Amavsya 2023 - अमावस्या चंद्र मास के शुक्ल पक्ष की शुरुआत का प्रतीक है। ये महीने की सबसे अंधेरी रात होती है। हिंदू धर्म में, अमावस्या और पूर्णिमा दोनों का विशेष महत्व होता है। इसे न्यू मून डे या नो मून डे भी कहा जाता है, अमावस्या हर महीने में एक बार आती है। ये हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण तिथि है, क्योंकि इस दिन कई आध्यात्मिक गतिविधियां और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इस प्रकार अमावस्या और पूर्णिमा दोनों ही लोगों के जीवन को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करती हैं। आइए जानते हैं अमावस्या का महत्व और साल 2023 में इसकी तिथियां।
अमावस्या को वर्ष के सबसे सार्थक और शक्तिशाली समय में से एक माना जाता है। इस दिन रात को आकाश में चंद्रमा नहीं होता या चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। हिंदू धर्म के अनुसार,अमावस्या की रात वह रात है जो चंद्र मास की पहली तिमाही की पहली रात होती है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या के नाम से जाना जाता है। ये महीने में एक बार आती है, यानी पूरे वर्ष में 12 अमावस्या होती हैं। इसी तरह पूरे साल में 12 पूर्णिमा भी होती हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि के स्वामि पितृ देव माने जाते हैं।
ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार चंद्रमा को पृथ्वी का चक्कर लगाने में लगभग 28 दिन का समय लगता है। जिसमें 15 दिन के बाद पृथ्वी के दूसरे छोर पर आजाता है। इस दौरान संपूर्ण भारत में चंद्रमा दिखाई नहीं देता। जिस दिन पूर्ण रूप से चंद्रमा अदृश्य हो जाता है उस दिन को अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या के दिन, चंद्रमा का वह भाग जो पृथ्वी की ओर होता है, सूर्य द्वारा प्रकाशित नहीं होता है। केवल सूर्य की ओर का भाग ही प्रकाशित होता है, यही कारण है कि रात में चंद्रमा हमारी आंखों के लिए अदृश्य हो जाता है। यह सूर्य और चंद्रमा के बीच संरेखण, यानी सूर्य-चंद्र संयोजन के कारण है।
इस दिन पितृ दोष या काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा भी करवाई जाती है। अमावस्या निस्संदेह वर्ष के सबसे शक्तिशाली समय में से एक है। यही कारण है कि पूरे भारत में लोग इस दिन महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करते हैं।
यदि आप वर्ष 2023 की अमावस्या तिथियों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यहां आपको विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है।
माघ अमावस्या - 21 जनवरी 2023 (शनिवार) : तिथि प्रारंभ - 06:17 सुबह, 21 जनवरी 2023 से तिथि समाप्त- 02:22 रात, 22 जनवरी 2023
फाल्गुन अमावस्या - 20 फरवरी 2023 (सोमवार): तिथि प्रारंभ - 04:18 शाम, 19 फरवरी 2023 से तिथि समाप्त - 12:35 दोपहर, 20 फरवरी 2023
चैत्र अमावस्या - 21 मार्च 2023 (मंगलवार) : तिथि प्रारंभ - 01:47 रात, 21 मार्च 2023 से तिथि समाप्त - 10:52 रात, 21 मार्च 2023
वैशाख अमावस्या - 20 अप्रैल 2023 (गुरुवार) : तिथि प्रारंभ - 11:23 सुबह, 19 अप्रैल 2023 से तिथि समाप्त - 09:41 सुबह, 20 अप्रैल 2023
ज्येष्ठ अमावस्या - 19 मई 2023 (शुक्रवार) : तिथि प्रारंभ - 09:42 रात, 18 मई 2023 से तिथि समाप्त - 09:22 रात, 19 मई 2023
आषाढ़ अमावस्या - 18 जून 2023 (रविवार): तिथि प्रारंभ - 09:11 सुबह, 17 जून 2023 से तिथि समाप्त - 10:06 सुबह, 18 जून 2023
श्रावण अमावस्या - 17 जुलाई 2023 (सोमवार): तिथि प्रारंभ - 10:08 रात, 16 जुलाई 2023 से तिथि समाप्त - 12:01 रात, 18 जुलाई 2023
श्रावण अधिक अमावस्या - 16 अगस्त 2023 (बुधवार): तिथि प्रारंभ - 12:42 दोपहर, 15 अगस्त 2023 से तिथि समाप्त - 03:07 दोपहर, 16 अगस्त 2023
भाद्रपद अमावस्या - 14 सितंबर 2023 (गुरुवार) : तिथि प्रारंभ - 04:48 सुबह, 14 सितंबर 2023 से तिथि समाप्त - 07:09 सुबह, 15 सितंबर 2023
अश्विन अमावस्या - 14 अक्टूबर 2023 (शनिवार) : तिथि प्रारंभ - 09:50 रात, 13 अक्टूबर 2023 से तिथि समाप्त - 11:24 रात, 14 अक्टूबर 2023
कार्तिका अमावस्या - 13 नवंबर 2023 (सोमवार) : तिथि प्रारंभ - 02:44 दोपहर, 12 नवंबर 2023 से तिथि समाप्त - 02:56 दोपहर, 13 नवंबर 2023
मार्गशीर्ष अमावस्या - 12 दिसंबर 2023 (मंगलवार) : तिथि प्रारंभ - 06:24 सुबह, 12 दिसंबर 2023 से तिथि समाप्त - 05:01 सुबह, 13 दिसंबर 2023
चंद्रमा के न होने पर भी उसकी अनुपस्थिति उसे पहले से भी अधिक शक्तिशाली बना देती है। इस दौरान चंद्रमा का महत्व अधिक बढ़ जाता है। अमावस्या चंद्र मास की सबसे अंधेरी रात होती है, इसलिए कई संस्कृतियों और लोगों का मानना है कि अमावस्या तिथि किसी भी शुभ कार्य को पूरा करने के लिए शुभ नहीं मानी जाती है। आमतौर पर लोगों का मानना है कि अमावस्या के दौरान प्रचलित ऊर्जाएं व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं। यह दिन व्यक्ति के स्वभाव और व्यवहार को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अतिरिक्त, यह माना जाता है कि हमारा अवचेतन मन (सबकॉन्शस माइंड) अमावस्या से अत्यधिक प्रभावित होता है और काफी कमजोर होता है। आमतौर पर ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि चंद्रमा मन को प्रभावित करता है। इसलिए अमावस्या की रात मन को कमजोर बना देती है।
हिंदू धर्म के अनुसार अमावस्या के दिन कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता और उसे भविष्य के किसी अच्छे दिन के लिए टाल दिया जाता है। गृहप्रवेश समारोह, नामकरण समारोह, यात्रा, आभूषणों की खरीदारी, वाहन या संपत्ति की खरीदारी और महत्वपूर्ण व्यापारिक लेन-देन जैसे शुभ कार्य या कार्यक्रम इस दिन नहीं किए जाते हैं। लोगों का यह भी मानना है कि इस दिन भावनाओं में वृद्धि होती है। अमावस्या की रात को अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दौरान बुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है। कुछ लोग इस दिन 'तांत्रिक' या काला जादू भी करते हैं।
हालांकि अमावस्या का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। महीने का यह समय पूजा करने और ईश्वर के समक्ष प्रार्थना करने के लिए समर्पित होता है। यह हमारे पूर्वजों और दिवंगत परिवार के सदस्यों को याद करने का भी एक आदर्श समय है। यही कारण है कि कई हिंदुओं ने इस दिन को अपने पूर्वजों की पूजा (पितृ तर्पणम) करने के लिए चुना है। अमावस्या के दिन, कई भक्त सफलता, समृद्धि, खुशी और पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या व्रत का पालन करते हैं। हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दिवाली भी अमावस्या के दिन मनाई जाती है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, पूरे वर्ष में 12 अमावस्या तिथियां होती हैं और प्रत्येक का अपना महत्व होता है। हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन का विशेष महत्व है। अमावस्या तिथि कई व्रतों और त्योहारों से जुड़ी है।
अमावस्या को महत्वपूर्ण मानने के कई कारण हैं जो नीचे दिए गए हैं।
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं और जब यह शनिवार को पड़ती है तो इसे शनि अमावस्या कहते हैं। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन व्रत (उपवास) करना भक्तों के लिए अच्छा साबित हो सकता है। इस विशेष अमावस्या का व्रत किसी भी स्त्री के पति की उम्र को बढ़ा सकता है और जो मां बनना चाहती हैं उनकी मनोकामना पूरी कर सकता है। इसके साथ ही अमावस्या का व्रत करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। सोमवती अमावस्या के अवसर पर, भक्तों की भीड़ धार्मिक और आध्यात्मिक तीर्थ स्थलों जैसे वाराणसी, हरिद्वार, आदि की यात्रा करती है। भक्तों का मानना है कि इस दिन यमुना, गंगा आदि पवित्र नदी में डुबकी लगाना काफी लाभदायक साबित होता है।
हिंदू धर्मग्रंथ' गरुड़ पुराण' के अनुसार, अमावस्या के दिन हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं। पुराणों में उल्लेख है कि अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों की पूजा करने और गरीबों को दान करने से व्यक्ति के बुरे कर्मों और पापों का नाश होता है। अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए श्राद्ध अनुष्ठान करने का उपयुक्त दिन माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन को कई लोग पूरी श्रद्धा से मनाते हैं। ऐसा मानना है कि यदि पितरों की पूजा नहीं कराई जाए तो वे नाराज हो सकते हैं। इस कारण प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए तथा भेंट भी चढ़ानी चाहिए और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पितरों की पूजा करने से भी आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 'रोशनी का त्योहार', दिवाली, कार्तिक के महीने में अमावस्या तिथि को आता है। दिवाली को साल की सबसे काली रात माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह वह रात होती है जब नकारात्मक्ता और बुरी शक्तियों की क्षमता बढ़ जाती है। हालांकि, इस रात को भारत में दीया जलाकर और रोशनी करके मनाया जाता है। रोशनी और जीवंत उत्सव सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर भगाते हैं।
अमावस्या पितृ दोष के निवारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस दिन पवित्र जल से स्नान, दान और तर्पण करना सभी के लिए अत्यधिक लाभकारी और अच्छा माना जाता है।
इसके अलावा कालसर्प दोष की पूजा करने के लिए अमावस्या एक उपयुक्त दिन है।
सबसे लोकप्रिय अमावस्या के दिनों में भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि जयंती, महालय अमावस्या (पितृ पक्ष), सोमवती अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या आदि का नाम भी शामिल हैं।