Amalaki Ekadashi 2025: कब है आमलकी एकादशी व्रत, जाने व्रत कथा, पूजा विधि

Thu, Nov 30, 2023
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Thu, Nov 30, 2023
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
Amalaki Ekadashi 2025: कब है आमलकी एकादशी व्रत, जाने व्रत कथा, पूजा विधि

Aamlaki Ekadashi 2025: भारत में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि सदैव महाशिवरात्रि और होली पर्वों के बीच में आती है। वर्ष 2025 में ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार आमलकी एकादशी सोमवार, मार्च 10, 2025 के दिन आएगी।

एस्ट्रोयोगी ऐप पर एस्ट्रोलॉजर्स से कंसल्ट करना एकदम आसान है। अभी ऐप डाउनलोड करें और एक सरल और सहज अनुभव का आनंद लें।

आमलकी एकादशी 2025 व्रत तिथि व मुहूर्त

  • आमलकी एकादशी 2025 तिथि - 10 मार्च 2025, सोमवार 

  • पारण का समय - 11 मार्च 2025, को सुबह: 06:35 से सुबह: 08:13 बजे तक

  • एकादशी तिथि शुरु- 09 मार्च, सुबह 07:45 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त- 10 मार्च, 07:44 बजे 

आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि

आमलकी एकादशी में भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन विष्णु भक्त ‘आमलकी एकादशी व्रत’ रखते हैं और इस व्रत में आंवले के वृक्ष की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि यह पावन तिथि समस्त पापों का विनाश करने की शक्ति रखती है और जो फल सौ गायों का दान करने से प्राप्त होता है, उतना ही फल इस एक आमलकी एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करने से प्राप्त होता है। यह माना जाता है कि आवलें के वृक्ष की उत्पत्ति श्री विष्णु के मुख से हुई थी, इसलिए इस दिन आवलें के वृक्ष की पूजा की जाती है।

यह भी पढ़ें:👉 कब है एकादशी 2025 व्रत तिथि 

आमलकी एकादशी व्रत के समापन की क्रिया को पारण कहा जाता है और इसे व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी तिथि में सूर्योदय के पश्चात किया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले अवश्य हो जाना चाहिए। किन्तु यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाए तब भी इस व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।

सभी श्रद्धालुओं के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी के भीतर ना होने से इसे पाप तुल्य समझा जाता है। किन्तु यह भी जान लें कि द्वादशी तिथि की पहली एक-चौथाई तिथि, हरी वासर के समाप्त होने के बाद ही पारण करना चाहिए।

व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय : प्रातः काल
किस समय व्रत ना तोड़े : मध्यान्ह (दोपहर)

तिथियों के हेर-फेर में कभी-कभी आमलकी एकादशी व्रत निरंतर दो दिन हो जाता है। ऐसे में पहले दिन एकादशी व्रत रखना चाहिए| किन्तु दूसरें दिन यानि दूजी एकादशी के दिन सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखने वाले श्रद्धालुओं को व्रत रखना चाहिए। जब भी एकादशी व्रत दो दिन होता है, तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं। इच्छानुसार भगवान विष्णु के परम भक्तजन दोनों दिन भी व्रत रख सकते हैं।

संबंधित लेख:

योगिनी एकादशी   |   निर्जला एकादशी   |   कामदा एकादशी   |   कामिका एकादशी का व्रत   |   इंदिरा एकादशी  मोक्षदा एकादशी   |   जया एकादशी   |   रमा एकादशी   |  सफला एकादशी   |   पौष पुत्रदा एकादशी

उत्पन्ना एकादशी   |   आमलकी एकादशी   |   मोहिनी एकादशी   |   देवशयनी एकादशी   |   पापमोचिनी एकादशी  श्रावण शुक्ल एकादशी   |   अजा एकादशी   |   परिवर्तिनी एकादशी   |   षटतिला एकादशी

अगर आप एकादशी व्रत से जुड़ी अन्य ज्योतिषीय जानकारी जानना चाहते हैं या अपनी व्यक्तिगत कुंडली के आधार पर कोई सलाह प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं।

 

article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
Pooja Performance
article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
Pooja Performance
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!