तुलसी माता

तुलसी माता

Tulsi Mata: हिंदू धर्म में तुलसी का स्थान बहुत पवित्र और खास माना गया है। आपके घर में लगी तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं होती, बल्कि उसे तुलसी माता या तुलसी देवी का जीवित स्वरूप माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं। यही कारण है कि विष्णु जी, श्रीकृष्ण या भगवान राम की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है।

ऐसा विश्वास है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और वातावरण शुद्ध रहता है। तुलसी माता की नियमित पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। सुबह-शाम तुलसी के दर्शन करने और उन्हें जल अर्पित करने से मन को शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

तुलसी माता कौन हैं? (Tulsi Mata Kaun Hain?)

तुलसी का संस्कृत नाम तुलसी (Tulasī) है, जिसका अर्थ है “जिसकी तुलना न की जा सके”। उन्हें विष्णु वल्लभा, हरिप्रिया, वैष्णवी और लक्ष्मी प्रिय भी कहा गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार तुलसी माता देवी लक्ष्मी का ही एक रूप हैं और भगवान विष्णु की अर्धांगिनी मानी जाती हैं।

तुलसी के मुख्य रूप:

श्री तुलसी / राम तुलसी– हरे पत्तों वाली तुलसी

श्यामा तुलसी / कृष्ण तुलसी– बैंगनी या गहरे रंग की तुलसी

दोनों ही रूप पूजनीय हैं, लेकिन श्यामा तुलसी को विशेष रूप से श्रीकृष्ण को प्रिय माना गया है।

तुलसी माता की कथा (Tulsi Mata Ki Katha)

तुलसी माता की कहानी (Tulsi Mata Ki Kahani) पुराणों में अत्यंत भावपूर्ण रूप में मिलती है। प्राचीन काल में वृंदा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थीं। वे भगवान विष्णु की परम भक्त थीं, लेकिन उनका विवाह जलंधर नामक शक्तिशाली असुर से हुआ। वृंदा की पवित्रता और तप के कारण जलंधर को कोई भी देवता पराजित नहीं कर पा रहा था।

देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने लोककल्याण के लिए एक कठिन निर्णय लिया। उन्होंने जलंधर का वध करवाया। जब वृंदा को इस सत्य का ज्ञान हुआ, तो वे अत्यंत दुखी और क्रोधित हो गईं। उन्होंने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दिया। भगवान विष्णु ने उनके शुद्ध भाव और भक्ति को समझा और उन्हें वरदान दिया कि वे तुलसी पौधे के रूप में पृथ्वी पर पूजी जाएंगी और उनकी पत्तियों के बिना विष्णु पूजा अधूरी मानी जाएगी।

इसी कथा से तुलसी विवाह की परंपरा जुड़ी है, जिसमें तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु (शलिग्राम) से कराया जाता है।

तुलसी माता मंत्र (Tulsi Mata Mantra)

1. सरल तुलसी मंत्र

ॐ तुलस्यै नमः
यह मंत्र जल अर्पण करते समय जप सकते हैं।

2. तुलसी प्रणाम मंत्र

वृन्दायै तुलसी देव्यै प्रियायै केशवस्य च।
कृष्ण-भक्ति-प्रदे देवी सत्यवत्यै नमो नमः॥

यह मंत्र तुलसी माता की पूर्ण आराधना के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

3. तुलसी गायत्री मंत्र

ॐ तुलसी देव्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्॥

आप इन मंत्रों का 108 बार जाप कर सकते हैं। पूर्व दिशा की ओर मुख करके जप करना शुभ होता है।

तुलसी से जुड़े प्रमुख पर्व और व्रत

1. तुलसी विवाह

कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी से पूर्णिमा के बीच तुलसी विवाह किया जाता है। यह मांगलिक कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है।

2. तुलसी दिवस

भारत के कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से तुलसी माता के सम्मान में तुलसी दिवस मनाया जाता है।

3. कार्तिक मास

पूरा कार्तिक महीना तुलसी पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। वृंदावन और वैष्णव परंपरा से जुड़े स्थानों में तुलसी मंदिर का विशेष महत्व देखने को मिलता है।

तुलसी पूजा का धार्मिक महत्व (Tulsi Puja)

हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष माना गया है, क्योंकि तुलसी को सभी पौधों में सबसे पवित्र और पूजनीय स्थान प्राप्त है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी की जड़ों में सभी तीर्थों का वास माना गया है, उसके तने में समस्त देवी-देवताओं की उपस्थिति होती है और उसकी पत्तियों में वेदों का निवास माना जाता है, इसी कारण आपके घर में तुलसी का होना पूरे घर को तीर्थ के समान पवित्र बना देता है। 

मान्यता है कि जहां तुलसी माता विराजमान होती हैं, वहां नकारात्मक ऊर्जा टिक नहीं पाती और वातावरण स्वतः ही शुद्ध व शांत हो जाता है। विशेष रूप से महिलाएं तुलसी माता की नियमित पूजा करती हैं और इसे सुहाग की रक्षा, पारिवारिक शांति और सुखी गृहस्थ जीवन से जोड़ा जाता है। 

घर पर तुलसी पूजा विधि बहुत सरल है और आप इसे रोजाना आसानी से कर सकते हैं। सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर तुलसी के पास की जगह को स्वच्छ करें, फिर तुलसी माता को शुद्ध जल अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर अगरबत्ती लगाएं और श्रद्धा से तुलसी माता के मंत्रों का जाप करें। पूजा के अंत में तुलसी माता की 3 या 7 परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार मंगलवार और शुक्रवार को तुलसी पूजा का विशेष फल मिलता है, जबकि शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाना घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। नियमित रूप से की गई तुलसी पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से लाभकारी मानी जाती है, बल्कि यह मन को शांति और जीवन में संतुलन भी प्रदान करती है।

तुलसी माता की पूजा एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली आध्यात्मिक साधना है। न तो इसमें अधिक खर्च है और न ही जटिल विधि। बस थोड़ा सा समय, श्रद्धा और नियमितता चाहिए। अगर आप अपने घर में सकारात्मक बदलाव, मानसिक शांति और ईश्वर की कृपा चाहते हैं, तो आज से ही तुलसी पूजा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

तुलसी माता की कृपा से आपका घर सदैव सुख, शांति और स्वास्थ्य से भरा रहे।

 

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