ज्योतिष शास्त्र के 27 नक्षत्रों का अपना महत्व और विशेषता होती है। पुनर्वसु नक्षत्र भी इन्हीं नक्षत्रों में से एक महत्वपूर्ण नक्षत्र है। ज्योतिष के अनुसार, पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी ग्रह बृहस्पति को माना जाता है। देव गुरु बृहस्पति ज्ञान, समृद्धि और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है। इस नक्षत्र का नाम "पुनर्वसु" दो शब्दों से मिलकर बना है, पुनः और दूसरा वसु। इसका अर्थ होता है "पुनः सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति।" इसका संकेतक यह है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने जीवन में नई शुरुआत करने और सफलता प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
यह नक्षत्र मिथुन राशि के 20° से 3°20' कर्क राशि तक फैला हुआ है। इसका प्रतीक धनुष और बाण है, जो संकल्प और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। इस नक्षत्र के पहले तीन चरण मिथुन राशि (Punarvasu Nakshatra rashi) में आते हैं और अंतिम यानी चौथा चरण कर्क राशि में आता है। इस नक्षत्र के देवता के रूप में देवी अदिति को पूजा जाता है, जो सभी देवी-देवताओं की माता मानी जाती हैं। इस नक्षत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। ऐसी मान्यता है कि श्री राम का जन्म भी पुनर्वसु नक्षत्र में ही हुआ था। यही कारण है कि पुनर्वसु नक्षत्र को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों में अक्सर दूसरों की सेवा करने का भाव देखने को मिलता है। यह लोग अच्छे दिल के होते हैं और दूसरों का हमेशा भला ही चाहते हैं। इसके अलावा जीवन में उच्च आदर्शों का पालन करने में विश्वास रखते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र के चार चरण या पद होते हैं। इन चरणों में जन्मे लोग अलग-अलग विशेषताओं को लेकर पैदा होते हैं। तो आइए जानते हैं किस पुनर्वसु नक्षत्र (Punarvasu Nakshatra in hindi) में किस चरण का क्या अर्थ होता है और इसका जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
पुनर्वसु नक्षत्र पहला चरण: पुनर्वसु नक्षत्र का पहला चरण मंगल ग्रह से प्रभावित होता है। आप लोग बेहद साहसी होते हैं और ऊर्जा से भरपूर भी होते हैं। किसी भी कार्य में पहल करना आप बखूबी जानते हैं। इसके साथ ही आपको नई चीजों के बारे में जानना और अलग-अलग अनुभव प्राप्त करना बेहद पसंद होता है। आप टीम वर्क के महत्व को पहचानते हैं, इसलिए आप जब भी किसी लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं तो आप लोगों को एकसाथ लेकर आगे बढ़ते हैं और पूरा सहयोग भी करते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र दूसरा चरण: इस नक्षत्र के दूसरे चरण पर शुक्र ग्रह का शासन होता है। इस चरण में जन्मे लोग धन, समृद्धि और अन्य भौतिक सुखों की ओर आकर्षित रहते हैं। आपको सबसे अधिक रूचि संपत्ति बनाने और पैसा कमाने में होती है। इसके अलावा आपकी बातचीत का कौशल भी बेहतरीन होता है। आप लोग अक्सर मीठा बोलने वाले होते हैं। आप जीवन में आर्थिक सुरक्षा को बहुत महत्व देते हैं। आपके लिए हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म और इम्पोर्ट एक्सपोर्ट जैसे क्षेत्रों में करियर बनाना अक्सर फायदेमंद साबित होता है।
पुनर्वसु नक्षत्र तीसरा चरण: पुनर्वसु नक्षत्र का तीसरा चरण बुध ग्रह द्वारा शासित होता है। तीसरे चरण में पैदा होने वाले लोग बहुत ही रचनात्मक और कल्पनाशील होते हैं। मानसिक क्षमता से जुड़ी गतिविधियों में भी आपका विशेष रुझान होता है। बुध ग्रह के प्रभाव से आपके भीतर स्पष्ट और तार्किक रूप से सोचने की क्षमता होती है। आप लोग नए नए आइडिया लेकर आने में माहिर होते हैं। आपकी सोच और समझ इतनी मजबूत होती है कि आप किसी भी समस्या को जल्दी से जल्दी हल कर लेते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र चौथा चरण: पुनर्वसु नक्षत्र चौथे चरण पर चंद्रमा का प्रभाव होता है। इस चरण में जन्मे लोगों के अंदर बहुत ज्यादा संवेदनशीलता होती है। आप अक्सर सभी की देखभाल करने वाले लोग होते हैं। आपको दूसरों की सहायता करने में खुशी मिलती है। आपका दिल बड़ा होता है और आप हमेशा अपने कार्यों से समाज में सकारात्मकता लाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा आप अपनी जिम्मेदारियों को लेकर भी बहुत दृढ़ होते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र में आपका जन्म हुआ है तो आप होनहार व उत्साहयुक्त होने के साथ एक ईमानदार व्यक्ति हैं। आप आध्यात्मिक गतिविधियों में रूचि लेते हैं तथा भौतिकवाद से कोसों दूर रहते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति धार्मिक व्यवसाय में ही जाना पसंद करते हैं। आप जो कुछ भी भौतिक सुख-सुविधाएं या वस्तुएं प्राप्त करते हैं, उन्हें आप दूसरों के साथ मिल-बांट कर ग्रहण करते हैं। अपनी आध्यात्मिक तृप्ति के लिए आप अपने अंतर्मन को ही टटोलते हैं। अधिकांशतः आप धार्मिक व आध्यात्मिक करियर को ही चुनते हैं। यदि किसी कारण आप ऐसे करियर को नहीं भी चुन पाते हैं तो भी आप भीतर से धार्मिक व आध्यात्मिक प्रवृति के ही रहते हैं। आपके लिए अन्य अनुकूल करियर विकल्पों में लेखन व अभिनय के क्षेत्र मुख्य हैं। इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का वैवाहिक जीवन बड़ा सुखमय होता है। आपके घर जन्मे बच्चे खुद को सुरक्षित व स्नेह से परिपूर्ण पाते हैं। आप का परिवार ईश्वर पर आपके गूढ़ विश्वास व उच्च आदर्शों के कारण खुद को गहरी सुरक्षा की भावना से पूर्ण पाता है। आपको अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए तथा स्वस्थ आहार ग्रहण करना चाहिए, वरना आप बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं।
ज्योतिष के सातवें नक्षत्र पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु ग्रह है। इस प्रकार पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे लोगों पर बृहस्पति ग्रह का महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति को ज्ञान, उच्च शिक्षा, आध्यात्मिकता, बुद्धिमत्ता, संपत्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। गुरु यानी बृहस्पति ग्रह पुनर्वसु नक्षत्र वाले लोगों को जीवन में ज्यादातर सकारात्मक फल देता है। इस ग्रह के प्रभाव से आप नई चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। आप लोगों को सच्चाई पसंद होती है और आप अपने जीवन में नैतिकता व आदर्शों का पूरा पालन करते हैं। इसके अलावा बृहस्पति का आशीर्वाद आपको दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। इस तरह आप जीवन की वास्तविकता को समझने और उसे अपनाने में सक्षम हो पाते हैं। आपका दिल बहुत उदार होता है और आप धार्मिक प्रवृति वाले होते हैं। आपकी बुद्धि और समझदारी के कारण आपको लोगों द्वारा मान-सम्मान मिलता है। आप हर परिस्थिति में सकारात्मक सोच रखते हैं और धैर्य के साथ चुनौती का सामना करते हैं। बृहस्पति आपको सुख, समृद्धि और यश के साथ-साथ जीवन में सफलता पाने के लिए मदद करता है।
पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों का संबंध प्रत्येक नक्षत्र के साथ अलग-अलग होता है। कुछ नक्षत्र ऐसे होते हैं जिनके साथ पुनर्वसु नक्षत्र (punarvasu nakshatra) वाले लोगों का रिश्ता बहुत ही सकारात्मक और संतुलित होता है, तो आइए ऐसे तीन अनुकूल नक्षत्रों के बारे में जानें-
पुनर्वसु और भरणी नक्षत्र:पुनर्वसु और भरणी नक्षत्र के लोगों के बीच एक बहुत ही अच्छा संबंध होता है। ऐसा माना जाता है कि भरणी नक्षत्र के लोगों के भीतर आपको प्रेम और संतुलन से जुड़ी चीजें सिखाने की क्षमता होती है। वहीं दूसरी ओर आपके ज्ञान को सीखने की चाह भरणी नक्षत्र (bharani nakshatra) वालों को आपकी तरफ आकर्षित करती है। आपका रिश्ता बहुत दिलचस्प होता है। आप एक-दूसरे के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए जरूरी बदलावों को भी अपनाने से पीछे नहीं हटते। यह गुण न सिर्फ आपके संबंधों को सकारात्मक बनाए रखता है, बल्कि रिश्ते में सामंजस्य भी लाता है।
पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र:पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के लोगों का रिश्ता बहुत ही शानदार होता है। आपके इस रिश्ते में भरोसा, प्यार, दोस्ती और वफादारी सब कुछ देखने को मिलता है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि एक आदर्श रिश्ते की परिभाषा पर खरे उतरते हैं। पुष्य नक्षत्र (pushya nakshatra) वाले लोगों को हंसी मजाक पसंद होता है और वे अच्छे दिल वाले लोग होते हैं। यह गुण आपके साथ उनके रिश्ते को खूबसूरत बनाने में योगदान देता है। पुष्य नक्षत्र के लोग आपके साथ बहुत सच्चे रहते हैं और अपनी कोई भी बात साझा करने से झिझकते नहीं हैं। इन दोनों नक्षत्रों के जातक एक-दूसरे के साथ समय बिताना पसंद करते हैं और आपके बीच की बॉन्डिंग बहुत मजबूत होती है।
पुनर्वसु और स्वाति नक्षत्र:स्वाति नक्षत्र के लोग बहुत ज्यादा दयालु होते हैं। आपको उनका यह गुण बहुत अच्छा लगता है। आप स्वाति नक्षत्र के लोगों को उनके लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करते हैं। किसी भी रिश्ते में एक-दूसरे की भवनाओं और इच्छाओं का सम्मान सबसे अहम होता है, इसलिए आपकी प्रेरणा उनके लिए महत्वपूर्ण साबित होती है। आप लोग भले ही चीजों के प्रति एक जैसा नजरिया न रखते हों, लेकिन आप बहुत से मामलों में एक जैसे विचार रखते हैं। स्वाति नक्षत्र (swati nakshatra) के लोगों के साथ आपका एक अलग कंफर्ट जोन बन जाता है, इसलिए आप रिश्ते में कमिटमेंट देने में देरी नहीं करते।
पुनर्वसु नक्षत्र में कुछ खास उपायों का पालन करके शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है। यहां आपके लिए कुछ ऐसे ही उपाय दिए गए हैं जिनकी मदद से आप पुनर्वसु नक्षत्र (Punarvasu Nakshatra rashi) के अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं और शुभ प्रभाव पा सकते हैं।
बृहस्पति की पूजा करें: पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। इसलिए इस नक्षत्र को मजबूत करने के लिए देव गुरु बृहस्पति की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे हैं और इस नक्षत्र के शुभ परिणाम पाना चाहते हैं तो आपको अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए गुरु बृहस्पति की पूजा जरूर करनी चाहिए।
गुरुवार का व्रत रखें: बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए आप हर गुरुवार का व्रत भी रख सकते हैं। ध्यान रखें कि इस दौरान जरूरतमंदों की सेवा करना भी बहुत लाभकारी होता है। गुरु से संबंधित वस्त्र और धातुओं का दान करना चाहिए।
गुरु मन्त्र का जाप: पुनर्वसु नक्षत्र में पीले वस्त्र धारण करके गुरु मंत्र का जाप करना भी बहुत अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही, गुरुवार को पीले रंग की खाने की चीजों का सेवन करना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
विष्णु मंदिर जाएँ: इस नक्षत्र में धन से संबंधी समस्याओं का हल भी हो सकता है। इसके लिए आपको विष्णु मन्दिर में जाकर प्रार्थना करनी होगी। इसके बाद मंदिर में ही 200 ग्राम हल्दी, चने की दाल या केसर आदि का दान करना भी बहुत अच्छा माना जाता है। इस उपाय से आपके घर में मौजूद आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है।
नक्षत्र मन्त्र का जाप: इन सभी उपायों के अलावा एक महत्वपूर्ण और खास उपाय इस नक्षत्र के वैदिक मन्त्र का जाप भी होता है। इसके लिए आपको हर दिन पूरे मन से पुनर्वसु नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। ध्यान रहे कि वैदिक मन्त्र तभी असरदार होगा जब आप इसका जाप पूरे 108 बार करेंगे।
पुनर्वसु नक्षत्र में जो लोग जन्म लेते हैं उनकी वाणी बहुत मधुर होती है और वे अपने जीवन में एक नई शुरुआत करने और सफलता प्राप्त करने में भी सक्षम होते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र के देवता कौन है?ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में, पुनर्वसु नक्षत्र सातवें नंबर पर आता है। इस नक्षत्र के स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति हैं और देवी अदिति हैं। इन्हें सभी देवी-देवताओं की माता माना जाता है।
पुनर्वसु नक्षत्र कब लगेगा 2024?पुनर्वसु नक्षत्र 2024 में कब होगा, इसकी जानकारी आपको एस्ट्रोयोगी के पंचांग पेज पर ‘आज के नक्षत्र’ विकल्प पर क्लिक करके आसानी से मिल सकती है।
पुनर्वसु का मतलब क्या है?पुनर्वसु नक्षत्र दो शब्दों पुनः और वसु से मिलकर बना है। इसका अर्थ "पुनः सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति" है।
भगवान राम कौन से नक्षत्र में पैदा हुए थे?धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुनर्वसु नक्षत्र में ही भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, इसलिए पुनर्वसु नक्षत्र को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है।
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