वो आया, उसने भाला उठाया और उसने कर दिखाया! जी हां, बीते शनिवार 07 अगस्त 2021 के दिन 23 वर्षीय भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने वो कर दिखाया जिसकी किसी को भी उम्मीद तक नहीं थी। टोक्यो ओलंपिक स्टेडियम में नीरज चोपड़ा ने एक बेजोड़ स्वैगर और बेपरवाह रवैये के साथ कदम रखा और ग्रे-टेल्ड जेवलिन को पुरुषों के जेवलिन थ्रो फाइनल में मैदान को ध्वस्त करने के लिए 87.58 मीटर की दूरी पर भेजकर भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर 121 साल के सूखे को खत्म कर दिया। वहीं नीरज के गोल्ड के साथ भारत ने टोक्यो ओलंपिक में कुल 7 मेडल हासिल करते हुए पदक तालिका में 66वें स्थान से 47वें स्थान पर छलांग लगा दी।
एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को पानीपत के खंडरा गांव में हुआ था। नीरज ने गोल्ड मेडल अपने नाम करते हुए भारत के पहले स्वर्ण पदक जीतने वाले एथलीट के रूप में स्वर्णिम उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में विश्व एथलेटिक्स ने पुरुषों के जेवलिन थ्रो की ताजा रैंकिंग को जारी किया है, इस रैंकिंग में नीरज चोपड़ा ने दूसरा स्थान हासिल किया है। आपको बता दें कि नायब सूबेदार नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी हैं जो भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने 2018 एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारत को गोल्ड मेडल दिलाया है। तो आइए आज हम ज्योतिष के माध्यम से जानते हैं आखिर नीरज चोपड़ा के गोल्डन बॉय बनने के पीछे किन ग्रहों का खेल रहा है?
कुंडली ➔ कुंडली मिलान ➔ कुंडली दोष ➔ कुंडली के योग ➔ कुंडली में लगन भाव ➔ कुंडली दशा
दरअसल नीरज चोपड़ा का जन्म मीन लग्न, तुला राशि में हुआ है। वर्तमान में महादशा बृहस्पति की चल रही है, जो कि लग्न व कर्म का स्वामी है। खेल का कारक मंगल उच्च का 11वें भाव में पराक्रम के स्वामी के साथ बैठा है। बृहस्पति और मंगल का 11वें घर में केंद्र त्रिकोण का राजयोग बनाना, कोई बड़ी उपलब्धि देने वाला होता है। नीरज चोपड़ा की कुंडली का विश्लेषण करने पर ज्ञात हुआ
साल 1999 से 2017 तक राहु महादशा चल रही था, जो जातक के देश-विदेश का भ्रमण तो कराता है लेकिन उपलब्धि नहीं मिलती है।
राहु सूर्य की राशि में बैठा हुआ है राहु के समय में नीरज चोपड़ा ने बहुत स्ट्रगल बहुत मेहनत की होगी, लेकिन बड़ी सफलता उन्हें नहीं मिल पाई।
हालांकि उन्हें छोटी-मोटी सफलता जरूर हासिल हुई थी लेकिन जैसे ही साल 2017 में बृहस्पति का आगमन हुआ उनके रास्ते की जो मुश्किलें थी, वह सभी हल हो गई।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, 07 अगस्त 2021 शनिवार के दिन गोचर में बृहस्पति की दृष्टि कर्म स्थान पर पड़ रही थी।
बृहस्पति का कर्म स्थान को देखना मतलब कार्यक्षेत्र में कोई बड़ी उपलब्धि का मिलना दर्शाता है। जिसके कारण इस दिन नीरज चोपड़ा ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।
वर्तमान में नीरज की कुंडली में बृहस्पति का सुख के घर में बैठकर कर्म स्थान को देखना बड़ी उपलब्धि दिलाने के संकेत दे रहा था।
इसके अलावा पराक्रम का स्वामी शुक्र व खेल का कारक मंगल एक साथ 11वें घर में बैठे हुए थे, जो एक अच्छा योग बना रहे थे।
वहीं मंगल का 11वें भाव में बैठना मान-सम्मान के अलावा धन में भी एक अच्छा योग बनाने वाला माना जाता है।
कुल मिलाकर नीरज के भाग्य के सितारे बुलंदियों पर थे, जिसकी वजह से उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। एस्ट्रोयोगी ज्योतिषियों का कहना है कि बृहस्पति की महादशा लंबी चलने वाली है, तो अगले 5-10 साल तक नीरज को यश, मान-सम्मान, धन और सुख-समृद्धि के योग बनते रहेंगे।
हमें उम्मीद है, भारत को भविष्य में ऐसी और जीत देखने को मिलेगी!