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एक दौर में कहा जाता था कि राजनीति करना सब के बस की बात नहीं, किन्तु नौकरशाह से समाजसेवक बने अरविंद केजरीवाल ने 26 नवंबर 2012 को जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी बनाकर सबको गलत साबित कर दिया। अन्ना आंदोलन के पहले अरविंद केजरीवाल को कौन जानता था। आंदोलन में केजरीवाल बढ़-चढ़कर शामिल हुए और इसका लाभ भी उन्हें मिला। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ें जहां उनकी सीधी लड़ाई 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित से थी। केजरीवील ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को 25864 मतों से पराजय का स्वाद चखाया। इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल को कुल 44269 मत प्राप्त हुए जबकि शीला दीक्षित को केवल 18405 मत ही प्राप्त हुए। नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में तहलका मचा दिया। इसी के साथ केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीति में धमाकेदार इंट्री की। आम आदमी पार्टी इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और सत्तारूढ़ कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई। केजरीवाल ने कांग्रेस का समर्थन लेकर अपनी सरकार बनायी। लेकिन यह सरकार एक वर्ष ही चल सकी। 2015 के चुनाव में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्ड 70 विधान सभा सीटों में से 67 सीटें जीतकर अपनी सरकार बनायी। इस चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि भाजपा को सिर्फ 3 सीटें मिली। इसके बाद केजरीवाल दूसरे राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में शामिल हुए लेकिन पंजाब को छोड़कर केजरीवाल को ज्यादा सफलता नहीं मिली। 2019 लोकसभा चुनावों में केजरीवाल के लिए समय कैसा रहेगा? आइए जानते हैं इस पर एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर उनके भविष्य को कैसे देखते हैं।