भगवान श्रीकृष्ण का जन्म पृथ्वी वासियों के लिए प्रारंभ से ही शुभ रहा है। जब भी भगवान के भक्तों पर कोई विपत्ति आई है तब-तब कृष्ण भगवान ने उस विपदा को खत्म किया है। इसका एक उदाहरण हम अभी भी देख सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से पृथ्वीवासी एक शुभ योग की प्रार्थना कर रहे थे तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जन्म दिवस के शुभ अवसर पर एक नहीं बल्कि कई शुभ योगों का निर्माण कर दिया है। व्रत की विधि एवं अन्य सावधानियों के लिये विद्वान आचार्यों से परामर्श करें।
पूजा समय - रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक
अवधि – 0 घंटे 45 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण- रात 12 बजकर 22 मिनट
पारण समय- सुबह 09 बजकर 44 मिनट के बाद (सूर्योदय के बाद, 31 अगस्त 2021)
सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ- सुबह 6 बजकर 39 मिनट से प्रातः 05 बजकर 59 मिनट तक
आगामी 30 अगस्त 2021 को वैसे तो जन्माष्टमी का पवित्र त्यौहार है किन्तु इस दिन काफ़ी सालों बाद एक साथ इतने शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है। 30 अगस्त का दिन, तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों के अनुसार बहुत खास है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि के साथ कई अन्य शुभ योगों का विशेष संयोग बन रहा है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार रोहिणी नक्षत्र का निर्माण हो रहा है यह नक्षत्र शास्त्रों में शुभ बताया गया है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में, भादों के माह में हुआ था। 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होगा, जो कि अगले दिन सुबह 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
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इस जन्माष्टमी पर बन रहे सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष महत्त्व है। इस योग में किसी भी कार्य का अगर शुभारंभ किया जाये तो वह शुभ माना जाता है। निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनने वाले शुभ और अशुभ योगों में सर्वार्थ सिद्धि योग जैसा शुभ योग बनता है। यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। ज्योतिषियों के अनुसार कोई भी नया कार्य जोकि सर्वार्थ सिद्धि योग में प्रारम्भ किया जाता है वह निश्चित ही सफलतापूर्वक सम्पन्न होता है तथा इच्छित फल प्रदान करता है। पुराने समय से यदि कोई कार्य रूका हुआ है या उस कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही हैं तो भगवान श्रीकृष्ण जी की इस योग में पूजा करने से पीड़ा का अंत किया जा सकता है।
इन योग के अलावा इस बार जन्माष्टमी पर, वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में हर्षल योग, बालव करण तथा रोहिणी नक्षत्र भी पड़ रहे हैं।
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