ज्योतिष के अनुसार, किसी कुंडली का निर्माण ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर किया जाता है और कुंडली में बनने वाले योग भी ग्रह, नक्षत्रों और लग्न की स्थितियों के अनुसार ही बनते हैं। इन्हीं योगों में से एक योग है महाभाग्य योग (MahaBhagya yoga in Astrology), जिसके बनने से जातक को समाज में सम्मान, प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। यह योग कुंडली में लग्न, चंद्रमा और सूर्य की विषम स्थिति होने पर बनता है। साथ ही स्त्री व पुरुष के जन्म का समय देखा जाता है कि उसका जन्म रात्रि में हुआ है या दिन में। इस योग में स्त्री और पुरुष के लिए अलग-अलग नियम देखने को मिलते हैं। खास बात यह है कि महाभाग्य योग असाधारण व्यक्तियों की ही कुंडली में बनता है।
यदि किसी पुरुष जातक का जन्म लग्न सूर्य व चंद्रमा की विषम राशि यानि मेष ,मिथुन, सिंह ,तुला, धनु एवं कुंभ राशि में होना चाहिए, तब कुंडली में महाभाग्य योग बनता है।
यदि पुरुष जातक का जन्म दिन में हो और लग्न, सूर्य व चंद्रमा विषम राशि में हो तो सूर्य का प्रभाव बढ़ जाता है।
यदि किसी जातिका का जन्म लग्न सूर्य और चंद्रमा की विषम राशि यानि वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशि में होना चाहिए, तब कुंडली में महाभाग्य योग बनता है।
यदि किसी जातिका का जन्म रात्रि में हो और लग्न, सूर्य व चंद्रमा विषम राशि में हो तो, चंद्रमा का प्रभाव बढ़ जाता है।
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जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में महाभाग्य योग होता है, उसे देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उसका धन बढ़ता रहता है और उसे उच्च पद पर काम करने का अवसर मिलता है। जातक एक शानदार जीवन जीता है और उसे महंगे आभूषण और कपड़े मिलते हैं। यह योग समृद्धि, भौतिक सुख और महंगे वाहनों के आराम को बढ़ाने में भी मदद करता है।
कुंडली में महाभाग्य योग बनने से जातक को मान, सम्मान, पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
इस योग के बनने से जातक अपने समाज और परिवार का नाम रौशन करता है।
कुंडली में महाभाग्य योग बनने से जातक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
जिस स्त्री की कुंडली में यह योग बनता है वह चरित्रवान, सभ्य और सुशील होती है।
महाभाग्य योग वाली जातिका को राजकीय कार्यों में काम करने का अवसर मिलता है।
यदि किसी जातक की कुंडली में जन्म लग्न, सूर्य और चंद्रमा पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि होगी, तो जातक को महाभाग्य योग का फल प्राप्त नहीं होगा।
यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा और सूर्य नीच राशि में होंगे और उन पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि होगी तो भी यह योग शुभ फल प्रदान नहीं करेगा।
इसके अलावा यदि पुरुष जातक की कुंडली में सूर्य तुला राशि में होगा तो तुला उसकी उच्च राशि है इसलिए जातक को इस योग का शुभ फल मिलेगा लेकिन सूर्य अगर अपनी नीच राशि तुला में है तो उसे इस योग का शुभ फल प्राप्त नहीं होगा।
इसी तरह यदि स्त्री जातक की कुंडली में चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में होगा तो जातक को इस योग का शुभ फल प्राप्त होगा परंतु चंद्रमा के वृश्चिक में होने से जातक को इस योग का अच्छा परिणाम प्राप्त नहीं होगा।