आठ मुखी रुद्राक्ष (8 Mukhi Rudraksha) की सतह पर 8 प्राकृतिक खड़ी रेखाएं होती हैं। यदि रेखाएं एक सीध में होती हैं उन्हें एक असली रुद्राक्ष माना जाता है। इस रुद्राक्ष को प्रथम पूज्य भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है। भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं, यह बुद्धि और ज्ञान के प्रतीक हैं। इसे धारण करने से भैरव बाबा की भी कृपा प्राप्त होती है। इस रुद्राक्ष को जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने और संकट में लोगों की मदद करने के लिए माना जाता है। मान्यता है कि इस रुद्राक्ष को पहनने से गंगा में नहाने जैसा पुण्य मिलता है। 8 मुखी रुद्राक्ष की सत्तारुढ़ ग्रह केतु हैं, इस रुद्राक्ष को पहनने से राहु और शनि दोष के बुरे प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। 8 मुखी रुद्राक्ष मूलाधार चक्र से जुड़ा है, जो एक व्यक्ति की सुरक्षा और अस्तित्व के पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों की धीमी और तेज गति दोनों ही जीवन को काफी प्रभावित करती है। तेज गति वाले ग्रह जीवन को काफी छोटी अवधि के लिए प्रभावित करते हैं जबकि धीमी गति वाले ग्रहों लोगों के जीवन को लंबी अवधि के लिए प्रभावित करते हैं। इसके कारण प्रत्येक जन्म कुंडली में अच्छे और बुरे दोष होते हैं, जिनमें से एक सबसे आम और नकारात्मक दोष है कालसर्प दोष। यह दोष की अवधि लंबे समय तक रहती है और जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। 8 मुखी रुद्राक्ष पहनने से काल सर्प दोष के प्रभाव को खत्म किया जा सकता है, साथ ही पेरशानियों और बाधाओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।
मानव जीवन और घटित घटनाओं के विषय में ब्रह्मांड की गतिशीलता को समझने के लिए एस्ट्रोयोगी पर सबसे अच्छे ज्योतिषी से परामर्श करें। विशेषज्ञ ज्योतिषी आपकी जन्म कुंडली का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे और आपके जीवन के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताएंगे। वह आपको कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए इसके बारे में भी सलाह देंगे।
किसी भी रुद्राक्ष को पहनने से पहले अपनी जन्मकुंडली का विश्लेषण किसी अनुभवी ज्योतिषी से अवश्य कराएं और उनसे जाने कि आप रुद्राक्ष पहन सकते हैं या नहीं। इसके अलावा रुद्राक्ष को अपने पैसों से ही खरीदें वरना आपको लाभ प्राप्त नहीं हो सकेगा। ज्योतिषी के निर्देशों का पालन करें औऱ इस चमत्कारी मनका से लाभ उठाएं।
पहनने का दिन: 8 मुखी रुद्राक्ष (8 Mukhi Rudraksha) को बुधवार को पहनने के लिए कहा जाता है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य केतु के प्रभाव को कम करना है। दूसरी ओर यदि आप इसे बुधवार को पहनते हैं तो बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति होती है। इसे सुर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करने के पश्चात घर की पूर्व दिशा में बैठकर “ॐ हूँ नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा इसे धारण करने के पश्चात प्रतिदिन पांच माला इस मंत्र का जाप करना चाहिए। रुद्राक्ष हमेशा चांदी, सोने और तांबे या पंचधातु में और इसे काले या लाल धागे के साथ पहनना चाहिए।
सभी 8 मुखी रुद्राक्ष के बारे में जानने के लिए एस्ट्रोयोगी तक पहुँचें और अनुभवी ज्योतिषाचार्य से जन्म कुंडली के अनुसार रुद्राक्ष आदि से संबंधित सर्वोत्तम सलाह लें।