयोग: दीपक को घर के मुख्य द्वार या तुलसी के पौधे के पास जलाएं। माना जाता है कि इससे दरिद्रता दूर होती है और मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं।
गोमती चक्र को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। इसकी पूजा करने से धन और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
कहां रखें: इसे अपने पूजा घर या तिजोरी में रखें। यह घर में धन का प्रवाह बढ़ाता है और आर्थिक स्थिरता लाता है।
धनतेरस पर हल्दी की गांठ खरीदना और घर में रखना गुरु ग्रह को मजबूत करता है। यह परिवार में सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में स्थिरता लाता है।
टिप: इसे पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी या पूजा स्थल पर रखें।
अगर आप थोड़ा निवेश करना चाहते हैं, तो चांदी का सिक्का बेहद शुभ होता है। इसे लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा वाले सिक्के के रूप में खरीदा जाए तो और भी मंगलकारी होता है।
ध्यान दें: पूजा के बाद सिक्के को तिजोरी में रखें या अपने पर्स में शुभ चिन्ह के रूप में रखें।
धनतेरस पर पीतल और तांबे के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है क्योंकि ये ग्रह दोषों को दूर करने में सहायक होते हैं।
क्यों: माना जाता है कि इन धातुओं में पॉजिटिव एनर्जी को आकर्षित करने की क्षमता होती है, जो घर में स्वास्थ्य और समृद्धि बढ़ाती है।
धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की परंपरा भी प्रचलित है। यह दरिद्रता को दूर करने और घर में लक्ष्मी का वास लाने का प्रतीक है।
शर्त: इसे कभी पैरों से न छुएं और पूजा के दिन के बाद प्रयोग में लाएं।
धनतेरस के दिन कुबेर देव की प्रतिमा या चित्र खरीदना शुभ होता है। इससे व्यापार में वृद्धि और आर्थिक सफलता मिलती है।
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धनतेरस की खूबसूरती ही यही है कि इसमें "राशि" नहीं, "भावना" मायने रखती है। अगर आप ज्यादा खर्च नहीं कर सकते, तो सिर्फ ₹1 या ₹11 की भी कोई शुभ वस्तु खरीद सकते हैं — जैसे मिट्टी का दीपक, हल्दी की गांठ या गोमती चक्र। क्योंकि शास्त्र कहते हैं:
“श्रद्धा से खरीदी गई छोटी वस्तु भी बड़े परिणाम दे सकती है।”
धनतेरस का शुभ मुहूर्त (Dhanteras Ka Shubh Muhurat)
साल 2025 में धनतेरस के दिन अमृत काल सबसे शुभ समय रहेगा।
अमृत काल: सुबह 8:50 बजे से 10:33 बजे तक
इस दौरान की गई खरीदारी से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पूरे वर्ष आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
जिस तरह कुछ चीजें खरीदना शुभ होता है, वैसे ही कुछ वस्तुएं अशुभ भी मानी गई हैं।
लोहे की वस्तुएं: इससे नकारात्मकता और कलह बढ़ने का डर रहता है।
काले रंग की चीजें: ये ग्रह दोष बढ़ा सकती हैं और सुख-समृद्धि में बाधा डालती हैं।
टूटे या फटे सामान: इन्हें इस दिन घर में लाना दरिद्रता का प्रतीक माना गया है।
कांच के बर्तन: ये नाजुकता और अस्थिरता के प्रतीक हैं, इसलिए इन्हें न खरीदें।
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धनतेरस केवल खरीदारी का नहीं, बल्कि दान-पुण्य और सेवा का दिन भी है।
किसी गरीब को भोजन कराना या गौ माता की सेवा करना इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
अगर आप किसी जरूरतमंद को कपड़े, दीपक या मिठाई देते हैं, तो उसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
इससे घर में न केवल सकारात्मकता आती है, बल्कि आत्मिक शांति भी मिलती है।
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धनतेरस हमें यह सिखाता है कि समृद्धि केवल धन-संपत्ति में नहीं, बल्कि मन की श्रद्धा और भावना में है। अगर आप श्रद्धा से दीपक जलाते हैं, तो वह आपके जीवन से नकारात्मकता मिटाकर सौभाग्य का प्रकाश फैलाता है।
धनतेरस का सार यही है —
“शुभता धन की मात्रा से नहीं, भावना की गहराई से तय होती है।”
तो इस धनतेरस, चाहे आप ₹1 का दीपक खरीदें या चांदी का सिक्का, बस नीयत और आस्था से उसे घर लाएं। मां लक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी, और आपके जीवन में उजाला, समृद्धि और शांति का दीप सदा जलता रहेगा।
धनतेरस पर्व केवल वस्तु खरीदने का अवसर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि का भी प्रतीक है। इस दिन की गई छोटी-सी खरीदारी, अगर सच्चे मन से की जाए, तो जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकती है।
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तो इस 18 अक्टूबर, श्रद्धा से एक दीपक जलाएं, घर को सजाएं और अपने मन में सकारात्मकता का दीप जलाएं। क्योंकि अंततः, धनतेरस का अर्थ ही है – “अपने जीवन में शुभता और प्रकाश का स्वागत।”