चंद्रमा महादशा

चंद्रमा महादशा

ज्योतिष में चंद्रमा का अपना ही स्थान है। जैसे सूर्य आत्मा का कारक है वैसे ही चंद्रमा मन का कारक है। ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस लेख में हम आपको वैदिक ज्योतिष में चंद्र महादशा का क्या स्थान है? चंद्रमा का महादशा क्या है? तथा इस महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का कैसा प्रभाव व परिणाम जातक को जीवन में मिलता है? इस पर भी हम प्रकाश डालेंगे। जो आपके लिए काफी सहायक सिद्ध होगा। तो आइये जानते हैं चंद्र महादशा के बारे में -

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा का महादशा

चंद्रमा महादशा लगभग 10 वर्षों तक चलती है। चंद्रमा सुंदरता, स्त्रीत्व, शुद्धता, आकर्षण, कोमलता, भावनाओं, कला, प्रेम, पैसा, स्थिति, संतान, विलासिता, शुभ घटनाओं, समृद्धि, मानसिक शांति, मां, चांदी और इतने पर का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्र महादशा के दौरान, जातक अक्सर कलात्मक गतिविधियों की ओर झुकाव महसूस करता है। यह अवधि व्यक्ति में रचनात्मकता को बढ़ाती है। जातक इस अवधि के दौरान स्वप्न और कल्पनाओं का अनुभव करते हैं। चंद्रमा आपको आध्यात्मिकता और उच्च ज्ञान की ओर एक आंतरिक यात्रा पर ले जाता है। हालांकि, चंद्रमा भी पुरुष प्रभाव के मामले में मानसिक अस्थिरता, अवसाद, आलस्य और मनोदशा लाता है।

चंद्रमा की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा

यहां हम आपको चंद्रमा की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा में जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए काफी लाभप्रद होगा। तो आइये जानते है चंद्रमा की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा क्या परिणाम दे सकती है।

चंद्रमा की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा का फल

चंद्रमा को मन का कारक ग्रह तथा धन का कारक ग्रह भी माना गया है। चंद्रमा एक शांतिप्रिय ग्रह है। चंद्रमा अपने महादशा के इस समय पर चंद्रमा आपको आपके कार्यक्षेत्र में काफी चीजों को अच्छा करेगा तथा आप एक अच्छा डिसीजन ले पाएंगे। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक अपनी फ्यूचर के लिए लेकिन थोड़ा समय आपको इसमें लगेगा क्योंकि चंद्र की महादशा में चंद्रमा का अंतर चलने से कार्य जो है कि थोड़ी धीमी रफ्तार में बनते हैं। वैसे चंद्रमा की जो दशा होती है वह व्यक्ति को मन से धन से परिपूर्ण करती है।

चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा का फल

इस समय पर आपके जीवन में एक नया कुछ करने का जज्बा मन के अंदर आता है। क्योंकि चंद्रमा मन है और सूर्य आत्मा है तो इस समय पर आप मन से और अपने आत्मा से कोई भी एक अच्छा डिसीजन लेने में सक्षम होते हैं। इस समय पर चंद्रमा के द्वारा धन की प्राप्ति, मन की संतुष्टि तथा सूर्य से मान-सम्मान की वृद्धि और अपने माता और पिता का भरपूर सहयोग प्राप्त होता है। इस समय पर आपको कुछ पैतृक संपत्ति की भी प्राप्ति हो सकती है।

चंद्रमा की महादशा में मंगल की अंतर्दशा का फल

इस समय पर चंद्र के साथ जब मंगल की अंतर्दशा चलती है तो व्यक्ति को धन-धान्य से परिपूर्ण होता है और अगर पत्रिका में चंद्रमा और मंगल की युति संबंध हो तो यह योग कुंडली के अंदर लक्ष्मी योग बनाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार अगर यह शुभ ग्रहों से बना हो और केंद्र या त्रिकोण में बना हुआ हो तो बड़ा ही शुभ माना जाता है साथ ही साथ मंगल कुंडली के अंदर एक जोश का प्रतीक के साथ - साथ पराक्रम की उन्नति करने वाला माना गया है। चंद्रमा के साथ चलने से कार्य को उन्नति प्रदान करता है तथा व्यापार में काफी तरक्की आपको दिलाता है।

चंद्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा का फल

चंद्र की महादशा में बुध का अंतर इस समय पर आपको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है बनते बनते कार्य समय रुक जाते हैं क्योंकि बुद्ध चंद्रमा का शत्रु माना जाता है। ऐसे में चंद्रमा के महादशा में बुध का अंतर चलना आपके कार्यों में रूकावटें पैदा करेगा। कोई भी कार्य समय पर पूरा नहीं होता है। जिसके चलते आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। व्यापार व नौकरी आपको इसमें बाधाओं से दो – चार होना होगा। संबंधों के लिए भी यह योग समस्याएं खड़ा करता है। विशेषकर प्रेमियों के लिए यह घातक हो जाता है। संबंधों को खत्म करने का भी कार्य कर सकता है। माता के साथ संबंधों को पेचीदा बना सकता है। ऐसे में आपको सावधान रहना होगा।

चंद्रमा की महादशा में गुरू की अंतर्दशा का फल

ज्योतिष के मुताबिक इस समय पर चंद्रमा और गुरु की दशा के चलने से मान-सम्मान की वृद्धि होती है। विवाह के योग बनते हैं। अच्छा प्रेम प्रसंग शुरू होता है तथा जीवन साथी अच्छा प्राप्त होते हुए संतान की प्राप्ति का भी योग बनता है। इसके साथ ही कार्य क्षेत्र की बात करें तो कार्य क्षेत्र में भी उन्नति का योग बनाता है। अगर पत्रिका के अंदर चंद्रमा और गुरु की स्थिति अच्छी हो या एक दूसरे से केंद्र में हो तो इस संबंध को बहुत ही अच्छा संबंध माना जाता है। एक तरह से इसको एक राजयोग जिसका नाम गजकेसरी योग माना गया है। अगर उच्च व अच्छी शिक्षा की प्राप्ति करने का मन जातक का है या व्यक्ति अपने जीवन में जन्म स्थान से दूर जाकर पढ़ना चाहता है तो वह भी इच्छाएं समय पर पूर्ण हो जाती हैं।

चंद्र की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का फल

यह समय व्यक्ति के जीवन में काफी कुछ अच्छा लेकर आता है। मन की इच्छाएं पूर्ण होती है। अगर व्यक्ति अपना खुद का घर लेना चाहता है तो घर का सपना उसका पूर्ण हो सकता है। इसके साथ ही अच्छे प्रेम प्रसंग के योग बनते हैं तथा कार्य क्षेत्र में भी उन्नति मिलती है। ज्योतिष कहते हैं कि कभी-कभी यह भी देखा गया है कि इसी टाइम पर व्यक्ति के अंदर एक मानसिक रूप से अधिक संतुष्टि होनी चाहिए, उसने भी कमी देखी गई है।

चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा का फल

पंडितजी का कहना है कि यह चरण जातक के जीवन में समस्याएं लेकर आ सकता है। यह समय काफी परेशानी का समय होता है क्योंकि चंद्र की महादशा में शनि के चलने से विघ्न, बाधाएं, डिसीजन लेने की पावर खत्म हो जाती है। ऐसे में आप कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिससे आपको हानि का सामना करना पड़ सकता है। यह समय व्यक्ति के मन के अंदर भय उत्पन्न करता है। मित्र से भी हानि होने की अधिक संभावना बनी रहती है तथा कर्जे के चढ़ने कर्जे बढ़ने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं।

चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा का फल

यह समय आपको काफी परेशान करने वाला है। मानसिक रूप से आपको डिप्रेशन पैदा करने वाला हो सकता है। रोग की उत्पत्ति भी होती है। कभी-कभी मात्री संबंध जोड़ते हैं उसमें भी कमी आ जाती है या यह भी कह सकते हैं कि माता को स्वास्थ्य के कारण परेशान होना पड़ता है। इसके साथ ही धन की हानि के साथ मन की हानि और कभी-कभी तो कारावास की सजा भी हो जाती है। कोर्ट केस आदि इसी समय पर अधिक होते हैं।

चंद्र की महादशा में केतु की अंतर्दशा का फल

वैसे तो चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा के चलने से भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन फिर भी इस समय पर अगर व्यक्ति बड़े मन से बड़ी ईमानदारी से मेहनत करके अगर कार्य कर रहा है तो उसको सफलता अवश्य प्राप्त होती है। हां लेकिन लेट होती है देरी से मिलती है। धन का योग विशेषकर के गुप्त धन का योग भी समय पर प्राप्त हो सकता है। अगर केतु की स्थिति पत्रिका के अंदर अच्छी हो और चंद्रमा पाप रहित हो तो आपके लिए गुप्त धन की प्राप्ति के भी योग बन सकते हैं।


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