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2019 लोकसभा चुनाव पर चर्चा हो और देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है। अखिलेश सन 2000 में 27 वर्ष की उम्र में कन्नौज से लोकसभा सीट जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद मई 2009 के लोकसभा उप चुनाव में फिरोजाबाद सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी एसपीएस बघेल को 67,301 मतों से हराकर विजयी हुए। इसके अलावा अखिलेश कन्नौज से भी जीते और उन्होंने फिरोजाबाद सीट से त्यागपत्र देकर कन्नौज सीट से एक बार फिर संसद पहुंचे। मार्च 2012 की उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने 224 सीटें जीतकर सरकार बनाई और अखिलेश यादव मात्र 38 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के 33वें मुख्यमंत्री बने। लेकिन जुलाई 2012 में जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उनके कार्य की आलोचना करते हुए व्यापक सुधार का सुझाव दिया तो जनता में यह संदेश गया कि सरकार अखिलेश नहीं, बल्कि उनके पिता और दोनों चाचा चला रहे हैं। 2017 की विधानसभा चुनाव आने तक अखिलेश का उनके पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव से वैचारिक मतभेद खुलकर उत्तरप्रदेश की जनता के सामने आ गया। जिसके बाद समाजवादी पार्टी में दो गुट बन गए एक अखिलेश व चाचा रामगोपाल यादव और दूसरा मुलायम व चाचा शिवपाल यादव का। 2017 विधानसभा चुनाव में अखिलेश को पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1 जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान रामगोपाल यादव ने घोषणा की, कि अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। हालही में हुए उत्तरप्रदेश लोकसभा उप चुनाव में अखिलेश मायावती के समर्थन से भाजपा को हराने में सफल हुए और यही फार्मूला अखिलेश 2019 लोकसभा चुनाव में भी आजमाने वाले हैं। ऐसे में 2019 के चुनावी रण में अखिलेश के ग्रह उनकी दशा सुधारेंगे या बिगाड़ेंगे, आइए जानते हैं इस पर एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर का क्या कहना है?