साल 2024 में पूर्णिमा तिथि कब-कब है? जानें पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

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साल 2024 में पूर्णिमा तिथि कब-कब है? जानें पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

 Purnima 2024: नए साल के शुभ अवसर पर नई ऊर्जा का आह्वान होने वाला है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर तिथि के साथ आपके कुंडली के सितारे भी बदलते रहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा का दिन, हर महीने के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को माना जाता है। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा को विशेष धार्मिक अनुष्ठान, गंगा स्नान और दीप दान आदि पर बनने वाले उचित योगों के लिए जाना जाता है। पूर्णिमा को पुरे चाँद यानी फुल मून के नाम से भी जाना जाता है। 

पूर्णिमा के दिन हिन्दू धर्म के त्यौहार और व्रत भी पड़ते हैं। इस खास दिन को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। किसी स्थान पर इसे पूर्णिमा कहते हैं तो किसी स्थान पर से इसे पूर्णमासी भी कहते हैं। हर जगह पर इसका अपना महत्व है। आईये जानते हैं नए साल 2024 में आने वाले पूर्णिमा की तिथियों (Purnima Tithi 2024) के बारें में।

साल 2024 में पूर्णिमा तिथि कब-कब है?

इस साल 2024 में, पृर्णिमा तिथियां 25 जनवरी 2024, 24 फरवरी 2024, 25 मार्च 2024, 23 अप्रैल 2024, 23 मई 2024, 22 जून 2024, 21 जुलाई 2024, 19 अगस्त 2024, 18 सितम्बर 2024, 17 अक्टूबर 2024, 15 नवम्बर 2024 और 15 दिसम्बर 2024 हैं। 

  1. 25 जनवरी 2024, बृहस्पतिवार, पौष पूर्णिमा (प्रारम्भ - 24 जनवरी 2024, रात 09:49 बजे से समाप्त - 25 जनवरी 2024, रात 11:23 बजे तक।)

  2. 24 फरवरी 2024, शनिवार, माघ पूर्णिमाप्रारम्भ- 23 फरवरी 2024, शाम 03:33 बजे से, समाप्त- 24 फरवरी 2024, शाम 05:59 बजे तक।)

  3. 25 मार्च 2024, सोमवार, फाल्गुन पूर्णिमा (प्रारम्भ- 24 मार्च 2024, सुबह 09:54 बजे से, समाप्त-  25 मार्च 2024, दोपहर 12:29 बजे तक।)

  4. 23 अप्रैल 2024, मंगलवार, चैत्र पूर्णिमा (प्रारम्भ- 23 अप्रैल 2024, रात 03:25 बजे से, समाप्त- 24 अप्रैल 2024, सुबह 05:18 बजे तक।)

  5. 23 मई 2024, बृहस्पतिवार, वैशाख पूर्णिमा (प्रारम्भ- 22 मई 2024, शाम 06:47 बजे से, समाप्त- 23 मई 2024,शाम 07:22 बजे तक।)

  6. 22 जून 2024, शनिवार, ज्येष्ठ पूर्णिमा (प्रारम्भ- 21 जून 2024, सुबह 07:31 बजे से, समाप्त- 22 जून 2024, सुबह 06:37 बजे तक।)

  7. 21 जुलाई 2024, रविवार, आषाढ़ पूर्णिमा (प्रारम्भ- 20 जुलाई 2024, शाम 05:59 बजे से, समाप्त- 21 जुलाई 2024, दोपहर 03:46 बजे तक।)

  8. 19 अगस्त 2024, सोमवार, श्रावण पूर्णिमा (प्रारम्भ- 18 अगस्त 2024, रात 03:04 बजे से, समाप्त- 19 अगस्त 2024, रात 11:55 बजे तक।)

  9. 18 सितम्बर 2024, बुधवार, भाद्रपद पूर्णिमा (प्रारम्भ- 17 सितम्बर 2024, सुबह 11:44 बजे से, समाप्त- 18 सितम्बर 2024, सुबह 08:04 बजे तक।)

  10. 17 अक्टूबर 2024, बृहस्पतिवार, आश्विन पूर्णिमा (प्रारम्भ- 16 अक्टूबर 2024, रात 08:40 बजे से, समाप्त- 17 अक्टूबर 2024, दोपहर 04:55 बजे तक।)

  11. 15 नवम्बर 2024, शुक्रवार, कार्तिक पूर्णिमा (प्रारम्भ- 15 नवम्बर 2024, सुबह 06:19 बजे से, समाप्त- 16 नवम्बर 2024, रात 02:58 बजे तक।)

  12. 15 दिसम्बर 2024, रविवार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा (प्रारम्भ- 14 दिसम्बर 2024, शाम 04:58 बजे से समाप्त- 15 दिसम्बर 2024,दोपहर 02:31 बजे से)

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पूर्णिमा व्रत पूजन विधि

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है, लेकिन अगर यह संभव न हो तो घर पर ही स्नान करते समय जल में गंगा जल की कुछ बूंदें मिलाना एक और विकल्प हो सकता है।

  • पूर्णिमा के दौरान, पैतृक अनुष्ठान करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह स्नान, उसके बाद सच्चे मन से संकल्प करने से, निर्धारित अनुष्ठानों और प्रक्रियाओं के साथ एक व्यापक चंद्रमा पूजा समारोह के लिए मंच तैयार होता है। इस चंद्र पूजा के दौरान पवित्र मंत्र "ओम सोम सोमाय नमः" का जाप करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • हिंदू परंपरा में, चंद्रमा के प्रति भगवान शिव की श्रद्धा गहरी होती है। ऐसा माना जाता है कि उनकी जटाओं में चंद्रमा का वास है। इसलिए, पूर्णिमा के दौरान भगवान शिव के साथ चंद्रमा की पूजा करने से आशीर्वाद और लाभ मिलता है।

  • चंद्रमा स्त्री सार का प्रतीक है और अक्सर देवी पार्वती से जुड़ा होता है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।  

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पूर्णिमा का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्त्व  

पूर्णिमा तिथि के ज्योतिष शास्त्र में महत्व को समझें तो पूर्णिमा के दिन ही हनुमान जी, माँ शाकुम्भरी, महात्मा बुद्ध, कबीरदास और संत रविदास जी का जन्म हुआ था। साथ ही इस दिन कोई न कोई खास त्योहार भी अवश्य पड़ जाते हैं जैसे रक्षाबंधन और होली। 

ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा की तिथि का महत्व इसलिए भी माना गया है क्योकिं इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म होने के कारण गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाती है। वैदिक ज्योतिष और प्राचीन शास्त्रों में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होते हैं ऐसे में इसका सीधा सकारात्मक और नकारात्मक असर जातक के मन मस्तिष्क पर पड़ सकता है। 

शास्त्रों के अनुसार, पूर्णिमा के दिन अगर कोई भी व्यक्ति किसी पवित्र तीर्थ स्थल पर जाकर के पूजा-अर्चना और स्नान करता है तो उसके पूर्व जन्म और वर्तमान जन्म के पाप मिट सकते हैं। यदि आपको किसी तीर्थ स्थल के समान फल की प्राप्ति चाहिए तो आप पवित्र स्थल पर न जा पाने की स्तिथि में  घर के पानी में ही कुछ बूंद गंगाजल की डालकर  स्नान कर सकते हैं। 

हिंदू पुराणों के अनुसार, पूर्णिमा के दिन काफी देवी देवता मानव रूप में परिवर्तित हुए थे इसलिए भी पूर्णिमा के दिन को बेहद महत्वपूर्ण, शुभ और फलदायी माना जाता है।

पूर्णिमा तिथियों का महत्व

यदि आप अपने जीवन के आध्यात्मिक पहलू को और अधिक समझना चाहते हैं तो इस समय पूर्णिमा के दौरान यह समझना सबसे प्रभावी होता है क्योकिं इस समय चंद्रमा की शक्ति सबसे मजबूत होती है। यहां तक ​​कि वैज्ञानिक भी स्वीकार करते हैं कि पूर्णिमा का मानव शरीर पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा हमारी भावनाओं और मानसिक क्षमताओं पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। इस चंद्र चरण के दौरान हमारे न्यूरॉन्स उत्तेजित होते हैं, जो हमारी भावनाओं को बढ़ाते हैं और हमारे अंदर की भावनाओं कों उत्तेजित करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा हमारे चौथे घर पर शासन करता है, जो हमारे विचारों और भावनाओं का घर है। 

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पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले पर्व

  • हनुमान जी की जयंती चैत्र की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।

  • प्रेम पूर्णिमा भी चैत्र की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती हैं और इस दिन पति के लिए व्रत रखा जाता है।

  • बुद्ध जयंती वैशाख की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा है।  

  • ज्येष्ठ की पूर्णिमा का  दिन वट सावित्री की पूजा के रूप में मनाया जाता है।

  • गुरू-पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा करते हैं। 

  • रक्षाबन्धन का पावन त्यौहार श्रावण मॉस की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

  • उमा माहेश्वर जी का व्रत भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन रखा जाता है।

  • शरद पूर्णिमा का पर्व अश्विन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

  • पुष्कर मेला और भीष्म पञ्चक का अंतिम दिन कार्तिक की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

  • महर्षि दत्तात्रेय जी की जयंती मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।

  • शाकंभरी जयंती पौष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन से जैन धर्म के मानने वाले पुष्पाभिषेक यात्रा प्रारंभ करते हैं। 

  • पौष की पूर्णिमा के दिन बनारस में दशाश्वमेघ घाट तथा प्रयाग में त्रिवेणी घाट संगम पर स्नान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • संत रविदास जयंती, श्री ललित और श्री भैरव जी की जयंती माघ की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। 

  • रंगों का पर्व होली त्यौहार फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

पूर्णिमा का व्रत

शास्त्रों में, चंद्रमा को पूर्णिमा तिथि सबसे अधिक प्रिय होती है। पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ, दान और किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। हर महीने की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन आकाश में चंद्रमा का पूर्ण रूप दिखाई देता है। वैशाख, माघ और शुक्लपक्ष पूर्णिमा के दिन किसी भी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पूर्णिमा व्रत से जुड़ी विशेष बातें

  • पूर्णिमा व्रत में मांगलिक कार्य जैसे यज्ञ, विवाह, देव पूजा आदि कर करना बहुत ही शुभ माना जाता है। 

  • भगवान शिव की पूजा  और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए पूर्णिमा तिथि को शुभ माना गया है। 

  • पौराणिक कथाओं  में इस विवरण किया गया है कि पूर्णिमा तिथि के दिन ही राहु ग्रह का जन्म हुआ था। 

  • माघ, कार्तिक, जेष्ठ और आषाढ़ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को  महत्वपूर्ण माना गया है। 

  • इस दिन दान करने से आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी। 

पूर्णिमा व्रत के लाभ

  • मानसिक कष्टों से निदान चाहते हैं तो पूर्णिमा का व्रत अवश्य करें। 

  • पारिवारिक कलह और अशांति को  दूर करने लिए पूर्णिमा व्रत कर सकते हैं। 

  • जिन व्यक्तियों की कुंडली में चंद्र ग्रह दोष है उनके जीवन में  इस ग्रह की वजह से जीवन में बहुत समस्याएं आ  सकती हैं। उन्हें पूर्णिमा का व्रत अवश्य करना चाहिए। 

  • पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध और बेलपत्र आदि अर्पित  करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। 

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पूर्णिमा के दिन क्या न करें

  • इस दिन माँस से निर्मित भोजन का सेवन करने से बचें।

  • मदिरा या शराब जैसे नशीले पदार्थों से स्वयं को दूर रखें।

  • इस दिन पवित्रता को अपनाना चाहिए और ऐसा न करने पर आपके भविष्य पर इसका दुष्परिणाम है।

अगर आप व्यक्तिगत रूप से 2024 के लिए पूर्णिमा से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो अभी बात करें एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से। 

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