- Home
- Election
- Politician
- K chandra shekhar rao
केसीआर के नाम से चर्चित और 2019 लोकसभा चुनाव में थर्ड फ्रंट की पैरोकारी करने वाले के. चंद्रशेखर राव देश के 29वें राज्य बने तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री हैं। के. चंद्रशेखर राव आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना राज्य का गठन करने के लिए लंबे समय तक आंदोलन चलाने वाली पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष भी हैं। 2 जून, 2014 को उन्होंने तेलंगाना के राजभवन में सीएम के पद की शपथ ली थी। इसी दिन राज्य का गठन भी हुआ था। उस्मानिया यूनिवर्सिटी से एम. ए करने वाले केसीआर ने राजनीति की शुरुआत यूथ कांग्रेस से की थी, तब संगठन के मुखिया संजय गांधी थे। हालांकि इसके बाद वह 1983 में तेलुगु देशम पार्टी से जुड़ गए। सिद्दिपेट विधानसभा सीट से 1985 में चुनाव लड़ने वाले केसीआर सन् 1999 तक लगातार 4 बार इस सीट से विधायक रहे।
के. चंद्रशेखर राव के राजनीतिक जीवन में सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट 2001 में आया, जब उन्होंने टीडीपी से इस्तीफा देकर तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन किया। इस राजनीतिक दल का उद्देश्य तेलंगाना को पूर्ण राज्य के तौर पर एक नए राज्य का दर्जा दिलवाना था। इसके बाद धीरे-धीरे पार्टी का विस्तार होना शुरू हुआ और 2004 के विधानसभा चुनाव में राव सिद्दिपेट सीट जीतकर विधायक बने और कुछ समय बाद ही करीमनगर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। लेकिन 2006 में राव ने संसद से इस्तीफा दे दिया। के. चंद्रशेखर राव एक बार फिर भारी बहुमत से सांसद चुने गए। 2008 में उन्होंने अपने तीन सांसदों और 16 विधायकों के साथ फिर इस्तीफा दिया और दूसरी बार सांसद चुने गए। तेलंगाना राष्ट्र समिति का आंदोलन रंग लाया और 2014 में ठीक लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सरकार ने तेलंगाना को देश के 29वें राज्य के रूप में मान्यता दे दी। 2 जून 2014 को तेलंगाना राज्य का गठन हुआ और इसके पहले मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव बने। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में राव अपने कार्यकाल के पूरे होने से 6 महीने पहले ही इस्तीफा देकर चुनाव में चले गए जिसका उन्हें लाभ मिला और वे दोबारा जीतकर दोबारा तेलंगाना के सीएम बने। अब 2019 लोकसभा चुनाव सर पर है और राव इस चुनावी रण में भाजपा को चुनौती देने के लिए तीसरा मोर्चा बनाने की बात बड़ी मजबूती से कर रहे हैं। ऐसे में इस रण की रणनीति बनाने में राव की किस्मत उनका कितना साथ देगी, इस बारे में एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर का राव की पत्रिका का आकलन कर क्या कहना है, आइए जानते हैं।