शुक्र योग

शुक्र योग

खगोलीय रूप से शुक्र पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है। आप शुक्र को अक्सर सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय के पहले कुछ घंटों के भीतर देख सकते हैं, यह आकाश में सबसे चमकीले तारे के रूप में दिखाई देता है। शुक्र कलात्मक ग्रह है और यह संगीत, ललित कला, कविता, भौतिकवादी आनंद, कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन, आभूषण, वाहनों से जुड़ा हुआ है। बुध के साथ शुक्र मनोरंजन क्षेत्र में सफलता देगा जबकि शनि के साथ शुक्र कपड़ा और वास्तुकला क्षेत्रों में सफलता देगा। यदि आप कुंडली मे योग के बारें मे व्यक्तिगत परामर्श के लिए, आप Astroyogi.com पर ज्योतिषियों से परामर्श कर सकते हैं। 

शुक्र से बनने वाले योग

  • यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र, चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में पहले, चौथे, सातवें और दशवें घर में होते हैं तो जातक जीवनभर सुख-सुविधा वाला जीवन जीता है। 

  • यदि किसी कुंडली में लग्न में सूर्य, चंद्रमा हो और बारहवें भाव में शुक्र है तो वह जातक को धनवान बनाता है।

  • यदि कुंडली में लग्न से बारहवें घर में शुक्र हो तो जातक राजयोग का सुख भोगता है।

  • जिस जातक की कुंडली में शुक्र मीन, वृषभ और तुला राशि के पहले, चौथे, सातवें और दशवें घर में स्थित होता है तो जीवन में खुशहाल बना रहता है।

  • यदि किसी कुंडली में शुक्र धनु या मीन राशि में हो और बृहस्पति की दृष्टि उस पर पड़ रही हो तो जातक का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।

  • यदि किसी कुंडली में शुक्र मिथुन अथवा कन्या राशि में हो और उस पर चंद्रमा की दृष्टि पड़ रही हो तो जातक जीवन भर राजा की तरह आनंद भोगता है।

  • यदि चौथे भाव से चंद्रमा, बुध और शुक्र का संबंध हो और इन तीनों ग्रहों का लग्न से भी संबंध हो तो कुंडली में महाराजा योग बनता है। जातक के पास अपार धन-संपदा होती है। 

लक्ष्मी योग 

लक्ष्मी योग तब बनता है जब नवम भाव का स्वामी बलवान अवस्था में त्रिक भाव में होता है और जब लग्न का स्वामी बलवान होता है।

यह योग तब भी बनता है जब शुक्र और नवम भाव का स्वामी बलवान अवस्था में केंद्र या त्रिक भाव में मौजूद होता है। अत: लक्ष्मी योग दो तरह से बनता है। नवम भाव का स्वामी दोनों प्रकार की योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

लक्ष्मी योग व्यक्ति को साहसी और कुशल बनाता है। ऐसे व्यक्ति के पास उच्च सिद्धांत होते हैं और एक अच्छे नेता होते हैं।

इस योग के प्रभावों के कारण आप हमेशा दान और धार्मिक कार्यों में शामिल रहेंगे। आप अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के प्रति भी सुरक्षात्मक रहेंगे। लक्ष्मी योग की मौजूदगी आपको बीमारियों से दूर रखती है और आपको प्रसिद्ध भी बनाती है। आपको एक अच्छा जीवन साथी भी मिलेगा जो जिंदगीभर आपका साथ निभाएगा।

सरस्वती योग

सरस्वती योग का संबंध शिक्षा से रहा है। माता सरस्वती को शिक्षा की देवी माना जाता है। अत: इस योग वाले व्यक्ति को हमेशा माता सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सरस्वती योग कैसे बनता है

जब बुध, शुक्र और बृहस्पति केंद्र (प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव) में या त्रिकोण भाव या द्वितीय भाव में बैठकर संबंध बना रहे हो तो कुंडली में सरस्वती योग बनता है। यह योग व्यक्ति की बुद्धिमत्ता को बढ़ाता है और व्यक्ति उच्च शिक्षित होता है। सरस्वती योग वाले जातक निश्चय ही धनवान और खुशहाल होते हैं और वैवाहिक सुख भी भोगते हैं।

कुंडली में सरस्वती योग वाले व्यक्ति, नाम और प्रसिद्धि पाने के लिए किस्मत वाले होते हैं। अगर दिलचस्पी होती है, तो वे संगीतकार और रचनात्मक कलाकार हो सकते हैं। उन्हें निश्चित रूप से कविताएं, गद्य और नाटक की रचना करने का कौशल प्राप्त होता है। ऐसे जातकों की गणित अच्छी होती है। सरस्वती योग वाले जातक के पास एक सुंदर मधुर आवाज़ और लिखावट होती है।

श्रीनाथ योग 

यदि किसी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी दशम भाव में मौजूद हो और दसवें भाव का स्वामी नवम भाव में उपस्थित हो तो श्रीनाथ योग का निर्माण होता है। श्रीनाथ योग कुंडली में बनता है जो जातक को धन, सुख- समृद्धि, नाम, प्रसिद्धि, मान-सम्मान, यश, लंबी आयु और अन्य लाभकारी चीजों के साथ आशीर्वाद देता है। इस योग में जन्मे जातकों पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है।


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