धनतेरस 2021 – धनतेरस पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Mon, Oct 11, 2021
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Mon, Oct 11, 2021
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
धनतेरस 2021 – धनतेरस पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

धनतेरस भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दिवाली पर्व का आरंभ धनतेरस से होता है। पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन धन तेरस मनाया जाता है। पंडितजी का कहना है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी क्योकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। साल 2021 में धनतरेस 02 नवंबर को है। धन तेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यदेव यमराज की पूजा-अर्चना को विशेष महत्त्व दिया जाता है। इस दिन को धनवंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

 

धनतेरस की पौराणिक कथा

यह तिथि विशेष रूप से व्यापारियों के लिए अति शुभ मानी जाती है। महर्षि धन्वंतरि को स्वास्थ्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय महर्षि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हुई। यह भी माना जाता है कि धनतेरस के शुभावसर पर चल या अचल संपत्ति खरीदने से धन में तेरह गुणा वृद्धि होती है।

एक और कथा के अनुसार एक समय भगवान विष्णु द्वारा श्राप दिए जाने के कारण देवी लक्ष्मी को तेरह वर्षों तक एक किसान के घर पर रहना था। माँ लक्ष्मी के उस किसान के रहने से उसका घर धन-समाप्ति से भरपूर हो गया। तेरह वर्षों उपरान्त जब भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी को लेने आए तो किसान ने माँ लक्ष्मी से वहीँ रुक जाने का आग्रह किया। इस पर देवी लक्ष्मी ने कहा किसान से कहा कि कल त्रयोदशी है और अगर वह साफ़-सफाई कर, दीप प्रज्वलित करके उनका आह्वान करेगा तो किसान को धन-वैभव की प्राप्ति होगी। जैसा माँ लक्ष्मी ने कहा, वैसा किसान ने किया और उसे धन-वैभव की प्राप्ति हुई। तब से ही धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन की प्रथा प्रचलित हुई।

धनतेरस पर कैसे मेहरबान होंगे भगवान कुबेर? एस्ट्रोयोगी पर इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से गाइडेंस लें। अभी परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।

 

धनतेरस पूजा की विधि

धनतेरस की संध्या में यमदेव निमित्त दीपदान किया जाता है। फलस्वरूप उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है। विशेषरूप से यदि गृहलक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है।

बर्तन खरीदने की परंपरा को पूर्ण अवश्य किया जाना चाहिए। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी इस विशेष दिन में नए बही-खाते खरीदते हैं जिनका पूजन वे दीवाली पर करते हैं।

ज्योतिषाचार्य की माने तो धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने का विशेष महत्व है। यह चन्द्रमा का प्रतीक है। चाँदी मनुष्य को जीवन में शीतलता प्रदान करता है। चूंकि चाँदी कुबेर की धातु है, धनतेरस पर चाँदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा की वृद्धि होती है। संध्या में घर मुख्य द्वार पर और आँगन में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं और दीवाली का शुभारंभ होता है।

राशिफल ➔  | आज का राशिफल ➔ |  साप्ताहिक राशिफल ➔ | मासिक राशिफल ➔  |  राशिफल 2021  ➔

 

धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त 2021

 

धनतेरस पूजा मुर्हुत: 06:18 PM से 08:10 PM तक

प्रदोष काल: 05:32 PM से 08:10 PM तक

वृषभ काल: 06:18 से रात 08:13 PM तक

 

त्रयोदशी तिथि आरंभ: सुबह 11:31 बजे से (2 नवंबर 2021)

त्रयोदशी तिथि समाप्त: सुबह 09:02 बजे तक (3 नवंबर 2021) 

 

संबंधित लेख

 

 

धनतेरस पर्व तिथि व मुहूर्त 2021  |   करवा चौथ 2021  |  गोवर्धन पूजन पर्व तिथि व मुहूर्त 2021  |  पर्व और त्यौहार 2021  |

 पूजा की विधि व महत्त्व   |  व्रत कथाएं   ।   दीवाली पूजा मंत्र   ।  लक्ष्मी-गणेश मंत्र   |   लक्ष्मी मंत्र    |  भैया दूज 2021   |   

 

article tag
Spirituality
Pooja Performance
Diwali
Festival
article tag
Spirituality
Pooja Performance
Diwali
Festival
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!