सीताराम येचुरी

सीताराम येचुरी


2019 लोकसभा चुनाव में एक समय के थर्ड फ्रंट की अगुवायी करने वाली राजनीतिक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की छात्र नेता से राजनेता बने सीपीएम के कद्दावर नेता और महासचिव सीताराम येचुरी का जन्म तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में 12 अगस्त 1952 को हुआ। येचुरी की प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में हुई। इसके बाद वे 1970 में दिल्ली आ गए। सेंट स्‍टीफन कॉलेज नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स कर येचुरी ने आगे की पढ़ाई के लिए जेएनयू में दाखिला लिया। 1974 में सीताराम येचुरी स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्‍य बने और एक वर्ष के भीतर येचुरी सीपीआई (एम) के सदस्‍य बन गए। आपातकाल के दौरान विरोध स्वरूप हुई गिरफ्तारी से पहले वे कुछ समय के लिए भूमिगत रहे। आपातकाल के तुरंत बाद वे जेएनयू विद्यार्थी संघ के दो साल के लिए सदस्‍य बने। 1978 में वे एसएफआई के ऑल इंडिया ज्‍वॉइंट सेक्रेटरी बने और उसी साल एसएफआई के अध्‍यक्ष बने। 1984 में उन्हें सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के लिए आमंत्रित किया गया। 1985 में सीपीआई की सेंट्रल कमेटी के सदस्‍य बन गए, जिसके बाद उन्‍होंने 1986 में एसएफआई से इस्तीफा दे दिया। जुलाई 2005 में वे पहली बार पश्चिम बंगाल से राज्‍यसभा के सदस्‍य और 2006 में ही वे जेपीसी के सदस्‍य बने। इसी दौरान वे संसदीय बोर्ड के पॉपुलेशन एंड पब्लिक हेल्‍थ के सदस्‍य, बिजनेस एडवायजरी कमेटी के सदस्‍य और लाभ के पद से संबंधित संवैधानिक और कानूनी स्थिति की जांच के लिए संयुक्त समिति के सदस्‍य बने। अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान येचुरी ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को संसद में उठाया। इसके बाद एक बार फिर 2018 में इन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का महासचिव निर्वाचित किया गया। तो आइए जानते हैं येचुरी के लिए लोकसभा चुनाव कैसा रहने वाला है? इनकी कुंडली का आकलन कर एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर का क्या कहना है।

2019 लोकसभा चुनाव के बारे में क्या कहती है सीताराम येचुरी की कुंडली?



नाम – सीताराम येचुरी
जन्म तिथि – 12 अगस्त 1952
जन्म स्थान– चेन्नई

सीताराम येचुरी के जन्म समय का अभाव होने के कारण हमने इनकी सूर्य पत्रिका बनायी है। जिसका हम आकलन करेंगे। सीताराम येचुरी की पत्रिका मेष राशि की है। राशि का स्वामी मंगल अपने से सप्तम भाव में और खुद पर दृष्टि डाल रहा है जिससे यह अपने राशि को मजबूत कर रहा है। चूंकि राजनीतिक क्षेत्र के लिए पत्रिका में भी मंगल का प्रबल होना महत्वपूर्ण माना गया है। येचुरी की पत्रिका में भी मंगल की अपनी राशि पर दृष्टि होने से यह राशि को मजबूती प्रदान कर रहा है। चंद्रमा व गुरू का गजकेसरी योग भी ख्याती दिलाता है और संगठन में उच्चपदवी दिलवाने में सहयोग करता है। येचुरी की पत्रिका में सूर्य और बुध का बुध आदित्य योग बनने से राजनीतिक जीवन में आने-वाले समस्याओं से लड़ने में इन्हें आसानी होगी। परंतु सूर्य और केतु की युक्ति मान-सम्मान में लांछन लगवाता है साथ ही व्यक्ति पर आरोप-प्रत्यरोप भी लगते हैं। कभी-कभी सूर्य केतु की युक्ति के कारण मिली हुई सफलता भी हाथ से निकल जाती है। कुडली में कर्मक्षेत्र का स्वामी ग्रह शनि शत्रु के स्थान में विराजमान हैं। जिससे अधिक शत्रु बनते हैं, साथ ही इसका दुष्प्रभाव कार्य पर पड़ता है। कर्मक्षेत्र में राहु का होना जीवन में सफलता व विफलता दोनों ही दिलवाता है। लेकिन सहयोगी दलों से समर्थन मिलने से सफलता मिल सकती है। येचुरी की पत्रिका में राजयोग भी विद्धमान है। इस योग से जीवन में व्यक्ति को काफी सफलताएं प्राप्त होती हैं। वर्तमान में गोचर के ग्रह भी थोड़ा अशुभ प्रभाव डाल रहा है। जैसा कि राशि से अष्टम भाव में बृहस्पति का होना सीताराम येचुरी को संगठन चलाने में अक्षम बना सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बृपस्पति का गोचर शुरूआत में सफलता दिलाने में सहयोग करेगा। लेकिन यह सफलता भी कुछ समय के लिए ही विद्धमान रहेगी, क्योंकि बृहस्पति के वक्र व मार्गी होने से इसका प्रभाव नजर आएगा। अंतिम परिणाम के समय बृहस्पति शुभ प्रभाव नहीं दे रहे हैं। इसलिए 2019 का चुनावी रण येचुरी के लिए व्यक्तिगत तौर पर अच्छा रहने वाला है। परंतु दल के लिए इसे शुभ नहीं कहा जा सकता।

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2019 लोकसभा चुनाव की प्रेडिक्शन

2019 लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद आगामी देढ़ माह में चुनावी प्रचार के दौरान नेताओं द्वारा शक्ति का खूब प्रदर्शन किया जाना है। चुनावी सभाओं में भाषण व बयानबाजी से मतदाताओं का ध्यान अकर्षित करने का प्रयास भी किया जाएगा। इस दौरान कई वादे किए जाएंगे और नेता अपनी उपलब्धि व कामों को जनता के सामने पेश करेंगे। सातों चरणों के मतदान पूरा होने तक खूब...

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