Panchak 2025: पंचक हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो हर महीने में पांच दिनों की अवधि को दर्शाता है। इन दिनों को शुभ और अशुभ कार्यों के लिए ध्यान से देखा जाता है, क्योंकि पंचक के दौरान किए गए कुछ कार्यों को अशुभ माना जाता है। यह विशेष समय खगोलीय गणनाओं और चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होता है, और इसके पीछे गहरी धार्मिक मान्यताएं जुड़ी होती हैं।
आम बोलचाल में, लोग पंचक के समय बड़े काम जैसे घर बनाना, शादी, नया वाहन खरीदना, और यात्रा करने से बचते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि हर काम पर रोक होती है, बल्कि कुछ खास कार्यों पर ही ध्यान दिया जाता है। पंचक की अवधि को समझकर और सही उपायों का पालन करके आप इस समय को भी सकारात्मक तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
पंचक एक ऐसा समय होता है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशियों में प्रवेश करता है। पंचक काल को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना गया है। इसे पंचक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दौरान चंद्रमा पांच महत्वपूर्ण नक्षत्रों से गुजरता है: धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, और रेवती। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या नए निर्माण कार्य से बचना चाहिए।
पंचक के समय कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस समय किए गए काम का असर पांच गुना हो जाता है, जो नुकसानदायक हो सकता है। खासतौर पर विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्य इस समय नहीं किए जाते। इस दौरान कुछ कार्यों से नुकसान की संभावना होती है:
धनिष्ठा नक्षत्र: दक्षिण दिशा में यात्रा, छत बनाना, ईंधन इकट्ठा करना, या खाट बनाना अशुभ माना जाता है, जिससे आग लगने का खतरा रहता है।
शतभिषा नक्षत्र: इस समय कोई काम करने से झगड़े हो सकते हैं।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र: इस समय काम करने से बीमारियों का खतरा होता है।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र: इस दौरान काम करने से सजा या दंड मिल सकता है।
रेवती नक्षत्र: इस समय काम करने से धन की हानि हो सकती है।
धनिष्ठा नक्षत्र (आधा हिस्सा)
शतभिषा नक्षत्र
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
रेवती नक्षत्र
पंचक के दौरान सावधानी बरतना जरूरी होता है, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी या परेशानी से बचा जा सके।
पंचक 2025 के दौरान, जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशियों में प्रवेश करता है, इसे ज्योतिष में अशुभ समय माना जाता है। यह समय पाँच नक्षत्रों—धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, और रेवती—से गुजरते हुए बनता है। इन पंचक तिथियों में शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस दौरान किए गए कार्यों का प्रभाव कई गुना बढ़ सकता है। पंचक 2025 की महत्वपूर्ण तिथियों को जानना आवश्यक है ताकि कोई भी शुभ कार्य सावधानीपूर्वक किया जा सके।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, जनवरी 2025 में पंचक 3, 4, 5, 6 और 7 जनवरी 2025 तक लगेंगे। इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण कार्य जैसे कि शादी, नामकरण, या अन्य शुभ कार्य करना टाला जाना चाहिए क्योंकि पंचक के दिनों में शुभ काम करने से अशुभ परिणाम हो सकते हैं।
कब है पंचक जनवरी 2025? तिथि और समय
3 जनवरी 2025, शुक्रवार: पंचक आरंभ: सुबह 10:47 बजे से 7 जनवरी 2025, मंगलवार, पंचक समाप्त: शाम 05:50 बजे.
शतभिषा
प्रारंभ: 3 जनवरी 2025, शुक्रवार, रात 10:21 बजे
समापन: 4 जनवरी 2025, शनिवार, रात 9:23 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 4 जनवरी 2025, शनिवार, रात 9:23 बजे
समापन: 5 जनवरी 2025, रविवार, रात 8:18 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 5 जनवरी 2025, रविवार, रात 8:18 बजे
समापन: 6 जनवरी 2025, सोमवार, शाम 7:06 बजे
रेवती
प्रारंभ: 6 जनवरी 2025, सोमवार, शाम 7:06 बजे
समापन: 7 जनवरी 2025, मंगलवार, शाम 5:50 बजे
वैदिक पंचांग के अनुसार, जनवरी 2025 के अंत में पंचक 30, 31 जनवरी, 1, 2 और 3 फरवरी 2025 तक लगेंगे। इस दौरान भी कोई महत्वपूर्ण कार्य जैसे शादी, नामकरण, या अन्य शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि पंचक के दिनों में शुभ कार्यों की संभावना कम होती है।
कब है दूसरा पंचक जनवरी 2025? तिथि और समय
30 जनवरी 2025, गुरुवार: पंचक शाम 06:35 बजे से शुरू होकर 3 फरवरी 2025, सोमवार, रात 11:16 बजे पंचक समाप्त।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 30 जनवरी 2025, गुरुवार, सुबह 07:15 बजे
समापन: 31 जनवरी 2025, शुक्रवार, सुबह 05:50 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 31 जनवरी 2025, शुक्रवार, सुबह 05:50 बजे
समापन: 1 फरवरी 2025, शनिवार, सुबह 04:14 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 1 फरवरी 2025, शनिवार, सुबह 04:14 बजे
समापन: 2 फरवरी 2025, रविवार, सुबह 02:33 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 2 फरवरी 2025, रविवार, सुबह 02:33 बजे
समापन: 3 फरवरी 2025, सोमवार, रात 12:52 बजे
रेवती
प्रारंभ: 3 फरवरी 2025, सोमवार, रात 12:52 बजे
समापन: 3 फरवरी 2025, सोमवार, रात 11:16 बजे
हिन्दू पंचाग की तिथियों के अनुसार, फरवरी 2025 में पंचक 27, 28 फरवरी,1, 2 और 3 मार्च 2025 तक लगेंगे। इस समय के दौरान भी कोई महत्वपूर्ण काम जैसे शादी, नामकरण, या अन्य शुभ कार्यों को टालना अच्छा रहेगा, क्योंकि पंचक के दिनों में शुभता की कमी होती है।
कब है पंचक फरवरी 2025? तिथि और समय
27 फरवरी 2025, गुरुवार: पंचक सुबह 04:37 बजे से शुरू होकर 3 मार्च 2025, सोमवार, पंचक सुबह 06:39 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 26 फरवरी 2025, बुधवार, शाम 05:23 बजे
समापन: 27 फरवरी 2025, गुरुवार, दोपहर 03:43 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 27 फरवरी 2025, गुरुवार, दोपहर 03:43 बजे
समापन: 28 फरवरी 2025, शुक्रवार, दोपहर 01:40 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 28 फरवरी 2025, शुक्रवार, दोपहर 01:40 बजे
समापन: 1 मार्च 2025, शनिवार, सुबह 11:22 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 1 मार्च 2025, शनिवार, सुबह 11:22 बजे
समापन: 2 मार्च 2025, रविवार, सुबह 08:59 बजे
रेवती
प्रारंभ: 2 मार्च 2025, रविवार, सुबह 08:59 बजे
समापन: 3 मार्च 2025, सोमवार, सुबह 06:39 बजे
हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्च 2025 में पंचक की अवधि 26, 27, 28, 29 और 30 मार्च 2025 तक लगेंगे। इस दौरान भी महत्वपूर्ण कार्यों को स्थगित करना बेहतर रहेगा, क्योंकि पंचक के दिनों में शुभ काम करना शुभ नहीं माना जाता है।
कब है पंचक मार्च 2025? तिथि और समय
26 मार्च 2025, बुधवार: पंचक दोपहर 03:14 बजे से शुरू होकर 30 मार्च 2025, रविवार, पंचक शाम 04:35 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 26 मार्च 2025, बुधवार, सुबह 03:49 बजे
समापन: 27 मार्च 2025, गुरुवार, सुबह 02:29 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 27 मार्च 2025, गुरुवार, 02:29 AM
समापन: 28 मार्च 2025, शुक्रवार, रात 12:33 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 28 मार्च 2025, शुक्रवार, 12:33 पूर्वाह्न
समापन: 28 मार्च 2025, शुक्रवार, रात 10:09 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 28 मार्च 2025, शुक्रवार, रात 10:09 बजे
समापन: 29 मार्च 2025, शनिवार, सायं 07:26 बजे
रेवती
प्रारंभ: 29 मार्च 2025, शनिवार, शाम 07:26 बजे
समापन: 30 मार्च 2025, रविवार, शाम 04:35 बजे
वैदिक पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2025 में पंचक की अवधि 23, 24, 25, 26 और 27 अप्रैल 2025 तक लगेंगे। इस दौरान महत्वपूर्ण कार्यों को स्थगित रखना उत्तम रहेगा।
कब है पंचक अप्रैल 2025? तिथि और समय
23 अप्रैल 2025, बुधवार: पंचक रात 12:31 बजे से शुरू होकर 27 अप्रैल 2025, रविवार, पंचक सुबह 03:39 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 22 अप्रैल 2025, मंगलवार, दोपहर 12:44 बजे
समापन: 23 अप्रैल 2025, बुधवार, दोपहर 12:07 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 23 अप्रैल 2025, बुधवार, दोपहर 12:07 बजे
समापन: 24 अप्रैल 2025, गुरुवार, सुबह 10:49 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 24 अप्रैल 2025, गुरुवार, सुबह 10:49 बजे
समापन: 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार, सुबह 08:53 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार, सुबह 08:53 बजे
समापन: 26 अप्रैल 2025, शनिवार, सुबह 06:27 बजे
रेवती
प्रारंभ: 26 अप्रैल 2025, शनिवार, सुबह 06:27 बजे
समापन: 27 अप्रैल 2025, रविवार, सुबह 03:38 बजे
यह भी पढ़ें: जानें साल 2025 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त की तिथियां।
हिन्दू पंचाग की तिथियों के अनुसार, मई 2025 में पंचक 20, 21, 22, 23 और 24 मई 2025 तक लगेंगे। इस दौरान महत्वपूर्ण निर्णय लेने या शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
कब है पंचक मई 2025? तिथि और समय
20 मई 2025, मंगलवार: पंचक सुबह 07:35 बजे से शुरू होकर 24 मई 2025, शनिवार, पंचक दोपहर 01:48 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 19 मई 2025, सोमवार, शाम 07:29 बजे
समापन: 20 मई 2025, मंगलवार, सायं 07:32 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 20 मई 2025, मंगलवार, शाम 07:32 बजे
समापन: 21 मई 2025, बुधवार, शाम 06:58 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 21 मई 2025, बुधवार, शाम 06:58 बजे
समापन: 22 मई 2025, गुरुवार, शाम 05:47 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 22 मई 2025, गुरुवार, शाम 05:47 बजे
समापन: 23 मई 2025, शुक्रवार, सायं 04:02 बजे
रेवती
प्रारंभ: 23 मई 2025, शुक्रवार, सायं 04:02 बजे
समापन: 24 मई 2025, शनिवार, दोपहर 01:48 बजे
हिन्दू पंचांग के अनुसार, जून 2025 में पंचक 16, 17, 18, 19 और 20 जून 2025 तक लगेंगे। इस अवधि में महत्वपूर्ण कामों और शुभ कार्यों को टालना उचित रहेगा।
कब है पंचक जून 2025? तिथि और समय
16 जून 2025, सोमवार: पंचक दोपहर 01:10 बजे से शुरू होकर 20 जून 2025, शुक्रवार, पंचक रात 09:45 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 16 जून 2025, सोमवार, रात 12:59 बजे
समापन: 17 जून 2025, मंगलवार, रात 01:13 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 17 जून 2025, मंगलवार, रात 01:13 बजे
समापन: 18 जून 2025, बुधवार, रात 01:01 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 18 जून 2025, बुधवार, रात 01:01 बजे
समापन: 19 जून 2025, गुरुवार, रात 12:23 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 19 जून 2025, गुरुवार, रात 12:23 बजे
समापन: 19 जून 2025, गुरुवार, रात 11:16 बजे
रेवती
प्रारंभ: 19 जून 2025, गुरुवार, रात 11:17 बजे
समापन: 20 जून 2025, शुक्रवार, रात 09:45 बजे
वैदिक पंचांग के अनुसार, जुलाई 2025 में पंचक 13, 14, 15, 16, 17 और 18 जुलाई 2025 तक लगेंगे। इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, खासकर निर्माण, यात्रा, और अन्य बड़े कार्यों में।
कब है पंचक जुलाई 2025? तिथि और समय
13 जुलाई 2025, रविवार: पंचक शाम 06:53 बजे से शुरू होकर 18 जुलाई 2025, शुक्रवार, सुबह 03:39 बजे पंचक समाप्त।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 13 जुलाई 2025, रविवार, सुबह 06:53 बजे
समापन: 14 जुलाई 2025, सोमवार, सुबह 06:49 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 14 जुलाई 2025, सोमवार, सुबह 06:49 बजे
समापन: 15 जुलाई 2025, मंगलवार, सुबह 06:26 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 15 जुलाई 2025, मंगलवार, सुबह 06:26
समापन: 16 जुलाई 2025, बुधवार, सुबह 05:46 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 16 जुलाई 2025, बुधवार, सुबह 05:46 बजे
समापन: 17 जुलाई 2025, गुरुवार, सुबह 04:50 बजे
रेवती
प्रारंभ: 17 जुलाई 2025, गुरुवार, सुबह 04:50 बजे
समापन: 18 जुलाई 2025, शुक्रवार, सुबह 03:39 बजे
हिन्दू पंचाग की तिथियों के अनुसार, अगस्त 2025 में पंचक 10, 11, 12, 13 और 14 अगस्त 2025 तक लगेंगे। इस दौरान विशेष कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है।
कब है पंचक अगस्त 2025? तिथि और समय
10 अगस्त 2025, रविवार: पंचक सुबह 02:11 बजे से शुरू होकर 14 अगस्त 2025, गुरुवार, पंचक सुबह 09:06 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 9 अगस्त 2025, शनिवार, दोपहर 02:23 बजे
समापन: 10 अगस्त 2025, रविवार, दोपहर 01:52 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 10 अगस्त 2025, रविवार, दोपहर 01:52 बजे
समापन: 11 अगस्त 2025, सोमवार, दोपहर 01:00 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 11 अगस्त 2025, सोमवार, दोपहर 01:00 बजे
समापन: 12 अगस्त 2025, मंगलवार, सुबह 11:52 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 12 अगस्त 2025, मंगलवार, सुबह 11:52 बजे
समापन: 13 अगस्त 2025, बुधवार, सुबह 10:32 बजे
रेवती
प्रारंभ: 13 अगस्त 2025, बुधवार, सुबह 10:32 बजे
समापन: 14 अगस्त 2025, गुरुवार, सुबह 09:05 बजे
यह भी पढ़ें: जानें 2025 में नए वाहन खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, सितंबर 2025 में पंचक 6, 7, 8, 9 और 10 सितंबर 2025 तक लगेंगे। इस अवधि में महत्वपूर्ण कार्यों को टालना बेहतर रहेगा।
कब है पंचक सितंबर 2025? तिथि और समय
6 सितंबर 2025, शनिवार: पंचक सुबह 11:21 बजे से शुरू होकर 10 सितंबर 2025, बुधवार, पंचक शाम 04:03 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 5 सितंबर 2025, शुक्रवार, रात 11:38 बजे
समापन: 6 सितंबर 2025, शनिवार, रात 10:55 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 6 सितंबर 2025, शनिवार, रात 10:55 बजे
समापन: 7 सितंबर 2025, रविवार, रात 09:41 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 7 सितंबर 2025, रविवार, रात 09:41 बजे
समापन: 8 सितंबर 2025, सोमवार, रात 08:02 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 8 सितंबर 2025, सोमवार, रात 08:02 बजे
समापन: 9 सितंबर 2025, मंगलवार, शाम 06:07 बजे
रेवती
प्रारंभ: 9 सितंबर 2025, मंगलवार, शाम 06:07 बजे
समापन: 10 सितंबर 2025, बुधवार, शाम 04:03 बजे
वैदिक पंचांग के अनुसार,अक्टूबर 2025 में पंचक 3, 4, 5, 6, 7 और 8 अक्टूबर 2025 तक लगेंगे। इस समय अवधि में महत्वपूर्ण कार्यों को स्थगित करने की सलाह दी जाती है।
कब है पंचक अक्टूबर 2025? तिथि और समय
3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: पंचक रात 09:27 बजे से शुरू होकर 8 अक्टूबर 2025, बुधवार, पंचक रात 01:28 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार, सुबह 09:34 बजे
समापन: 4 अक्टूबर 2025, शनिवार, सुबह 09:09 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 4 अक्टूबर 2025, शनिवार, सुबह 09:09 बजे
समापन: 5 अक्टूबर 2025, रविवार, सुबह 08:01 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 5 अक्टूबर 2025, रविवार, सुबह 08:01 बजे
समापन: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार, सुबह 06:16 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार, सुबह 06:16 बजे
समापन: 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार, सुबह 04:01 बजे
रेवती
प्रारंभ: 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार, सुबह 04:01 बजे
समापन: 8 अक्टूबर 2025, बुधवार, रात 01:28 बजे
हिन्दू पंचाग की तिथियों के अनुसार, अक्टूबर 2025 में पंचक 31 अक्टूबर, 1, 2, 3 और 4 नवंबर 2025 तक लगेंगे। इस समय अवधि में महत्वपूर्ण कार्यों को स्थगित करना उचित रहेगा।
कब है दूसरा पंचक अक्टूबर 2025? तिथि और समय
31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: पंचक सुबह 06:48 बजे से शुरू होकर 4 नवंबर 2025, मंगलवार, पंचक दोपहर 12:34 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2025, गुरुवार, शाम 06:33 बजे
समापन: 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार, सायं 06:51 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार, शाम 06:51 बजे
समापन: 1 नवंबर 2025, शनिवार, शाम 06:20 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 1 नवंबर 2025, शनिवार, शाम 06:20 बजे
समापन: 2 नवंबर 2025, रविवार, शाम 05:03 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 2 नवंबर 2025, रविवार, शाम 05:03 बजे
समापन: 3 नवंबर 2025, सोमवार, दोपहर 03:05 बजे
रेवती
प्रारंभ: 3 नवंबर 2025, सोमवार, दोपहर 03:05 बजे
समापन: 4 नवंबर 2025, मंगलवार, दोपहर 12:34 बजे
हिन्दू पंचांग के अनुसार, नवंबर 2025 में पंचक 27, 28, 29, 30 नवंबर और 1 दिसंबर 2025 तक लगेंगे। इस दौरान महत्वपूर्ण निर्णयों और कार्यों को स्थगित करने की सलाह दी जाती है।
कब है पंचक नवंबर 2025? तिथि और समय
27 नवंबर 2025, गुरुवार: पंचक दोपहर 02:07 बजे से शुरू होकर 1 दिसंबर 2025, सोमवार तक, पंचक रात 11:18 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 27 नवंबर 2025, गुरुवार, रात 01:32 बजे
समापन: 28 नवंबर 2025, शुक्रवार, रात 02:32 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 28 नवंबर 2025, शुक्रवार, रात 02:32 बजे
समापन: 29 नवंबर 2025, शनिवार, रात 02:49 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 29 नवंबर 2025, शनिवार, रात 02:49 बजे
समापन: 30 नवंबर 2025, रविवार, रात 02:22 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 30 नवंबर 2025, रविवार, रात 02:22 बजे
समापन: 1 दिसंबर 2025, सोमवार, रात 01:10 बजे
रेवती
प्रारंभ: 1 दिसंबर 2025, सोमवार, रात 01:10 बजे से
समापन: 1 दिसंबर 2025, सोमवार, रात 11:18 बजे
वैदिक पंचांग के अनुसार, दिसंबर 2025 में पंचक 24, 25, 26, 27, 28 और 29 दिसंबर 2025 तक लगेंगे। इस अवधि में भी महत्वपूर्ण कार्यों और निर्णयों को स्थगित करना उचित रहेगा।
कब है पंचक दिसंबर 2025? तिथि और समय
24 दिसंबर 2025, बुधवार: पंचक शाम 07:46 बजे से शुरू होकर 29 दिसंबर 2025, सोमवार, पंचक सुबह 07:41 बजे समाप्त होगा।
धनिष्ठा
प्रारंभ: 24 दिसंबर 2025, बुधवार, सुबह 07:07 बजे
समापन: 25 दिसंबर 2025, गुरुवार, सुबह 08:18 बजे
शतभिषा
प्रारंभ: 25 दिसंबर 2025, गुरुवार, सुबह 08:18 बजे
समापन: 26 दिसंबर 2025, शुक्रवार, सुबह 09:00 बजे
पूर्व भाद्रपद
प्रारंभ: 26 दिसंबर 2025, शुक्रवार, सुबह 09:00 बजे
समापन: 27 दिसंबर 2025, शनिवार, सुबह 09:09 बजे
उत्तरा भाद्रपद
प्रारंभ: 27 दिसंबर 2025, शनिवार, सुबह 09:09 बजे
समापन: 28 दिसंबर 2025, रविवार, सुबह 08:43 बजे
रेवती
प्रारंभ: 28 दिसंबर 2025, रविवार, सुबह 08:43 बजे
समापन: 29 दिसंबर 2025, सोमवार, सुबह 07:40 बजे
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पंचक हिंदू धर्म में एक विशेष समय होता है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले सावधानी बरती जाती है। यह पांच दिनों की अवधि होती है, जिसे सूर्य की डिग्री और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया गया है। पंचक के हर प्रकार का अलग-अलग महत्व और प्रभाव होता है। आइए, पंचक के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि किस पंचक में कौन-कौन से कार्य वर्जित माने गए हैं।
रोग पंचक
यह पंचक तब होता है जब पंचक की शुरुआत रविवार से होती है। इस पंचक के दौरान यज्ञ या धार्मिक अनुष्ठान जैसे कार्य करने से बचना चाहिए। इस समय बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए ध्यान और पूजा-पाठ करके रोग निवारण के उपाय किए जा सकते हैं।
राज्य या नृप पंचक
यदि पंचक की शुरुआत सोमवार से होती है, तो इसे राज्य पंचक या नृप पंचक कहा जाता है। इस समय नौकरी या नई सरकारी योजनाओं में प्रवेश करना वर्जित माना जाता है। यह पंचक राजकीय और सरकारी कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता, इसलिए इस दौरान सरकारी कामकाज में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
अग्नि पंचक
मंगलवार से शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस समय घर का निर्माण, गृह प्रवेश, या किसी प्रकार की नई संपत्ति से जुड़े कार्य नहीं किए जाने चाहिए। अग्नि पंचक में अग्नि या दुर्घटना से जुड़े हादसों की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए निर्माण कार्य या नए कार्यों से बचा जाता है।
चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस समय यात्रा करने से बचा जाता है, क्योंकि चोरी या धन हानि की आशंका रहती है। इस पंचक के दौरान खासकर लंबी दूरी की यात्राओं में सतर्कता बरतनी चाहिए और अपने सामान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मृत्यु पंचक
पंचक यदि शनिवार से शुरू होता है, तो इसे मृत्यु पंचक कहते हैं। इस पंचक के दौरान विवाह, सगाई, और अन्य शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। मृत्यु पंचक का नाम ही बताता है कि यह काल मृत्यु और अनिष्टकारी घटनाओं से जुड़ा हुआ होता है, इसलिए इस समय में विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
पंचक के दौरान कुछ आसान उपाय करके आप इस समय को शांतिपूर्ण और शुभ बना सकते हैं। पंचक के दौरान निम्नलिखित 5 उपाय करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है:
भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा
पंचक के दौरान भगवान विष्णु और भगवान शिव से जुड़े मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आपके जीवन में शांति आती है।
दान करें
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें। यह न केवल आपके लिए पुण्य लाता है बल्कि आपके जीवन में आने वाले कष्टों को भी दूर करता है।
असहाय जानवरों को भोजन खिलाएं
पंचक के समय में असहाय जानवरों को खाना खिलाने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह कार्य आपके अंदर दया और करुणा की भावना को भी बढ़ाता है।
विशिष्ट अनुष्ठान या पूजा
इस समय आप घर या मंदिरों में विशेष पूजा, अनुष्ठान, या हवन करवा सकते हैं। यह पूजा आपके घर और जीवन से नकारात्मकता को दूर करने में सहायक होती है।
नाखून और बाल न काटें
पंचक के दौरान नाखून और बाल काटने से बचना चाहिए। यह परंपरा है कि पंचक के समय शरीर के किसी भी अंग से जुड़े कार्य नहीं किए जाने चाहिए।
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