कार्तिक अमावस्या के दिन रोशनी का पर्व दीपावली को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी एवं गणेश की पूजा की जाती है तो चलिए जानते है कब, कैसे और किस मुहूर्त में करें दिवाली पूजा।
दिवाली का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना गया है जो हिन्दुओं का सबसे बड़ा और प्रमुख त्यौहार हैं। यह पर्व पांच दिनों तक निरंतर चलता है और प्रत्येक दिन का अपना महत्व होता है। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना हैं जिसमे ‘दीप का अर्थ है "रोशनी" और ‘वली का अर्थ है पंक्ति’, अर्थात रोशनी की एक पंक्ति। इस दिन जलने वाले दीप अपनी रोशनी से हमारी धरती को रोशन करते है और हर व्यक्ति में नए उत्साह एवं खुशी का संचार करते है।
हिंदू धर्म में दिवाली के पर्व का विशेष महत्व है जो धनतेरस से भाई दूज तक धूमधाम एवं आस्था के साथ मनाई जाती हैं। इस पर्व को भारत सहित दुनिया के कई देशों में उत्साह से मनाया जाता है। दीपावली को दिवाली या दीप उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के अतिरिक्त जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लोग भी दिवाली मनाते हैं। जैन धर्म में दिवाली के दिन ही भगवान महावीर को मोक्ष प्राप्त हुआ था।
यह दिवाली अत्यंत शुभ होने वाली है क्योंकि ग्रहों की युति से एक दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा हैं। इस दिवाली चार ग्रहों की युति बन रही हैं यानि एक ही राशि में चार ग्रह होंगे। दिवाली पर बुध, सूर्य, मंगल और चंद्रमा तुला राशि में मौजूद रहेंगे।
शुक्र ग्रह तुला राशि का स्वामी हैं और माता महालक्ष्मी की पूजा द्वारा शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है। ज्योतिष में शुक्र को ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, प्रेम, सुख-सुविधाओं एवं वैभव आदि का कारक माना गया है। इसके विपरीत, सूर्य को नवग्रहों का राजा, बुध को ग्रहों का राजकुमार और मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है. साथ ही चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य को पिता और चंद्रमा को माता का कारक माना गया है। इस दिन भक्तों को देवी लक्ष्मी और श्री गणेश की कृपा प्राप्त होगी।
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वर्ष 2021 में दिवाली का पर्व 4 नवंबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :18:10 से 20:06 तक
अवधि: 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल: 17:34 से 20:10 तक
वृषभ काल: 18:10 से 20:06 तक
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त: 23:38 से 24:30 तक
अवधि: 0 घंटे 52 मिनट
महानिशीथ काल: 23:38 से 24:30 तक
सिंह काल: 24:42 से 26:52 तक
धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा सदैव प्रदोष काल में करनी चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजा करना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस अवधि में जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब देवी की पूजा की जानी चाहिए। इन चारों राशियों का स्वभाव स्थिर की होता हैं। ऐसा माना जाता है कि स्थिर लग्न में पूजा करने से माँ लक्ष्मी का घर में स्थायी वास बना रहता है।
महानिशीथ काल के दौरान पूजा करना शुभ होता है। इस समय तांत्रिक, पंडित और साधकों द्वारा पूजा की जाती है। महानिशीथ काल में मां काली की पूजा करने की परंपरा है।
दिवाली पर संध्या एवं रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता श्रीगणेश तथा माता सरस्वती की पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं पृथ्वी लोक पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। इस अवसर पर जो घर स्वच्छ होता हैं, वहां माँ देवी अंश रूप में ठहरती हैं। यही वज़ह है कि दिवाली पर साफ-सफाई करके विधिपूर्वक लक्ष्मी पूजन किया जाता है। लक्ष्मी पूजा के साथ कुबेर पूजा भी की जाती है। पूजन के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पूर्व घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। इसके साथ ही माँ के स्वागत के लिए घर के द्वार को रंगोली और दीयों से सजाएं।
पूजा स्थल पर चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर धन की देवी माँ लक्ष्मी और श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करें या आप लक्ष्मी जी का चित्र भी लगा सकते हैं। चौकी के पास ही जल से भरे एक कलश की स्थापना करें।
माँ लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति का तिलक करें और दीपक जलाने के बाद जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर आदि अर्पित करना चाहिए। इसके बाद माँ लक्ष्मी की स्तुति करें।
इसके साथ ही माँ सरस्वती, मां काली, श्रीहरि विष्णु और कुबेर देव का भी विधि विधान से पूजन करें।
पूरे परिवार को देवी लक्ष्मी की पूजा सदैव एकत्रित होकर ही करनी चाहिए।
महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।
लक्ष्मी पूजा के बाद श्रद्धा के अनुसार ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा का दान करना चाहिए।
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दीपावली के दिन अर्थात कार्तिक अमावस्या पर सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से धन हानि नहीं होती है।
दिवाली के दिन वृद्ध लोगों और बच्चों को छोड़कर् अन्य व्यक्तियों को भोजन करने से बचना चाहिए। शाम को लक्ष्मी पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
इस दिन लक्ष्मी पूजा के बाद बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए, साथ ही इस दिन किसी बुजुर्ग का अपमान न करें।
दिवाली के दिन किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए। नशा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट होती है।
दीपावली की रात्रि जुआ खेलने की कुप्रथा है। यदि आप अपने घर में सदैव मां लक्ष्मी की कृपा बनाए रखना चाहते हैं तो इस दिन कभी भी जुआ न खेलें।
दिवाली के दिन अपने घर के द्वार पर आने वाले व्यक्ति को खाली हाथ न जाने दें, चाहे वह कोई भी हो। याचक को अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ अवश्य दें।
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