मंगल महादशा

मंगल महादशा

ज्योतिष में मंगल का अपना ही एक अगल स्थान है। जैसे सूर्य आत्मा का कारक व चंद्रमा मन का कारक है। वैसे ही मंगल पराक्रम व क्रोध का कारक है। ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस लेख में हम आपको वैदिक ज्योतिष में मंगल के महादशा का क्या स्थान है? मंगल महादशा क्या है? तथा इस महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का कैसा प्रभाव व परिणाम जातक को जीवन में मिलता है? इस पर भी हम प्रकाश डालेंगे। जो आपके लिए काफी सहायक सिद्ध होगा। तो आइये जानते हैं मंगल महादशा के बारे में - भारत के शीर्ष ज्योतिषियों से ऑनलाइन परामर्श करने के लिए यहां क्लिक करें!

वैदिक ज्योतिष में मंगल की महादशा

मंगल की महादशा 7 साल की अवधि के लिए चलती है। मंगल लगन, महत्वाकांक्षा, ऊर्जा, आक्रामकता और उत्साह का कारक है। प्रमुख रूप से ये इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें खेल, शारीरिक रूप से मांग की गतिविधियाँ, विपणन, बिक्री, सैन्य, सर्जरी और युद्ध शामिल है। मंगल के महादशा के दौरान, जातक को जीवन के इन प्रमुख क्षेत्रों में अपनी ऊर्जा की मात्रा बढ़ानी होती है। मंगल महादशा को आक्रामकता में वृद्धि से चिह्नित किया जाता है। मंगल भूमि और संपत्ति के मामलों के कारण भाई के साथ जलन, घात और विवाद देता है। पुरुषोचित प्रभाव के मामले में, जातक को एलर्जी, निम्न रक्तचाप, हड्डियों की कमज़ोरी और ऊर्जा की कमी से पीड़ित होना पड़ सकता है।

मंगल की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा

यहां हम आपको मंगल की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा में जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए काफी लाभप्रद होगा। तो आइये जानते है मंगल की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा क्या परिणाम दे सकती है।

मंगल की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा जब चलती है उसके साथ में अगर सूर्य का अंतर चल रहा हो तो व्यक्ति को अपने कार्य क्षेत्र में काफी उन्नति मिलती है। विशेष कर व्यक्ति भूमि संबंधी कोई कार्य कर रहा है तो उसमें उसको लाभ मिलता है। इस दशा में अगर व्यक्ति राजनीति क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनको अच्छा लाभ मिल सकता है या इस समय में व्यक्ति कोई चुनाव लड़ रहा है। जिसमें उसको सफलता मिल सकती है। इसके साथ ही मांगलिक कार्य कराने में भी यह काफी अहम रोल निभाता है।

मंगल की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा चल रही हो और साथ में चंद्रमा का अंतर्दशा चल रहा हो इस समय पर धन की वृद्धि होती है मान सम्मान बढ़ता है। विशेष कर भूमि संबंधी भूमि संबंधी लाभ अच्छा प्राप्त होता है। इसके साथ ही मांगलिक कार्य भी होते हैं। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन व माता के साथ अच्छे संबंधों का कारक ग्रह माना जाता है। इसलिए माता के साथ में संबंध बड़े अच्छे रहते हैं माता से अच्छा सहयोग प्राप्त होता है। कुछ विदेश की यात्राएं भी इस समय पर होती हैं। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि मंगल और चंद्रमा का जो योग होता है इसे एक लक्ष्मी योग भी कहते हैं अगर पत्रिका में मंगल और चंद्रमा एक साथ हो तो एक बड़ा शुभ योग माना गया है। ऐसे में दशा भी चल रही हो साथ में तो, यह पूर्ण रूप से व्यक्ति को धन-धान्य से परिपूर्ण करता है।

मंगल की महादशा में बुध की अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा चल रही हो और बुध की अंतर्दशा हो इस समय पर व्यक्ति थोड़ा जल्दबाजी में डिसीजन लेता है। जिसके कारण कभी कभी उसे हानि भी का सामना करना पड़ता है। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस दशा की एक चीज अच्छी भी है। अगर हम मंगल और बुध की दशा में दिमाग का इस्तेमाल करके काफी सूझबूझ से काम करें तो इस दशा में अच्छा लाभ भी प्राप्त होता है। मंगल क्योंकि एक जोश का प्रतीक है पराक्रम का कारक है और साथ में जो बुद्ध है वह बुद्धि का कारक ग्रह है। बुद्धि और पराक्रम के मिलने से जातक हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल करता है।

मंगल की महादशा में गुरु की अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा चल रही हो और गुरु की अंतर्दशा साथ में हो तो इस समय पर जातक को काफी अच्छा रिस्पांस मिलता है। विवाह के योग बनते हैं संतान की प्राप्ति होती है, क्योंकि बृहस्पति ज्ञान का कारक ग्रह भी है और जीव की उत्पत्ति का भी कारक है। यानी कि संतान उत्पन्न करने वाला ग्रह माना गया है। ऐसे में इन दोनों चीज में काफी लाभ हमें प्राप्त होता है। मंगल और गुरु की अंतर्दशा यह भी दिखाती है कि इस समय पर अगर व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति करना चाहता है तो समय उसका साथ देती है। विशेष करके का देखा जाएगा तो व्यापार में उन्नति होती है। मंगल और बृहस्पति के पीरियड में अगर व्यक्ति शिक्षा से संबंधित कार्य करें तो उसमें उसको लाभ मिलता है। अगर वह इस समय गवर्नमेंट सर्विस के लिए तैयारी कर रहा है तो वह भी प्राप्त हो सकती है।

मंगल की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा चल रही हो और शुक्र का अंतर हो तो यह समय विशेष करके जातक के जीवन में एक प्रेम प्रसंग नया जीवन साथी की प्राप्ति करने का कार्य करता है। पंडितजी का कहना है कि मंगल को मांगलिक कार्य से जोड़कर देखा गया है और शुक्र को प्रेम से रिलेशनशिप जोड़कर देखा जाता है इसलिए जीवन में इस समय पर विवाह के योग होने की संभावनाएं अधिक होती है। कार्य क्षेत्र में भी उस व्यक्ति को लाभ अच्छा मिलता है। विशेष कर इस समय पर यदि व्यक्ति फैशन से जुड़े हुए कार्य कर रहा हो। मंगल को भूमि से जोड़कर भी देखा जाता है इसलिए इस समय पर व्यक्ति को भूमि से बड़ा अच्छा लाभ मिलता है। अगर व्यक्ति अपना नया घर बनाना चाहता है तो वह खुद जमीन लेकर घर बना सकता है। जिससे कि उसको काफी मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है साथ में इस समय पर अगर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर भी कर कुछ कार्य करना चाहता है तो वहां से भी उस व्यक्ति को लाभ अच्छा प्राप्त होता है।

मंगल की महादशा में शनि की अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा चल रही हो और साथ में शनि की अंतर्दशा हो इस दशा के समय पर काफी सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि मंगल और शनि दोनों ही क्रूर ग्रह माने जाते हैं। ये पत्रिका में एक साथ हैं या इनकी दृष्टि संबंध है तो दुर्घटनाओं का योग बनता है। इस समय पर बहुत ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता रहती है क्योंकि मंगल शनि की योग से कभी कभी एक जीवन हानि का भी योग बन जाता है। मंगल की महादशा शनि का अंतर्दशा यह भी दर्शाता है कि इस समय पर आप को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। ऑफिस में आपको काम में नुकसान मिल सकता है, इसका काफी ध्यान रखने की जरूरत है शत्रु हावी हो सकते हैं।

मंगल की महादशा में राहु की अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा चल रही हो और राहु का अंतर चल रहा हो यह समय बहुत ही ज्यादा नुकसान कारक माना गया है। विशेष कर के इस समय पर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अनजान सा रोग पैदा हो जाता है तथा इस पीरियड में देखा जाए तो राहु व्यक्ति को कर्जे में डाल देता है। कभी-कभी यह भी देखा गया है कि इसमें जातक को कानूनी नुकसान होता है। कारावास की सजा भी हो जाती है। कोर्ट केस आदि भी इस समय में बहुत अधिक होते हैं। कुछ वाद-विवाद घरेलू समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

मंगल की महादशा में केतु का अंतर्दशा का फल

मंगल की महादशा चल रही हो और केतु का अंतर्दशा हो तो इस पीरियड में मंगल स्थिति के अनुसार फल देता है। अगर मंगल पत्रिका में योगकारक ग्रह है और अच्छा फल देने वाला है तो उसके साथ में केतु भी उस व्यक्ति को अच्छा फल देता है। हां लेकिन अगर मंगल पत्रिका में नुकसान कारक ग्रह है तो यह परेशानी है 4 गुना बढ़ जाती हैं क्योंकि आने पर इस देश में काफी ध्यान से चलना होता है।


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