सूर्य ग्रह से ही हमें ऊर्जा व प्रकाश प्राप्त होता है। यह हमारे जीवन को प्रकाशमय करते हैं। हिंदू धर्म को मानने वालों के लिए सूर्य देव समान हैं। हिंदू धर्म में इनकी उपासना की जाती है। परंतु इसका एक और पहलू है वैदिक ज्योतिष में सूर्य एक ग्रह के रूप में हैं और ग्रहों में ये श्रेष्ठ माने जाते हैं। इस लेख में हम सूर्य ग्रह के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम जानेंगे कि सूर्य (sun) का वैदिक ज्योतिष में क्या महत्व है? इसके साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य को क्यों महत्व दिया जाता है? सूर्य की पौराणिक मान्यता क्या है? सूर्य मंत्र, रत्न, रंग क्या है? इस लेख में हम इन्हीं बिंदुओं पर बात करेंगे।
सूर्य ग्रह को यदि खगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो यह सौर मंडल में केंद्र में स्थित है। जिसके चलते यह पृथ्वी से काफी करीब है। सूर्य के कारण ही पृथ्वी पर जीवन सूचारू रूप से कालांतर से चला आ रहा है। खगोल विज्ञान की में शुक्र व बुध के बाद सबसे कम है। इसलिए यह पृथ्वी को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। वैदिक ज्योतिष में भी सूर्य को काफी महत्व दिया जाता है। सूर्य को क्रूर ग्रह माना जाता है। ये प्रभावी होते हैं तो जातक का समय बदल जाता है।
ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। इसके साथ ही ज्योतिष में सूर्य को पिता का प्रतिनिधित्व भी माना जाता है। सूर्य के कारण ही पिता से संतान का संबंध मधुर व कटु बनता है। जब भी किसी जातक की कुंडली का आकलन किया जाता है तो सबसे पहले सूर्य का स्थान देखा जाता है। क्योंकि ज्योतिष में सूर्य को सफलता व सम्मान का कारक कहा जाता है। सूर्य प्रभावी हो तो जातक अपने जीवन में यश प्राप्त करता है। इसके साथ ही वह ओजस्वी व प्रतापी होता है। महिला की कुंडली में सूर्य को पति के सफलता के लिए देखा जाता है। ज्योतिष में सूर्य के नाम से भी राशियों को संबोधित किया जाता है। जिसे सूर्य राशि कहा जाता है। यदि जातक की कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातक को अच्छे फल मिलते हैं। ज्योतिष में सूर्य सिंह राशि का स्वामी माना गया है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला राशि सूर्य (sun) की नीच राशि मानी जाती है।
सूर्य हमारे ऊर्जा का स्त्रोत है। इन्हीं के कारण हम ऊर्जा वान रहते हैं। प्रकृति का सुचारु रूप से चलना भी सूर्य के ही ज़िम्मे है। इसी प्रकृति का हिस्सा हम भी हैं। जिसके चलते इनका प्रभाव हम पर पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार जिस जातक की कुंडली में सूर्य लग्न में विराजमान होते हैं उसका चेहरा बड़ा और गोल तथा आँखों का रंग शहद के समान होता है। जातक के शरीर में सूर्य हृदय को दर्शाता है। काल पुरुष कुंडली में अंतर्गत सिंह राशि हृदय को इंगित करती है। शारीरिक संरचना व ज्योतिष के अनुसार सूर्य पुरुषों की दायीं आँख व स्त्रियों की बायीं आँख को दर्शाता है।
ज्योतिष के मुताबिक यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य बली है तो जातक अपने जीवन में सभी लक्ष्यों की प्राप्ति करता है। जातक के अंदर गजब का साहस देखने को मिलता है। इसके साथी वह प्रतिभावान व नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण होता है। जीवन में उसे मान सम्मान की कमी नहीं होती। जातक ऊर्जावान, आत्म-विश्वासी व आशावादी होगा। जातक उपस्थिति के कारण घर में ख़ुशी, आनंद का माहौल बना रहा है। जातक दयालु होता है। रहन सहन शाही हो जाती है। ऐसे जातक अपने कार्य व संबंधों के प्रति काफी वफ़ादार होते हैं। कुंडली में सूर्य (sun) का उच्च व प्रभावी होना सरकारी नौकरी की ओर इशारा करता है। जातक जीवन में उच्च पद प्राप्त करता है।
जिस जातक की कुंडली में सूर्य पीड़ित होते हैं या प्रभावी नहीं होते हैं उन जातकों पर इसका गहरा असर पड़ता है। ऐसे में जातक अहंकारी हो जाता है। क्रोध जातक की नाक पर सवार रहती है। जिसके कारण उसके कई काम बिगड़ जाते हैं। जातक छोटी –छोटी बातों को लेकर उदास हो जाते हैं। इसके साथ ही वे किसी पर भी विश्वास नहीं कर पाते हैं। जातकों के अंदर ईर्ष्या व्याप्त हो जाता है। जातक महत्वाकांक्षी होने के साथ आत्म केंद्रित भी बन जाते हैं। जिसके कारण इनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में भी कमी आती है।
सूर्य को सौर मंडली का राजा माना जाता है। इसके साथ ही हिंदू पौराणिक कथाओं में सूर्य (sun) को देव कहा गया है। सूर्य की आराधना की जाती है। मान्यता के अनुसार सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं और इनकी माता अदिति हैं। जिसके कारण सूर्य का एक नाम आदित्य भी है। जैसा की आपने देखा होगा। आपके घर में या आस पड़ोस में कोई लोग सूर्य को नित्य दिन जल अर्पित व सूर्य नमस्कार करते हैं। क्योंकि जातक इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए ऐसा करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य के लिए समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
यंत्र – सूर्य यंत्र
मंत्र - ओम भास्काराय नमः
रत्न - माणिक्य
रंग - पीला/ केसरिया
जड़ - बेल मूल
उपाय – यदि जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर या पीड़ित हैं तो जातकों को हृदय आदित्य स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही सूर्य (sun) उपासना करना जातक के लिए शुभफलदायी होगा।
दिनाँक | Friday, 22 November 2024 |
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तिथि | कृष्ण सप्तमी |
वार | शुक्रवार |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
सूर्योदय | 6:49:59 |
सूर्यास्त | 17:25:16 |
चन्द्रोदय | 23:42:13 |
नक्षत्र | अश्लेषा |
नक्षत्र समाप्ति समय | 17 : 11 : 17 |
योग | ब्रह्म |
योग समाप्ति समय | 11 : 33 : 40 |
करण I | विष्टि |
सूर्यराशि | वृश्चिक |
चन्द्रराशि | कर्क |
राहुकाल | 10:48:13 to 12:07:38 |