शिव का अवतार माना जाने वाले इस बारह मुखी रुद्राक्ष(12 Mukhi Rudraksha) में सूर्य का आधिपत्य है और सूर्य को सभी ग्रहों का स्वामी कहा जाता है। इस रुद्राक्ष का सतह पर 12 प्राकृतिक रेखाएं हैं जो इसकी मौलिकता को चिन्हित करती हैं। इस मनका को धारण करने से व्यापार और नौकरी संबंधित समस्याओं से निजात मिल सकती है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर है तो आपको जल्द से जल्द 12 मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। 12 मुखी रुद्राक्ष को द्वादशी आदित्य के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मनके में ऋष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का भी आशीर्वाद है। यह मनका अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए धारण किया जाता है। जो लोग आधिकारिक पेशे में हैं, उन्हें कार्यस्थल पर मान-सम्मान नहीं मिलता है उनके लिए यह चमत्कारी काम करता है। इस पहनने वाले को 108 गायों के दान के बराबर शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो लोग शर्मीले, डरपोक या डरे हुए होते हैं, इस मनके को पहनने से आप निडर हो जाते हैं और आपको किसी भी तरह की परेशानी से मुक्ति मिल सकती हैं। यह पिछले पापों को खत्म करने में मदद करता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हमारा वर्तमान जीवन हमारे पिछले जन्म के कर्मों से जुड़ा हुआ है और ग्रहों की चाल से भी प्रभावित है। यह कहा जाता है कि कुछ लोग अपने पिछले जन्म के कर्मों का भुगतान वर्तमान में करते हैं। जिसके कारण उन्हें वर्तमान जीवन को बेहतर बनाने के लिए बहुत कठिनाई और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 12 मुखी रुद्राक्ष पहनने से आपको पिछले जन्म के पापों से छुटकारा मिल सकता है। ज्योतिष के अनुसार, ग्रह अपनी चाल बदलते रहते हैं, वह एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करते रहते हैं। इस पारगमन के दौरान, वे 12 राशियों को प्रभावित करते हैं। किसी पर इसका अच्छा असर पड़ता है तो किसी पर इसका बुरा असर पड़ता है। एक आमइंसान ग्रहों की स्थिति और जीवन पर उनके प्रभाव का पता नहीं लगा सकता है इसके लिए आपको एक अनुभवी ज्योतिषी को अपनी जन्मकुंडली का अध्ययन करना होगा और फिर वह भविष्यवाणी करेंगे और आपको सही रुद्राक्ष पहनने का सुझाव देंगे जो आपको सभी तरीकों से लाभान्वित करेगा।
एस्ट्रोयोगी एक ऐसा पैनल है जो सभी प्रकार के ज्योतिषिय़ों तक पहुंच प्रदान करता है, जो अनुभवी हैं और जीवन से संबंधित विभिन्न मामलों पर सलाह दे सकते हैं। वे प्रभावी उपाय सुझाएंगे जो वर्तमान जीवन को बेहतर बनाने और समृद्धि को आकर्षित करने की दिशा में काम करेंगे।
12 मुखी रुद्राक्ष लोगों के मन से संदेह को दूर करने और जीवन में स्पष्टता लाने में मदद करता है।
यह दिशात्मक मुद्दों वाले लोगों को ध्यान केंद्रित करने और सही रास्ता चुनने में मदद करता है।
यह पहनने वाले को निरोगी बनाने में मदद करता है।
यह पहनने वाले को धन और खुशी प्रदान करता है।
यह पहनने वाले को मानसिक या शारीरिक पीड़ा से बचाता है।
यह पहनने वाले को निडर और परेशानी मुक्त बनाता है।
यह व्यक्ति के नेतृत्व के गुणों को विकसित करता है।
यह व्यक्ति की आंतरिक आत्मा को मजबूत करता है।
यह व्यक्ति को भीतर से खुश और तनाव मुक्त बनाता है।
यह रतौंधी को ठीक करने में मदद करता है।
यह मूत्र और श्वसन रोगों का इलाज करने में मदद करता है।
यह कमजोर दिल को मजबूत करने में मदद करता है।
यह व्यक्ति में क्रोध और चिंता को कम करने में मदद करता है।
यह सभी मोर्चों पर प्रसिद्धि, यश और मान-सम्मान का आश्वासन देता है।
यह मम्पुरा चक्र पर काम करता है जिसमें साहस और दृढ़ विश्वास को दर्शाया गया है।
यह व्यक्ति को युवा महसूस कराता है और जीवन शक्ति बढ़ाता है।
यह पहनने वाले में संदेह, क्रोध और तनाव जैसे लक्षणों को दूर करता है।
यह सूर्य एवं राहु ग्रह के दुष्प्रभावों से बचाता है।
किसी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि वह किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी द्वारा अभिमंत्रित किया गया हो अन्यथा उसका कोई फायदा नहीं है। इसके अलावा याद रखें कि इसे अपने पैसों से ही खरीदें वरना आपको इसका लाभ प्राप्त नहीं होगा और बिना शक्ति के वह किसी अन्य साधारण गहने की तरह होगा।
किसी भी रुद्राक्ष को पहनने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वह किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी द्वारा ही उर्जित किया गया हो अन्यथा उसका कोई फायदा नहीं है। इसके अलावा, यह याद रखें कि इसे अपने पैसे से न खरीदें क्योंकि यह आपको लाभ नहीं दे पाएगा और बिना किसी शक्ति के किसी अन्य साधारण गहने की तरह होगा।
12 मुखी रुद्राक्ष (12 Mukhi Rudraksha) को मकर और कुंभ राशि के जातक यदि पहनते हैं तो उन्हें विशेष लाभ होता है। नेताओं, शासकों, प्रशासकों और व्यवसायी वर्ग के लिए यह मनका काफी फायदेमंद है। इसे रविवार या सोमवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। पहनने से पहले क्या करें: सुनिश्चित करें कि आप नहाएं और साफ-सुथरे कपड़े पहनें और तत्पश्चात पूजास्थल को साफ करें और रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर इसे गले से लगाकर “श्री सूर्याय नमः” या “ऊॅ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः'' मन्त्र को 108 बार जपें।
धातु का इस्तेमाल: इस रुद्राक्ष की माला को रेशम या ऊन के धागे में पिरोकर चांदी या सोने में धारण करें।