रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू कर दिया है जिसने एक बार फिर वैश्विक शांति को भंग करते हुए विश्व युद्ध की संभावनाओं को प्रबल कर दिया है, लेकिन कौनसे ज्योतिषीय कारक है इस संघर्ष के लिए जिम्मेदार? जानें।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, वैश्विक शक्तियां दो भागों में विभाजित हो गई थी। एक गुट का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था जबकि दूसरे गुट का यूएसएसआर। जैसाकि हम जानते हैं कि यूक्रेन एक पूर्व सोवियत राष्ट्र है और अब एक नाटो सदस्य (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) बनना चाहता है। एक ऐसा समूह जो सोवियत संघ की विस्तारवादी नीति के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था।
यदि यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता है, तो वह बाहरी हमलों के संबंध में नाटो समूहों से समर्थन प्राप्त करने के योग्य है, और रूस का मानना है कि यह उसके लिए अच्छा नहीं होगा क्योंकि यह समूह को उसके देश की सीमाओं के करीब लेकर आएगा। अब रूस आश्वासन चाहता है कि उसका पड़ोसी देश यूक्रेन वैश्विक संगठन में शामिल न हो, तो यूक्रेन ने इसे खारिज कर दिया।
आइए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं:
राष्ट्रपति पुतिन नाटो की विस्तार की नीति से असहमत रहे हैं। एक तरफ यूक्रेन नाटो में शामिल होने का इच्छुक है, वहीं रूस यह सुनिश्चित करना चाहता था कि यूक्रेन कभी भी इस संगठन का हिस्सा न बनें। राष्ट्रपति पुतिन लंबे समय से रूस और यूक्रेन के एकीकरण के बारे में कट्टर विचार रखते हैं। वह एक मजबूत रूस की दृष्टि रखते है जैसाकि यह 1991 में सोवियत संघ के पतन से पहले था। उनका मानना है कि रूस के विघटन के बाद बनाया गया यूक्रेन पश्चिम देशों के हाथों की कठपुतली है। इस कारण से, वह यूक्रेन को नाटो के साथ हाथ मिलाने से रोकना चाहते है, एक ऐसा गठबंधन है जो रूस के लिए खतरा हो सकता है। लेकिन वर्षों से चल आ रहे इस संघर्ष के पीछे अन्य कारण भी हैं। आइए इसके बारे में जानते है:
रूस की महाशक्ति बनने की इच्छा- रूस तेल का तीसरा सबसे बड़ा और दुनिया में प्राकृतिक गैस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। यह देश यूरोप की प्राकृतिक गैस की खपत की एक-तिहाई जरूरतों की आपूर्ति करता है। यूक्रेन में आक्रामक कार्रवाई के बाद रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंध ऊर्जा जरूरतों के लिए पूरी तरह से रूस पर निर्भर यूरोपीय देशों के लिए समस्या पैदा करेंगे।
रूस बनाम अमेरिका- अमेरिका ने अक्सर अपने ऊर्जा स्रोत के लिए, इस पर निर्भर यूरोपीय राष्ट्रों के हाथ बांधने के लिए व्यापार का उपयोग करने के रूस के प्रयासों की तरफ संकेत किया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से, सोवियत संघ ने अगली महाशक्ति बनने के मकसद से ऊर्जा के लिए इस पर निर्भरता बढ़ाकर देशों को आर्थिक सौदों की पेशकश करने की कोशिश की है।
विदेश नीति के रूप में विवाद का उपयोग: सोवियत संघ से विघटन के बावजूद 2004 तक यूक्रेन को रूस से रियायती तेल और गैस प्राप्त होता था, लेकिन सर्कार परिवर्तन होने से इसे रोक दिया गया। रूस ने सस्ती कीमतों को रद्द कर दिया और यूक्रेन से बाजार दरों का भुगतान करने की मांग की। जब यूक्रेन ने इसे मनाने से इनकार कर दिया, तब रूस ने गैस के प्रवाह को प्रतिबंधित कर दिया, साथ ही ऐसा कहा कि यूक्रेन एक गैस पारगमन देश के रूप में विश्वसनीय नहीं है, इस प्रकार रूस से जर्मनी तक सीधे नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को चालू किया।
वर्तमान में व्लादिमीर पुतिन की कुंडली के अनुसार, केतु अंतर्दशा के साथ बुध की महादशा का प्रभाव है। यह ज्योतिषीय संयोग उन्हें विजयी बनाएगा और अपने लक्ष्य को जरूर हासिल करेंगे।
इसी क्रम में रूस की कुंडली के अनुसार, इस दौरान राहु-मंगल दशा के कारण धन और स्थिरता के मोर्चे पर कुछ परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
अब हम जानेंगे कि वे कौन से ज्योतिषीय पहलू हैं जो इस युद्ध की शुरुआत के लिए जिम्मेदार हैं, और वैश्विक राजनीति के साथ-साथ हमारे देश पर भी इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
जनवरी 2014 में, मई के महीने में पी.पोरोशेंको को यूक्रेन के राष्ट्रपति के रूप में बृहस्पति-बुध की विमशोतरी महादशा में चुना गया था। ये दोनों ग्रह कुंडली के आठवें भाव में स्थित थे और इन्होने यूक्रेन के मास्को समर्थक राष्ट्रपति के पतन के दौरान भी प्रमुख भूमिका निभाई। उस समय से ही वास्तविक समस्या शुरू हुई।
इसी बीच, कुंडली में यूरोपीय और आसपास के देशों से संबंधित गोचर हुआ, और फरवरी के महीने में सूर्य और शनि के बीच आंशिक संयोग बना। इसके कारण हिंसक और शक्तिशाली स्थान परिवर्तन के योग बन रहे है जिससे मार्च महीने के पांच मंगलवार प्रबल बना रहे हैं। यह सब मृत्यु और मानहानि का संकेत दे रहा है।
मार्च माह में गुरु का अधिपत्य होगा और कालसर्प योग के प्रभाव को देखा जा सकेगा, इसलिए यूरोपीय देशों को भी एयरबेस हमलों और विस्फोटों जैसी युद्ध स्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
हिन्दू चैत्र मास के अनुसार, मार्च माह में कालसर्प योग और सूर्य पर शनि की दृष्टि के कारण विश्व को भयावह परिणाम मिलने वाले हैं।
कई देशों में नए समीकरण बनेंगे और आने वाली स्थिति एक हिंसक परिणाम का संकेत दे रही है, खासकर ताइवान, मध्य पूर्व, युगांडा और अफगानिस्तान में।
अप्रैल 2022 के बाद मंगल-शनि युति और योग भी विश्व युद्ध का संकेत दे रही हैं क्योंकि अमेरिका के नेतृत्व वाला नाटो मौजूदा स्थिति पर प्रतिक्रिया करेगा।
साथ ही, राहु मेष राशि में गोचर करेगा जो तानाशाही के तहत शासन पर बल देता है, साथ ही देशों में चीन की तरह विस्तार और तानाशाही के आंदोलन शुरू होंगे।
इतिहास की एक झलक हमें बताती है कि जब-जब सूर्य ने मकर राशि में गोचर किया, जैसेकि वर्ष 1962, 1992 और अब 2022 में, तब-तब इसने विश्व में विनाश किया है। साल 1962 में भारत को भी युद्ध का सामना करना पड़ा था।
सोवियत संघ के विघटन के बाद 1 दिसंबर 1991 के दिन यूक्रेन की आबादी ने स्वतंत्रता के लिए जनमत संग्रह में भारी मतदान किया। उन्होंने 1992 में और अब 2022 में युद्ध के बाद की परिस्थितियों को संभाला। मकर राशि में योगों का यह संयोजन युद्ध का मुख्य कारण है।
27 फरवरी 2022 को मंगल, बुध, शुक्र, शनि और चंद्रमा एक साथ मकर राशि में रहेंगे। यह दुनिया में एक बड़ी उथल-पुथल का दौर है। इस युद्ध के लिए अगले 18 दिन महत्वपूर्ण हैं। उच्च का मंगल अगले चार वर्षों में पूरे विश्व को प्रभावित करेगा।
मंगल इस बात का संकेत दे रहा है कि इस समय दुनिया में भयानक और हिंसक उथल-पुथल चल रही है। मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है जो चीन, माओवादी संगठनों, युद्ध, आग, विस्फोट का प्रतिनिधि है। इससे दुनिया के कई देश संघर्ष में फंसेंगे, जैसे हांगकांग, ताइवान और बर्मा आदि।
अमेरिका समेत दुनिया के बड़े देश भले ही विश्व शांति के लिए प्रयास करते रहेंगे, लेकिन उनकी सारी कोशिशें नाकाम ही साबित होंगी।
चीन, अमेरिका, रूस, उत्तर कोरिया, भारत, ईरान, पाकिस्तान, आदि प्रमुख देश विनाश के अत्याधुनिक हथियारों के संग्रह में शामिल होंगे। विश्व राजनीति में भी कुछ नए देशों के बीच समीकरण बनेंगे।
अमेरिकी सरकार भी प्रभावित देशों में तेजी से हो रहे राजनीतिक परिवर्तनों के तहत अपनी रक्षा और विदेश नीति में विशेष परिवर्तन करने के लिए बाध्य होगी। दुनिया में अपना प्रभुत्व बनाए रखने और बढ़ाने के लिए, यह विद्रोही समूहों के विनाश के लिए मदद और सहयोग करेगा। इसके लिए सेना को भेजना होगा, युद्ध में अनिवार्य रूप से शामिल होना होगा, साथ ही धीरे-धीरे आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए जा सकते है।
यह वैश्विक बाजार में, युद्ध तेल, सोना, माल और शेयर बाजार सहित विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करेगा। वहीं, दुनिया के कई बाजारों में भी गिरावट और इसका सीधा असर दिखाई देगा। इसके गंभीर परिणाम भी होंगे जो कई देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे।
आने वाले महीने में एक बुरा योग बन रहा है, और उसके कारण लोग दूसरी जगह पलायन करेंगे। उसी देश में बिना मंजूरी के सत्ता में बदलाव भी होंगे और कुछ नए राज्य बनेंगे।
इस युद्ध के बाद पूरी दुनिया के एक बार फिर बड़ी आर्थिक मंदी आने के भी संकेत हैं, जब दुनिया कोरोना महामारी के बाद स्वयं को सँभालने की कोशिश कर रही होगी।
देश की कुंडली के अनुसार, भारत के लिए इस वर्ष चंद्रमा की महादशा चल रही है और तृतीय भाव में है। ऐसे में बीमारियां फैलेंगी, इसलिए, देश आंतरिक समस्याओं के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी महामारी को दूर करने में शामिल होगा। देश वैश्विक स्तर पर भी अहम भूमिका निभाने में सफल होगा। ऐसे में भारत की साख बढ़ेगी, साथ ही दुनिया के विभिन्न देश भारत को सम्मान की दृष्टि से देखेंगे।
युद्ध कभी भी किसी के लिए अच्छा नहीं होता है, हालांकि, सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ, हम निश्चित रूप से सभी समस्याओं का मुकाबला कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि संघर्ष का यह दौर जल्द ही समाप्त हो जाए और पूरी दुनिया में शांति फिर से बहाल हो जाए।
वैश्विक घटनाएं आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेंगी, इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए, आज ही एस्ट्रो राजदीप पंडित से जुड़ें!
By- एस्ट्रो राजदीप पंडित