अन्नप्राशन मुहूर्त 2023: हिंदू रीति-रिवाजों की समृद्ध परंपरा में, सोलह पवित्र संस्कार जीवन का ताना-बाना बुनते हैं। इनमें से, अन्नप्राशन संस्कार, एक महत्वपूर्ण समारोह है जो हमें यह ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है कि बच्चे को पहला भोजन कब खिलाये। श्रद्धा के साथ मनाई जाने वाली यह शाश्वत परंपरा, एक बच्चे के भोजन के पहले स्वाद का प्रतीक है । 2023 में, आइए अन्नप्राशन के महत्व को उजागर करें, जो एक बच्चे की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कार्य है।
क्या होता है अन्नप्राशन संस्कार
अन्नप्राशन, एक संस्कृत शब्द है जो "भोजन की पहले निवला खाने" का संकेत देता है, हिंदू धर्म में मुंडन, कर्णवेध, विवाह और नामकरण जैसे सोलह प्रमुख संस्कारों के बीच, अन्नप्राशन एक महत्वपूर्ण उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
बच्चे के जीवन के शुरुआती महीनों में वे केवल मां के दूध पर निर्भर रहते हैं। पहले छह महीनों के लिए, यह पौष्टिक आहार उनके विकास का मार्गदर्शन करता है। अन्नप्राशन समारोह एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है जब वे ठोस या अर्ध-ठोस भोजन का सेवन करते हैं। ठोस आहार की यह शुरुआत एक बच्चे की पोषण यात्रा और समग्र कल्याण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हिंदू रीति-रिवाजों की परंपरा के अनुसार, बच्चा अन्नप्राशन तक चावल खाने से परहेज करता है। इस पवित्र अनुष्ठान के बाद, वे माँ के दूध के साथ-साथ नियमित भोजन का स्वाद लेते हुए, एक व्यापक पाक दुनिया का पता लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य जीवन के शुरुआती दिनों से ही बच्चे के पोषण को बढ़ाना है।
अन्नप्राशन का महत्व
बच्चे के जीवन में ठोस भोजन का पहला निवाला, अन्नप्राशन, एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो शुभ मुहूर्त का हकदार है। यह उत्सव पूरे देश में विभिन्न नामों से जाना जाता है - उत्तराखंड में "भतखुलाई", बंगाल में "मुखेभट", और केरल में "चोरूनु"।
आमतौर पर, अन्नप्राशन बच्चे के जन्म के लगभग छठे महीने के आसपास आयोजित किया जाता है। यह समारोह न केवल एक बच्चे की पाक कला की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि प्यार, देखभाल और परंपरा से पोषित जीवन की ओर उनकी यात्रा का भी जश्न मनाता है।
वर्ष 2023 में, आइए हम अन्नप्राशन मुहूर्त को खुली बांहों से अपनाएं, अपने नन्हे-मुन्नों के जीवन में एक नए अध्याय का स्वागत करें, क्योंकि वे परंपरा के ज्ञान द्वारा निर्देशित स्वाद और पोषण की दुनिया में अपना पहला कदम रख रहे हैं।
जानिए साल 2023 में अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त।
जनवरी 2023 में अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त
4 जनवरी 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 08:00 सुबह से 10:00 सुबह, 12:00 दोपहर से 04:00 शाम तक।
12 जनवरी 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 04:15 से 06:00 शाम तक।
23 जनवरी 2023 (सोमवार), मुहूर्त- 08:00 सुबह से 08:40 सुबह, 10:30 सुबह से 05:00 शाम तक।
26 जनवरी 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 08:00 सुबह से 11:30 सुबह तक।
27 जनवरी 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 10:20 सुबह से 11:30 सुबह, 01:30 दोपहर से 09:50 रात तक।
फरवरी 2023 में अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त
3 फरवरी 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 07:50 सुबह से 09:40 सुबह, 11:30 सुबह से 04:30 शाम तक।
10 फरवरी 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 09:30 सुबह से 02:00 दोपहर, 05:00 शाम से 11:00 रात तक।
22 फरवरी 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 07:30 सुबह से 09:40 सुबह, 11:30 सुबह से 05:30 शाम तक।
24 फरवरी 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 07:30 सुबह से 11:00 सुबह, 01:30 दोपहर से 08:00 रात तक।
मार्च 2023 में अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त
9 मार्च 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 07:30 सुबह से 12:20 दोपहर, 03:10 दोपहर से 09:00 रात तक।
10 मार्च 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 07:35 सुबह से 10:15 सुबह तक।
23 मार्च 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 07:00 सुबह से 07:40 सुबह, 09:50 सुबह से 05:50 शाम तक।
24 मार्च 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 07:00 सुबह से 09:15 सुबह, 12:00 दोपहर से 03:00 दोपहर तक।
27 मार्च 2023 (सोमवार), मुहूर्त- 06:25 शाम से 08:10 रात तक।
31 मार्च 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 09:15 सुबह से 03:20, 06:00 शाम से 10:00 रात तक।
मई 2023 में अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त
3 मई 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 07:00 सुबह से 08:40 सुबह, 11:15 सुबह से 05:50 शाम तक।
28 दिसंबर 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 08:00 सुबह से 12:00 दोपहर, 01:45 दोपहर से 09:35 रात तक।
29 दिसंबर 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 09:00 सुबह से 01:20 दोपहर, 03:15 दोपहर से 09:20 रात तक।
अन्नप्राशन की विधि?
किसी शुभ तिथि एवं मुहूर्त के चयन के बाद अन्नप्राशन तिथि पर सबसे पहले पूरे घर की साफ़-सफाई करके घर की शुद्धि कर लें।
अब नवजात शिशु के माता-पिता को स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करें और शिशु को भी नए वस्त्र पहनाएं।
इसके उपरांत अन्नप्राशन पूजा के लिए शिशु को लेकर आसन पर बैठें और ईश्वर के समक्ष एक दीपक प्रज्जवलित करें।
अन्नप्राशन हवन के दौरान परिवार के सभी सदस्यों का शामिल होना आवश्यक है। इस पूजा में शिशु के माता-पिता के साथ परिवार के बड़ों का बैठना भी अनिवार्य होता है।
इस पूजा के दौरान पंडित जी उत्तर दिशा की तरफ बैठें, वहीं माता-पिता शिशु को गोद में लेकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें।
सबसे पहले शिशु को पंडित जी खीर खिलाएं। पंडित जी के बाद बच्चे के माता-पिता उसे खीर खिलाएं।
इस संस्कार के दौरान बच्चे को खिलाई जाने वाली खीर केवल परिवार की विवाहित स्त्रियों द्वारा ही बनाई जानी चाहिए।
इस दौरान परिवार के अन्य सदस्य भी शिशु को खीर खिलाएं और बच्चे व नए माता-पिता को अपना आशीर्वाद दें।
किस मंत्र का करें उच्चारण ?
ये संस्कार बच्चे के साथ-साथ उसके माता पिता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। हर माता-पिता की ईश्वर से यही कामना होती है कि उके बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। इस प्रकार अन्नप्राशन संस्कार के दौरान, नवजात शिशु को खीर खिलाते समय माता-पिता को कुछ जरूरी चीजों का ध्यान रखना चाहिए और ईश्वर का आभारी रहना चाहिए। इसके साथ ही नीचे दिए गए मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।
शिवौ ते स्तां व्रीहीयवावबलासावदोमधौ।
एतौ यक्ष्मं वि बाधेते एतौ मुंचतौ अंहस:।।
क्यों विशेष होता है अन्नप्राशन मुहूर्त?
प्राचीन धर्मग्रंथों में मानव जीवन के महत्वपूर्ण 16 संस्कारों को परिभाषित किया गया है। मनुष्य के जन्म से पूर्व इन संस्कारों का आरंभ हो जाता है और जिनकी समाप्ति मरणोपरांत ही होती हैं। शास्त्रों में वर्णित 16 संस्कारों में से अन्नप्राशन को सांतवां संस्कार माना गया है, जिसे बच्चे के जन्म के 6 महीने बाद सम्पन्न किया जाता है। अन्नप्राशन संस्कार के अंतर्गत नवजात शिशु को पहली बार अन्न का सेवन करवाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस संस्कार के अंतर्गत ऐसा पहली बार होता है जब शिशु को भोजन करवाया जाता है। इस परंपरा के उपरांत बच्चा दूध के साथ अन्न का सेवन भी कर सकता है। अन्नप्राशन संस्कार को अत्यंत शुभ माना जाता है और इस समारोह के दौरान हवन या यज्ञ विधि के बाद बच्चे को पहली बार अन्न खिलाया जाता हैं।
यह भी है महत्वपूर्ण
अन्नप्राशन की पूजा विधि के बाद एक महत्वपूर्ण रिवाज़ को सम्पन्न किया जाता है। इसमें शिशु के सामने कई वस्तुओं को रखा जाता है। शिशु सामने रखी गई कई वस्तुओं में से वो किसी एक वस्तु को उठाता है या हांथ लगाता है। ऐसा माना जाता है कि, शिशु जिस वस्तु को चुनता है, वे उसके भविष्य की योजनाओं की तरफ इशारा करती हैं। अन्नप्राशन के दौरान चांदी की थाली में निम्नलिखित वस्तुओं को रखना आवश्यक माना गया है (चांदी की थाली न होने पर सामान्य थाली का उपयोग कर सकते है)।