Ekadashi 2024: कब है एकादशी का व्रत! जानें पूजा विधि और तिथियों के बारें में!

Mon, Dec 25, 2023
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Mon, Dec 25, 2023
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
Ekadashi 2024: कब है एकादशी का व्रत! जानें पूजा विधि और तिथियों के बारें में!

हिन्दू धर्म में कुछ विशेष त्योहारों और तिथियों का बहुत महत्व होता है। इसमें एकादशी सबसे महत्वपूर्ण तिथि में से एक मानी जाती है। एकादशी का व्रत या उपवास करना बहुत जरूरी मानी जाता है। यह तिथि हिन्दू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को होती है, इसलिए इसे ग्यारस भी कहा जाता है। यह तिथि हर महीने में दो बार होती है। पहली एकादशी पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आती है और दूसरी एकादशी अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आती है। हिंदू शास्त्रों में वर्णित है कि एकादशी व्रत लगभग 48 घंटों तक चलता है क्योंकि उपवास एकादशी की पूर्व संध्या पर शुरू होता है और एकादशी (Ekadashi) के अगले दिन सूर्य के उदय होने तक रहता है।

एकादशी व्रत का शास्त्रों में अत्याधिक महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Graras Vrat) को सभी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस व्रत को रखने वालों के लिए कुछ सख्त नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, सभी नियमों का पालन करता है और इस उपवास को श्रध्दा से रखता है वह निश्चित ही इसके अनेक लाभ प्राप्त कर सकता है। एकादशी 2024 (Ekadashi 2024) की तिथिओं से संबंधित इस लेख में आप एकादशी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियां और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आईये जानते हैं 2024 में महीने अनुसार एकादशी व्रत की तिथियां।

मई महीने की एकादशी व्रत कब है ? 

हिंदू पंचांग के अनुसार, मई महीने में कृष्ण पक्ष में बरूथिनी एकादशी तिथि 3 मई 2024 को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 4 मई, 2024 को रात्रि 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए यह व्रत 4 मई को रखा जाएगा। 5 मई को पारण (व्रत तोड़ने का) समय सुबह 05 बजकर 37 मिनट से सुबह  08 बजकर 17 मिनट तक होगा। मई महीने में शुक्ल पक्ष में मोहिनी एकादशी तिथि 18 मई 2024 को सुबह 11 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 19 मई, 2024 को दोपहर 01 बजकर 50 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए यह व्रत 19  मई को रखा जाएगा। 20 मई को पारण (व्रत तोड़ने का) समय सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह  08 बजकर 11 मिनट तक होगा।  

एकादशी के व्रत की कथा

हर व्रत को मनाये जाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक वजह होती है। एकादशी व्रत मनाने के पीछे भी कई कहानियां है। प्रत्येक एकादशी की अपनी कहानी है। हर व्रत के लिए अलग से कहानी दी गई है। 

एकादशी मंत्र

एकादशी पूजा के दौरान, भगवान विष्णु का मंत्र का जाप किया जाता है:

 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' 

इसके साथ ही हरे कृष्ण महामंत्र का 108 बार जप करने की भी सलाह दी जाती है। मंत्र इस प्रकार है:

“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे या हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।”

भक्तजन सुबह और शाम की पूजा के समय एकादशी माता की आरती भी कर सकते हैं।

एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी तिथि के दिन, भगवान विष्णु की पुजा की जाती है। मान्यता है कि एकादशी तिथि (Ekadashi Tithi) श्री भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। यही वजह है कि एकादशी का व्रत सभी व्रतों में खास और काफी प्रभावशाली होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को मौत के भय का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को महाभारत काल में बताई गई थी। एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिल सकता है और सभी कार्य  होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही दरिद्रता से निजात मिलता है। अगर आपको अकाल मृत्यु का भय सताता है तो यह व्रत आपको काफी हद तक इस भय से निदान दिलाएगा। धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद भी इस व्रत से प्राप्त होता रहता है। 

यह भी पढ़ें: अमावस्या 2024 | पूर्णिमा 2024

एकादशी व्रत की पूजा विधि

एकादशी व्रत रखने का नियम बहुत ही सख्त होता है जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना होता है। यह व्रत किसी भी आयु का व्यक्ति और किसी भी लिंग का व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से रख सकता है। एकादशी व्रत रखने वाले लोगों को दशमी (एकादशी से एक दिन पहले) के दिन से कुछ जरूरी नियमों को पालना करना चाहिए।

  • दशमी के दिन से ही व्रत रखने वाले व्यक्ति को मांस-मछली, प्याज, दाल (मसूर की) और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और रात के समय भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।

  • एकादशी के दिन सुबह दांत साफ़ करने के लिए ब्रश के लिए लकड़ी का दातून इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आप इस दिन जामुन, नींबू या फिर आम के पत्तों को चबाकर मुँह साफ़ कर सकते हैं और अपनी उँगली से कंठ(गले) को साफ कर सकते हैं। इस दिन वृक्ष से पत्ते तोड़ना भी ‍अशुभ माना जाता है इसीलिए आप स्वयं से नीचे गिरे हुए पत्तों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं। आप सादे पानी से कुल्ला कर सकते हैं। 

  • स्नान करने के बाद आप मंदिर में जाकर गीता का पाठ कर सकते हैं।  

  • इस व्रत के दौरान, भगवान विष्णु का स्मरण और उनकी प्रार्थना करें। सच्चे मन से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:” मंत्र का जप करें। इस दिन दान का भी महत्व है इसीलिए अपनी यथाशक्ति दान भी कर हैं।  

  • एकादशी के अगले दिन को द्वादशी के नाम से जाना जाता है। द्वादशी दशमी और बाक़ी दिनों की तरह ही आम दिन होता है। इस दिन सुबह जल्दी नहाकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और सामान्य भोजन को खाकर व्रत को पूरा करते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान और दक्षिणा आदि देने की मान्यता है। ध्यान रहे कि श्रद्धालु त्रयोदशी आने से पहले ही व्रत का पारण कर लें। इस दिन कोशिश करनी चाहिए कि एकादशी व्रत का नियम पालन करें और उसमें कोई चूक न हो।

एकादशी व्रत का भोजन

शास्त्रों के अनुसार व्रत रखने वाले व्यक्ति को एकादशी के दिन आप इन कुछ वस्तुओं और मसालों का प्रयोग करते हुए, अपने व्रत का भोजन भी कर सकते हैं जैसे :

  • ताजे फल
  • मेवा 
  • चीनी
  • कुट्टू
  • नारियल
  • जैतून
  • दूध
  • अदरक
  • काली मिर्च
  • सेंधा नमक
  • आलू
  • साबूदाना
  • शकरकंद

एकादशी व्रत का भोजन पूर्णतय फलाहारी होना चाहिए। कुछ व्यक्ति यह व्रत बिना पानी पिए भी रखते हैं जिसे निर्जला एकादशी के रूप में भी जाना जाता है।

 

साल 2024 में एकादशी कौन सी तारीख को पड़ रही है? 

वर्ष  2024 में कुल 24 एकादशी व्रत है। जो 07 जनवरी को सफला एकादशी से शुरू हो रही है तथा साल की आखिरी एकादशी भी सफला एकादशी है। 

  • सफला एकादशी : 07 जनवरी 2024  (तिथि प्रारम्भ - 07 जनवरी 2024, रात 12 बजकर 41 मिनट से -  तिथि समाप्त - 08 जनवरी 2024, रात 12 बजकर 46 मिनट तक। )

  • पौष पुत्रदा एकादशी : 20 जनवरी 2024 (तिथि प्रारम्भ - 20 जनवरी 2024, शाम 07 बजकर 26 मिनट से -  तिथि समाप्त - 21 जनवरी 2024, शाम 07 बजकर 26 मिनट तक।)

  • षटतिला एकादशी : 05 फरवरी 2024 (तिथि प्रारम्भ - 05 फरवरी 2024, शाम 05 बजकर 24 मिनट से - तिथि समाप्त - 06 फरवरी 2024, शाम 04 बजकर 07 मिनट तक।)

  • जया एकादशी : 19 फरवरी 2024 (तिथि प्रारम्भ - 19 फरवरी 2024, सुबह 08 बजकर 49 मिनट से - तिथि समाप्त - 20 फरवरी 2024, सुबह 09 बजकर 55 मिनट तक।)

  • विजया एकादशी : 06 मार्च 2024 (तिथि प्रारम्भ - 06 मार्च 2024, सुबह 06 बजकर 30 मिनट से - तिथि समाप्त - 07 मार्च 2024, सुबह 04 बजकर 13 मिनट तक।)

  • आमलकी एकादशी : 20 मार्च 2024 (तिथि प्रारम्भ - 20 मार्च 2024, रात 12 बजकर 21 मिनट से - तिथि समाप्त - 21 मार्च 2024, रात 02 बजकर 22 मिनट तक।)

  • पापमोचिनी एकादशी : 04 अप्रैल 2024 (तिथि प्रारम्भ - 04 अप्रैल 2024, शाम 04 बजकर 14 मिनट से - तिथि समाप्त - 05 अप्रैल 2024, दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक।)

  • कामदा एकादशी : 18 अप्रैल 2024 (तिथि प्रारम्भ - 18 अप्रैल 2024, शाम 05 बजकर 31 मिनट से -  तिथि समाप्त - 19 अप्रैल 2024, रात 08 बजकर 04 मिनट तक।)

  • बरूथिनी एकादशी : 03 मई 2024 (तिथि प्रारम्भ - 03 मई 2024, रात 11 बजकर 24 मिनट से - तिथि समाप्त - 04 मई 2024, रात 08 बजकर 38 मिनट तक।)

  • मोहिनी एकादशी : 18 मई 2024 (तिथि प्रारम्भ - 18 मई 2024, सुबह 11 बजकर 22 मिनट से -  तिथि समाप्त - 19 मई 2024, दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक।)

  • अपरा एकादशी : 02 जून 2024 (तिथि प्रारम्भ - 02 जून 2024, सुबह 05 बजकर 04 मिनट से -  तिथि समाप्त - 03 जून 2024, रात 02 बजकर 41 मिनट तक।)

  • वैष्णव अपरा एकादशी :  02 जून 2024 (तिथि प्रारम्भ - 02 जून 2024, सुबह 05 बजकर 04 मिनट से -  तिथि समाप्त - 03 जून 2024, रात 02 बजकर 41 मिनट तक।)

  • निर्जला एकादशी : 17 जून 2024 (तिथि प्रारम्भ - 17 जून 2024, सुबह 04 बजकर 43 मिनट से -  तिथि समाप्त - 18 जून 2024, सुबह 06 बजकर 24 मिनट तक।)

  • योगिनी एकादशी : 01 जुलाई 2024  (तिथि प्रारम्भ - 01 जुलाई 2024, सुबह 10 बजकर 26 मिनट से -  तिथि समाप्त - 02 जुलाई 2024, सुबह 08 बजकर 42 मिनट तक।)

  • देवशयनी एकादशी : 16 जुलाई 2024 (तिथि प्रारम्भ - 16 जुलाई 2024, रात 08 बजकर 33 मिनट से -  तिथि समाप्त - 17 जुलाई 2024, रात 09 बजकर 02 मिनट तक।)

  • कामिका एकादशी : 30 जुलाई 2024 (तिथि प्रारम्भ - 30 जुलाई 2024, शाम 04 बजकर 44 मिनट से -  तिथि समाप्त - 31 जुलाई 2024, दोपहर 03 बजकर 55 मिनट तक।)

  • श्रावण पुत्रदा एकादशी : 15 अगस्त 2024 (तिथि प्रारम्भ - 15 अगस्त 2024, सुबह 10 बजकर 26 मिनट से - तिथि समाप्त - 16 अगस्त 2024, सुबह 09 बजकर 39 मिनट तक।)

  • अजा एकादशी : 29 अगस्त 2024 (तिथि प्रारम्भ - 29 अगस्त 2024, रात 01 बजकर 19 मिनट से -  तिथि समाप्त - 30 अगस्त 2024, रात 01 बजकर 37 मिनट तक।)

  • पवर्तिरिनी एकादशी : 13 सितंबर 2024 (तिथि प्रारम्भ - 13 सितंबर 2024, रात 10 बजकर 30 मिनट से - तिथि समाप्त - 14 सितंबर 2024, रात 08 बजकर 41 मिनट तक।)

  • इन्दिरा एकादशी : 27 सितंबर 2024  (तिथि प्रारम्भ - 27 सितंबर 2024, दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से -  तिथि समाप्त - 28 सितंबर 2024, दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक।)

  • पापांकुशा एकादशी : 13 अक्टूबर 2024 (तिथि प्रारम्भ - 13 अक्टूबर 2024, सुबह 09 बजकर 08 मिनट से -  तिथि समाप्त - 14 अक्टूबर 2024, सुबह 06 बजकर 41 मिनट तक।)

  • रमा एकादशी : 27 अक्टूबर 2024 (तिथि प्रारम्भ - 27 अक्टूबर 2024,  सुबह 05 बजकर 23 मिनट से - तिथि समाप्त - 28 अक्टूबर 2024, सुबह 07 बजकर 50 मिनट तक।)

  • देवुत्थान एकादशी : 11 नवंबर 2024  (तिथि प्रारम्भ - 11 नवंबर 2024, शाम 06 बजकर 46 मिनट से -  तिथि समाप्त - 12 नवंबर 2024, शाम 04 बजकर 04 मिनट तक।)

  • उत्पन्ना एकादशी : 26 नवंबर 2024 (तिथि प्रारम्भ - 26 नवंबर 2024, रात 01 बजकर 01 मिनट से - तिथि समाप्त - 27 नवंबर 2024, सुबह 03 बजकर 47 मिनट तक।)

  • मोक्षदा एकादशी/ गुरुवायुर एकादशी : 11 दिसंबर 2024 (तिथि प्रारम्भ - 11 दिसंबर 2024, सुबह 03 बजकर 42 मिनट से - तिथि समाप्त - 12 दिसंबर 2024, रात 01 बजकर 09 मिनट तक।)

  • सफला एकादशी : 25 दिसंबर 2024  (तिथि प्रारम्भ - 25 दिसंबर 2024, रात 10 बजकर 29 मिनट से - तिथि समाप्त - 27 दिसंबर 2024, रात 12 बजकर 43 मिनट तक।)

एकादशी के दिन याद रखने योग्य बातें 

  1. क्रोध का त्याग करें: हर मिलने जुलने वाले इंसान से बहुत प्यार से और मीठेपन से बात करें। एकादशी व्रत के दिन आपको किसी भी व्यक्ति पर क्रोध नहीं करना चाहिए। यदि किसी की बात पर बिना  वजह से आपको गुस्सा आ भी रहा है तो आप उस पर कंट्रोल करें।

  2. भोजन करते समय में इन चीज़ों का सेवन न करें: एकादशी उपवास के दिन मांस, मछली, लहसुन, प्याज आदि वस्तुओं का सेवन प्रयोग न करें। अपने भोजन में इन वस्तुओं को शामिल भी  न करें क्योंकि इनके सेवन से आपका व्रत ख़राब हो जाएगा।

  3. ब्रह्मचर्य का करें पालन: यदि आप यह चाहते हैं कि आपका व्रत संपूर्ण हो जाए तो इसके लिए आपको पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा। रात्रि के समय आपको भोग-विलास से पूरी तरह दूर रहना होगा।

  4. मंदिर में जाएं: जब आप स्नान कर लें तो उसके बाद आप मंदिर में जाएं और वहां जाकर गीता का पाठ करें। इसके अलावा यदि आप चाहें तो पुरोहित जी से भी गीता पाठ को सुन सकते हैं।

  5. भगवान के सामने प्रण लें: भगवान के सामने खड़े होकर इस बात का प्रण लें कि किसी भी व्यक्ति का दिल नहीं दुखायेंगे तथा रात होने पर कीर्तन और जागरण में अपना समय व्यतीत करेंगे। उसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उनसे प्रार्थना करें कि हे प्रभु मुझे मेरा प्रण पूरा करने की शक्ति दें । 

  6. बाल नहीं कटवाने चाहिए: इस दिन आपको अपने बाल बिल्कुल भी नहीं कटवाने चाहिए। यदि आपके बाल बहुत अधिक बढ़ रहे हैं तो आप इस दिन से पहले ही अपने बाल कटवा लें।

  7. इन फलों का करें उपयोग: आप इस दिन केला, आम और अंगूर जैसे मीठे फलों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही आप बादाम तथा पिस्ता भी प्रयोग कर सकते हैं। याद रखें इन चीज़ों के अलावा किसी दूसरी तरह की खाद्य सामग्री को ग्रहण न करें।

एकादशी को न करें यह काम?

  1. वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए ।

  2. घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए ऐसा इसीलिए किया जाता है क्यूंकि घर में झाड़ू आदि लगाने से चीटियों या छोटे-छोटे जीवों के मरने का खतरा रहता है और इस दिन जीव हत्या करने से जीव हत्या का पाप लग सकता है।

  3. एकादशी के दिन चावल का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

  4. किसी भी व्यक्ति द्वारा दिया हुआ अन्न नहीं खाना चाहिए।

  5. मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं आना चाहिए।

क्या आप जानना चाहते हैं कि साल 2024 आपके लिए कैसा रहने वाला है? अगर हां तो अभी पढ़ें एस्ट्रोयोगी का राशिफल 2024 

article tag
Others
article tag
Others
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!