- Home
- Election
- Politician
- Nitish kumar
बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में इंट्री, सत्तर के दशक में चल रहे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के दौरान किया। उस दौर में नीतीश कुमार समाजसेवी व राजनेता सत्येंद्र नरायण सिन्हा के करीबी थे। बिहार की राजनीति में नीतीश अपने कुशल नेतृत्व और कूटनीति के कारण छात्र नेता से एक राजनेता बनने में सफल हुए। वे पहली बार बिहार विधानसभा के लिए 1985 में चुने गये और 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने। 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया और उसी वर्ष वे नौंवी लोकसभा के सदस्य भी चुने गये। 1990 के केंद्रीय सत्ता में नीतीश को कृषि मंत्रालय का भार सौपा गया। 1991 में वे एक बार फिर लोकसभा के लिए चुने गये और इस बार नीतीश को जनता दल का राष्ट्रीय सचिव चुना गया। 2000 में उन्होंने बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1998-1999 में कुछ समय के लिए वे केन्द्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री भी रहें और अगस्त 1999 में गैसाल में हुए एक रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने अपने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया।
2000 में वे बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए परंतु कुछ ही दिनों में नीतीश को त्यागपत्र देना पड़ा। फिर से वे लोकसभा पहुंचे और 2001 – 2004 तक बाजपेयी सरकार में रेलमंत्री रहें। 2004 के लोकसभा चुनाव में नीतीश को हार का सामना करना पड़ा। परंतु 2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश ने राष्ट्रीय जनता दल की 15 वर्ष पुरानी सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश बिहार को तेजी से विकास की ओर ले गए और अपने विकास कार्यों व साफ छवि के चलते एक बार फिर 2010 में बिहार की जनता ने उन्हें अपना मुखिया चुना। लेकिन 2014 विधानसभा चुनाव में दल के खराब प्रदर्शन के कारण नीतीश ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। 2015 बिहार विधानसभा चुनाव जीतकर फिर से नीतीश मुख्यमंत्री बने। इस बार वे आरजेडी के समर्थन से सीएम बने और 10 अप्रैल 2016 को जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। नीतीश ने 26 जुलाई 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, कारण सहयोगी दल से मतभेद होना था, इसके उपरांत नीतीश भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री पद की दोबारा शपथ लिए और एनडीए में शामिल हो गए। 2019 लोकसभा चुनाव में नीतीश एनडीए के साथ चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं, ऐसे में बिहार की जनता उनका कितना साथ देगी। आइए जानते नीतीश की पत्रिका का आकलन कर एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर क्या कहना हैं।