माता लक्ष्मी (Maa laxmi) के 8 स्वरूपों में से एक वरलक्ष्मी (varalakshmi vratam) का व्रत श्रावण मास के आखिरी शुक्रवार को होता है। इस साल ये व्रत 20 अगस्त को पड़ रहा है। कहते हैं कि वरलक्ष्मी व्रत (varalakshmi vratam) को परिवार की सलामती के लिए रखा जाता है और अविवाहित लड़कियां इस व्रत को नहीं रख सकतीं।
कहते हैं कि मां लक्ष्मी के आठवें स्वरूप के लिए ये व्रत रखा जाता है। लक्ष्मी जी का ये व्रत उनके अष्टलक्ष्मी पूजन का फल प्रदान करता है। मान्यता है कि वरलक्ष्मी (varamahalakshmi) का अवतरण दूधिया महासागर से हुआ था, जिसे क्षीर सागर भी कहा जाता है। खुद मां लक्ष्मी ने इस रूप में अवतार लिया था। आपको बता दें कि क्षीर सागर में भगवान विष्णु का वास माना जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष के दौरान आखिरी शुक्रवार को मनाया जाता है और राखी और श्रवण पूर्णिमा के कुछ दिन पहले आता है।
वरलक्ष्मी व्रत शुक्रवार, अगस्त 20, 2021 को
संबंधित आलेख 👉 आज का पंचांग ➔ आज की तिथि ➔ आज का चौघड़िया ➔ आज का राहु काल ➔ आज का शुभ योग ➔ आज के शुभ होरा मुहूर्त ➔ आज का नक्षत्र
मां लक्ष्मी के स्वरूप वरलक्ष्मी (varamahalakshmi) की उपासना करने से मनुष्य को सुख-समृद्धि और धन धान्य की प्राप्ति होती है। वरलक्ष्मी व्रत और पूजन मां लक्ष्मी को ही समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी विवाहित महिला पूरे विधि विधान से माँ लक्ष्मी की पूजा करती है तो माता की कृपा उस महिला और उसके परिवार पर ज़रूर बरसती है और उसके जीवन में कभी धन धान्य की कमी नहीं होती। इसके अलावा इस व्रत को करने वाले महिला के जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। जैसे आर्थिक परेशानी, क़र्ज़ आदि से मुक्ति मिलती है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, एकबार भगवान शंकर ने माता पार्वती को वरलक्ष्मी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। कहा जाता है कि मगध देश में कुंडी नाम का नगर हुआ करता था, जो सोने का बना हुआ था। इस नगर में एक स्त्री चारूमती रहती थी, जो कि एक आदर्श पत्नी की तरह अपने परिवार की देखभाल करती थी। परिवार की देखभाल के साथ-साथ चारूमती मां लक्ष्मी की भी अराधनी करती थी, जिसकी वजह से मां लक्ष्मी चारुमती से बहुत ही प्रसन्न रहती थीं।
एक बार की बात है, जब देवी लक्ष्मी ने चारुमती को सपने में दर्शन दिए और उसे वरलक्ष्मी व्रत रखने के लिए कहा। इस स्वप्न के बारे में चारूमती ने अपनी आस-पड़ोस की महिलाओं को भी बताया। चारूमती के सपने को सुनकर पड़ोस में रहने वाली महिलाओं ने भी श्रावण मास में पूर्णमासी से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी का व्रत रखा। चारूमती समेत सभी महिलाओं ने देवी लक्ष्मी द्वारा बताई गई विधि से पूजा की और उसके बाद कलश की परिक्रमा की। जैसे ही परिक्रमा पूरी हुई तो उन सभी के शरीर विभिन्न स्वर्ण आभूषणों से सज गए। उनके घर भी स्वर्ण के बन गए तथा उनके घर पर गाय, घोड़े, हाथी आदि वाहन आ गए। इस पर व्रत करनेवाली सभी महिलाओं ने चारूमती की प्रशंसा की क्योंकि उसी के कारण सभी को व्रत रखने का सौभाग्य मिला, जिससे सभी को सुख समृद्धि की प्राप्ति हुई। बाद में सभी नगर वासियों को इसी वरलक्ष्मी (varamahalakshmi) व्रत को रखने से सामान समृद्धि की प्राप्ति हो गई।
यह भी पढ़ें 👉 लक्ष्मी-गणेश मंत्र | लक्ष्मी मंत्र । पचमठा मंदिर - इस मंदिर में 3 बार रंग बदलती है मां लक्ष्मी की प्रतिमा । श्री लक्ष्मी जी की आरती